दीवार पर साइकिल की सवारी की नक्काशी की एक तस्वीर इस दावे के साथ साझा की जा रही है कि यह तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर के पंचवर्णस्वामी मंदिर की तस्वीर है। यह मंदिर हिंदू देवता शिव को समर्पित है। नक्काशी के एक अलग कोलाज के साथ इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए फेसबुक उपयोगकर्ता नारायण मूर्ति गोल्लापती ने दावा किया, “साइकिल, रिमोट का आविष्कार किसने किया? क्या हमारे देश में कोई 2000 साल पहले कोई अंतरिक्ष यात्री था? जवाब दें, पंचवर्णस्वामी मंदिर में प्रस्तर कला को देखें।” (अनुवाद) इस संदेश में परिकल्पना गढ़ी गई, “मंदिर की दीवारों पर साइकिल, अंतरिक्ष यात्री और रिमोट है। और आधुनिक विज्ञान कहता है कि यूरोप में लगभग 200 साल पहले मैकमिलन द्वारा साइकिल का आविष्कार किया गया था।” (अनुवाद)
सोशल मीडिया में तर्क दिया जा रहा है कि यूरोपीय मूल के अन्वेषकों के नाम दर्ज़ साइकिल जैसी खोजों का आविष्कार भारत में काफी समय पूर्व कुछ 2000 साल पहले हो गया था। कई अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं ने इन तस्वीरों के साथ यही दावा साझा किया है।
तथ्य-जांच
पहली तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह नक्काशी इंडोनेशिया के बाली प्रांत के कुबुतम्बहान स्थित बाली के मंदिर पुरा मदुवे करंग (भूस्वामी का मंदिर) की दीवार पर है। गेट्टी इमेजेज़ की एक तस्वीर के कैप्शन के अनुसार, नक्काशी में डच कलाकार WOJ Nieuwnkamp को दिखलाया गया है। उसी नक्काशी की दूसरी तस्वीर आप यहां देख सकते हैं।
लेखक डेविड शेविट ने 2003 की अपनी पुस्तक — बाली एंड द टूरिस्ट इंडस्ट्री — में लिखा है, “बाली के लोगों के मनोरंजन के लिए जिन्होंने कभी भी ऐसा नहीं देखा था, साइकिल से द्वीप के उत्तरी भाग की यात्रा की। Nieuwnkamp को उनकी बाइक की सवारी के लिए अमर करने वाली, सपाट पत्थर पर उकेरने की तरह चिपकाई हुई यह नक्काशी, जो अभी भी उत्तर बाली के छोटे से गांव कुबुतम्बहान में देखी जा सकती है, बताती है कि बाली के लोग उनके इस कार्य से बहुत प्रभावित थे।” (अनुवाद)
कोलाज की पड़ताल
पहली तस्वीर
दूसरी तस्वीर पर एक नज़र डालने से ही उस तस्वीर पर तथ्य-जांच संगठन SMHoaxSlayer का वॉटरमार्क दिख जाता है। यह वॉटरमार्क कोलाज में सबसे बाईं ओर वाली तस्वीर से शुरू होता है। यह पंचवर्णस्वामी मंदिर में वास्तविक नक्काशी की तस्वीर है।
इस दावे को तब लोकप्रियता मिली जब व्लॉगर प्रवीण मोहन ने मंदिर की नक्काशी दिखाने वाला एक वीडियो, इसकी “उन्नत प्राचीन प्रौद्योगिकी प्रमाणित?” (अनुवाद) परिकल्पना करते हुए प्रकाशित किया। यूके मीडिया संगठनों – डेली स्टार व मिरर – ने इंटरनेट पर इस वीडियो के अपलोड होने के कुछ दिनों बाद लेख प्रकाशित किए थे।
तिरुचिरापल्ली स्थित ऐतिहासिक अनुसंधान केंद्र के पीछे काम करने वाले दिमाग, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कलईकोवन, ने चोल युग के मंदिर में नक्काशी के अस्तित्व का तार्किक विश्लेषण किया। जैसा कि द हिंदू को बताया गया, उन्हें मंदिर के पुजारी का मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन करने के बाद उनके द्वारा धन्यवाद प्रार्थना के लिए आमंत्रित किया गया था। प्राचीन मंदिर में साइकिल की नक्काशी देखकर उन्हें अजीब और पेचीदा लगा “लेकिन न तो अधिकारियों और न ही इसके इतिहास को लिखने वाले विद्वान यह समझा पाए कि यह वहां कैसे आया।” (अनुवाद)
साइकिल और चोल-अवधि के वोरैयूर मंदिर के इतिहास का अध्ययन करने के बाद, डॉ. कलईकोवन ने सिद्धांत दिया कि यह वाहन हो सकता है कि इस शहर के लिए 1920 की नई कृति थी जब मंदिर का नवीनिकरण किया गया था। डॉ. कलाईकोवन ने इस मीडिया संगठन को बताया, “शायद मूर्तिकार किसी को साइकिल पर देख कर उससे प्रभावित होकर उन्होंने इसे हमेशा के लिए पत्थर पर दर्ज कर दिया था” (अनुवाद)।
दूसरी तस्वीर
दीवार पर उकेरे मोबाइल फोन की तस्वीर मध्य में है। इस तस्वीर के गूगल रिवर्स इमेज सर्च से ऑल्ट न्यूज़ को 2009 का एक ब्लॉग मिला जिसमें स्पेन के ला रियोजा प्रांत के कैलाहोरा गिरजाघर में यह नक्काशी होने की पहचान की गई है।
स्पेनिश वेबसाइट Infolibre पर 2017 के एक लेख के अनुसार, 1990 के दशक में इस गिरजाघर की मरम्मत की गई थी। एक संगतराश (पत्थर के कलाकार), जो गिरजाघर की मरम्मत प्रक्रिया का हिस्सा थे, ने यह मोबाइल फोन बनाया, जिसे 1990 के दशक के नोकिया मॉडल से प्रेरित माना जाता है। गिरजाघर की देखभाल करने वाले Ángel Ortega बताते हैं, “उनका स्पष्टीकरण था कि सलामांका में भी उन्होंने ऐसे ही एक अंतरिक्ष यात्री की नक्काशी की थी , फिर उसी प्राधिकरण में, मैं ऐसा उपकरण क्यों नहीं उकेर सकता जिसे मैं हर घंटे इस्तेमाल करता हूं” (गूगल अनुवाद)।
तीसरी तस्वीर
कोलाज में दाईं ओर वाली तस्वीर, दीवार पर नक्काशी कर बनाई गई अंतरिक्ष यात्री की है। पत्थर की यह नक्काशी भी स्पेन के सलामांका शहर के एक गिरजाघर की है।
सलामांका के कैथेड्रल में एक साथ दो गिरजाघर शामिल हैं। स्पेन की आधिकारिक पर्यटन वेबसाइट के अनुसार पुराना गिरजाघर 12वीं -13वीं शताब्दी का है, जबकि नया गिरजाघर 16वीं शताब्दी का है। 2016 में, स्पैनिश दैनिक El Comercio ने बताया कि मिगुएल रोमेरो नामक एक संगतराश ने 1992 में कैथेड्रल की मरम्मत कार्य के दौरान पत्थर पर अंतरिक्ष यात्री उकेरा था। मरम्मत कार्यों के प्रमुख रहे जेरोनिमो गार्सिया ने 1994 में स्पेनिश अखबार El Pais से एक साक्षात्कार में कहा, “हां। हमारे संगतराश ने इस सदी के प्रतीक के रूप में सलामांका के गिरजाघर में अंतरिक्ष यात्री की नक्काशी बनाई थी।” (अनुवाद) यह ध्यान देने योग्य है कि कैलहोरा गिरजाघर पर मोबाइल की नक्काशी, अंतरीक्ष यात्री मारीयो रोमेरो की नक्काशी से प्रेरित थी। सलामांका गिरजाघर में उकेरे हुए अंतरिक्ष यात्री आप नीचे के वीडियो में देख सकते हैं।
तमिलनाडु के पंचवर्णस्वामी मंदिर के पत्थर पर बनाई गई नक्काशी की चार तस्वीरों में से तीन तस्वीर भारत की भी नहीं हैं। मंदिर के इतिहास पर शोध करने वाले डॉ. कलाईकोवन ने साइकिल-सवार-आदमी की नक्काशी को 1920 के दशक में हुए उस संरचना के नवीनीकरण के समय से जोड़ा है।
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