हिंदु देवता विष्णु के नरसिंह अवतार की एक तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल है। फेसबुक पेज संस्कृत का उदय के अनुसार यह तस्वीर “जर्मनी में भगवान नरसिंह की 32000 साल पुरानी मूर्ति” की है। इस पोस्ट को डिलीट किये जाने से पहले 8,000 से अधिक लाइक और 3,000 से अधिक बार शेयर किया गया था।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि इस वायरल तस्वीर के ज़रिए किया गया दावा कई सालों से ऑनलाइन माध्यम में प्रसारित है। 2012 से फेसबुक पर कन्नड़ भाषा में यह समान दावा किया गया हैं –“ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ ಸಿಕ್ಕ 32000 ವರ್ಷ ಹಳೆಯದಾದ ನರಸಿಂಹರ ವಿಗ್ರಹ (जर्मनी में एक 32,000 साल पुराणी भगवान नरसिंहा की मूर्ति मिली।)”

2017 में, पोस्टकार्ड न्यूज़ ने एक लेख में बताया गया था कि –“जर्मनी में 32,000 साल पुरानी भगवान नरसिम्हा की मूर्ति मिली”। इसमें मानव-शेर की एक अलग मूर्ति को दिखाया गया है। लेख में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है- “हाँ! 32,000 साल पुरानी भगवान नरसिम्हा की मूर्ति दक्षिणी जर्मनी में खोजी गई थी।” (अनुवाद) इस पोस्ट को 5,000 से अधिक बार साझा किया गया है।

ऐसी ही दावे यूट्यूब पर वीडियो के साथ भी किये गए हैं। नीचे दिए गए इनमें से एक वीडियो को, अगस्त 2017 में अपलोड किया था, जिसे अब तक करीब 1,80,000 बार देखा जा चूका है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सोशल मीडिया में ऐसे दावे भी किये गए है कि ‘भगवान नरसिम्हा’ की यह मूर्ति 40,000 साल पहले की है।

तथ्य-जांच

पहली तस्वीर

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वायरल तस्वीर संप्रदाय सन की वेबसाइट पर 2009 में प्रकाशित एक फीचर स्टोरी की है। तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में मूर्ति के स्थान के बारे में भी बताया गया है, जिसे नीचे की तस्वीर में हाईलाइट किया गया है।

तस्वीर को श्रीधाम मायापुर इस्कॉन का बताया गया है, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। इस प्रकार, वायरल तस्वीर में दिख रही मूर्ति को जर्मनी से होने का दावा गलत है। ऑल्ट न्यूज़ को एक वेरिफाइड यूट्यूब अकाउंट – हरे कृष्ण टीवी – इस्कॉन डिज़ायर ट्री, द्वारा अपलोड किया गया एक वीडियो भी मिला, जिसमें इस समान मूर्ति को दिखाया गया है।

दूसरी तस्वीर

पोस्टकार्ड न्यूज़ में इस्तेमाल की गई छोटी मूर्ति की तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च से ऑल्ट न्यूज़ को पता चला कि यह ल्वेनमेन्सक (Löwenmensch) छोटी मूर्ति अथवा होह्लेन्स्टीन-स्टैडल के लायन-मैन, जर्मनी के जोरा में स्थित एक गुफा है।

Der Spiegel की 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मैमथ-आइवरी की इस छोटी मूर्ति के टुकड़े की खोज भूविज्ञानी ओटो वोल्जिंग ने अगस्त 1939 में की थी। वर्तमान में यह जर्मनी के उल्म संग्रहालय में प्रदर्शित है। संग्रहालय के अनुसार, यह मानव शेर की मूर्ति 40,000 साल पहले के पुरापाषाण काल ​​की है।

ब्रिटिश म्यूजियम के ब्लॉग पोस्ट ‘द लायन मैन : ऐन आइस एज’ की कृति में कहा गया है, “वह एक ऐसे प्राचीनतम प्राणी को दर्शाता है जो भौतिक रूप में मौजूद नहीं है लेकिन अलौकिक विचारों का प्रतीक है … यह जानना असंभव है कि उसके बारे में यह कहानी कि क्या वह देवता थे, आत्माओं की दुनिया का अवतार, सृजन कथा का हिस्सा या कोई मानव जिसका यह रूपांतरण ब्रह्मांड के अनुभवों के दौरान आत्माओं से संवाद करके हुआ हो।” (अनुवाद)

इसलिए वायरल पोस्ट में किया गया दावा सही है कि जर्मनी की यह छोटी मूर्ति लगभग 32,000 से 40,000 साल पुरानी है। लेकिन, कोई विश्वसनीय सूत्र दावा नहीं करता है कि यह छोटी मूर्ति भगवान नरसिम्हा को दर्शाती है।

पश्चिम बंगाल के इस्कॉन मायापुर में रखी नरसिम्हा की मूर्ति की एक तस्वीर सोशल मीडिया में जर्मनी में खुदाई के दौरान मिली हिंदू देवता की 32,000 साल पुरानी मूर्ति के रूप में वायरल की गई। एक अन्य, मानव शेर की प्रागैतिहासिक मूर्ति की तस्वीर भी इसी दावे के साथ साझा की गई।

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.