पिछले हफ्ते बाली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, दुनिया के नेताओं को यूक्रेन की सीमा के पास पूर्वी पोलैंड के एक गांव प्रेज़वोडो में मिसाइल हमले की सूचना मिली थी. नाटो मेम्बर स्टेट में ये विस्फ़ोट, राजधानी कीव सहित पूरे यूक्रेन में हो रहे रूसी मिसाइलों के हमले के कारण हुआ था. और माना जा रहा है कि इस हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई थी.

इस विकट स्थिति के संदर्भ में पत्रकारों ने बताया कि 16 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने समान विचारधारा वाले नेताओं की आपातकालीन बैठक बुलाई थी. इस बीच सोशल मीडिया पर इस बैठक की एक तस्वीर भी शेयर की जाने लगी.

प्रधान मंत्री मोदी के एक मजबूत आलोचक प्रोफ़ेसर अशोक स्वैन ने बैठक की एक तस्वीर इस कैप्शन के साथ ट्वीट की, “बाइडेन ने #G20 में एक आपातकालीन बैठक बुलाई – भारत के तथाकथित विश्वगुरु मोदी इसमें गायब हैं!”. प्रोफ़ेसर स्वैन ने बैठक में पीएम मोदी को आमंत्रित नहीं किए जाने की वज़ह से पीएम मोदी पर कटाक्ष किया.

ट्विटर यूज़र कामरान ने भी अशोक स्वैन के जैसे ही कैप्शन के साथ ये तस्वीर शेयर की.

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के एक ट्वीट पर रिप्लाई देते हुए ट्विटर यूज़र ‘@cheroor2010‘ ने भी इसी तरह के कैप्शन के साथ वायरल तस्वीर शेयर की. इस यूज़र ने भारत की विदेश नीति को “हिजड़ा” बताया जो दक्षिण एशिया में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अपमानजनक शब्द माना जाता है.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने सबंधित की-वर्ड्स के साथ गूगल पर सर्च किया जिससे हमें राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित आपातकालीन बैठक के संबंध में अलग-अलग न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं. CNN के मुताबिक, इस गोलमेज बैठक में कनाडा, यूरोपीय संघ, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और जापान के नेता शामिल हुए थे.

द इंडिपेंडेंट ने रिपोर्ट किया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस निर्मित रॉकेटों से पोलैंड पर हमले के बाद एक ‘आपातकालीन’ G7 और नाटो बैठक बुलाई थी.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि नाटो और G7 नेताओं ने एक बयान जारी कर पोलैंड की घटना पर चल रही जांच में अपना पूर्ण समर्थन देने की पेशकश की.

आगे, की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया स्टेटमेंट मिला. बयान की हेडलाइन में इस बात पर ज़ोर डाला गया है कि ये NATO और G7 नेताओं का एक संयुक्त बयान है और पहले पैराग्राफ़ में उन देशों का ज़िक्र भी है जो बैठक में मौजूद थे.

ध्यान दें कि भारत न तो NATO का सदस्य देश है और न ही G7 देश है. नाटो की वेबसाइट के मुताबिक, “नाटो एक गठबंधन है जिसमें 30 स्वतंत्र सदस्य देश शामिल हैं.” हमें इस लिस्ट में भारत, सदस्य के रूप में नहीं मिला. G7 जर्मनी की वेबसाइट में कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ, जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका का नाम हाईलाइट है.

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शुरूआती जांच

16 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, पोलिश राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने कहा कि इसकी “उच्च संभावना” है कि ये यूक्रेनी पक्ष से एक वायु रक्षा मिसाइल थी और आने वाली रूसी मिसाइलों को रोकते समय पोलैंड में “दुर्घटना” के कारण गिर गई थी

रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया, “अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी उस विस्फोट की जांच कर रहे हैं जिसमें पोलैंड में दो लोगों की मौत हो गई. लेकिन शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि ये रूस से छोड़ी गई मिसाइल के कारण नहीं हुआ होगा.”

कुल मिलाकर, G7 और नाटो नेताओं के साथ राष्ट्रपति जो बाइडेन की अध्यक्षता वाली बैठक में भारत को शामिल नहीं किया गया क्यूंकि भारत न तो नाटो का सदस्य है और न ही G7 का सदस्य है. पीएम मोदी के आलोचकों ने ग़लत रूप से ये मान लिया कि उनकी विदेश नीति के कारण भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था. ये बात बताए जाने के बाद भी की ये एक NATO-G7 बैठक थी, प्रोफ़ेसर स्वैन ने फिर यूज़र्स को ये बताने के लिए कहा कि जापान को बैठक में क्यों शामिल किया गया था. जापान एक G7 देश है.

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