ट्विटर यूज़र @Balram_Ayodhya ने एक तस्वीर शेयर की. तस्वीर में एक पुलिस अधिकारी को एक आदमी का बाल खींचते हुए देखा जा सकता है. यूज़र ने तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “हमारे संतो का बाल पकड़ कर खिंचवाने वाला कोई जिहादी नही था,,,वो अखिलेश यादव का बाप था…याद है ना ??” इसका मतलब ये था कि ये तस्वीर उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के दौरान ली गई थी. इस ट्वीट को 2 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया.
हमारे संतो का बाल पकड़ कर खिंचवाने वाला कोई जेहादी नही था,,,वो अखिलेश यादव का बाप था…याद है ना ?? pic.twitter.com/B1BMIcqsoA
— महंत बलरामदास श्री हनुमानगढ़ी अयोध्या (@Balram_Ayodhya) December 5, 2021
फ़ेसबुक पेज ‘हिंदू की आवाज़’ सहित कई दूसरे ट्विटर और फ़ेसबुक यूज़र्स ने ये तस्वीर पोस्ट की.
पुरानी तस्वीर
टिनआई (Tineye) पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने देखा कि वायरल तस्वीर एक दशक पहले से इन्टरनेट पर मौजूद है.
ये तस्वीर आशारामबापू आश्रम की आधिकारिक वेबसाइट ashram.org पर अपलोड की गई थी. एक विशेष एससी/एसटी अदालत ने 2013 में पाखंडी संत आसाराम बापू को एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
आर्टिकल दिसंबर 2009 का था और अब इसे डिलीट कर दिया गया है. लेकिन इंटरनेट आर्काइव पर इसे एक्सेस किया जा सकता है. आर्टिकल के अनुसार, ये तस्वीरें 27 नवंबर 2009 को आश्रम के सदस्यों के खिलाफ़ पुलिस की बर्बरता की है. गांधीनगर में पुलिस के साथ हुई झड़प के बाद आश्रम के लगभग 150 अनुयायियों को हिरासत में लिया गया था.
आर्टिकल में वायरल तस्वीर के अलावा कई तस्वीरें शामिल हैं.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया था कि पुलिस ने उसी दिन अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में आसाराम के आश्रम पर छापा मारा था.
आज तक ने भी इस घटना पर रिपोर्ट पब्लिश की थी. आज तक ने बताया था कि एक दिन पहले छापेमारी के दौरान पुलिस और आश्रम के सदस्यों के बीच पथराव के बाद पुलिस ने आश्रम के 200 सदस्यों को हिरासत में लिया था.
इन तस्वीरों को Diwala.com पर भी पोस्ट किया गया था (डोमेन अब एक्सेस में नहीं है). यहां तक कि इस आर्टिकल में भी बताया गया था कि ये घटना गुजरात की है.
इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ को आसाराम के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला. इस वीडियो में 1 मिनट 52 सेकेंड के दृश्य Diwala.com पर अपलोड की गई तस्वीरों से मेल खाते हैं.
कुल मिलाकर, मुलायम सिंह यादव के शासन में पुलिस की हिंसा की बताकर जो तस्वीर शेयर की जा रही है वो गुजरात की है और एक दशक से भी ज़्यादा पुरानी है.
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