एक व्हाट्सऐप मेसेज ख़ूब वायरल हुआ है जिसमें बटुए, बैग, जूते बेल्ट जैसे चमड़े के सामानों की तस्वीर साथ में है. वायरल हो रहे मेसेज का दावा है कि ये तस्वीरें फ़ेमस शॉपिंग स्टोर शॉपर्स स्टॉप से हैं. इस मेसेज में लोगों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि लॉकडाउन खुलने के बाद कुछ वक़्त तक वो मॉल्स में न जाएं. लिखा है, “सोचिये जब मॉल खुलेंगे तो डक्ट्स में मौजूद फ़ंगस मॉल के बंद वातावरण में घूमता रहेगा… यहां से वो हमारे सांस लेने वाले सिस्टम में घुसेगा… इससे भयंकर इन्फ़ेक्शन हो सकते हैं.”
ऑल्ट न्यूज़ को इस दावे के फ़ैक्ट चेक के लिए व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) पर और हमारी आधिकारी एंड्रॉइड ऐप पर कई रिक्वेस्ट्स मिली हैं.
तस्वीर इंडिया की नहीं है
मेसेज के साथ वायरल हो रही 7 तस्वीरों में से 1 को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यूट्यूब पर चाइना ग्लोबल टेलिविज़न नेटवर्क (CTNG) का एक वीडियो और एक आर्टिकल मिला.
CTNG के इस वीडियो में हमें मेसेज के साथ वायरल हो रहीं सातों तस्वीरें मिलीं. 12 मई को छपे आर्टिकल के मुताबिक़ ये तस्वीरें मलयेशिया के मेत्रोजय सेंटर की हैं. COVID-19 से जुड़े लॉकडाउन के चलते इस मॉल को 18 मार्च से बंद कर दिया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ह्यूमिडिटी और एयर कंडिशनिंग बंद होने के कारण चमड़े के सामान पर फ़ंगस लग गया था.
इस घटना को डेली मेल ने भी दिखाया था. उन्होंने ये भी बताया कि सिनेमा हॉल में सीट्स और कारपेट पर भी यूं ही फ़ंगस मिला था क्यूंकि ये सब कुछ 2 महीनों से बंद पड़ा हुआ था.
Coronavirus: Mould found growing on leather products in Malaysia as businesses reopen https://t.co/Omb8UZRH68
— The Straits Times (@STcom) May 12, 2020
लॉकडाउन मलयेशिया में भी था और इंडिया में भी है. ऐसे में यहां के मॉल्स में भी यही समस्या आ सकती है. तो क्या यहां के मॉल में भी 4 महीनों तक किसी को नहीं जाना चाहिए, इस दावे की सच्चाई जाननी ज़रूरी है और इसलिए हमने बात की बैंगलोर बेस्ड एमबीबीएस डॉक्टर शरफ़रोज़ से जो कि ऑल्ट न्यूज़ साइंस का हिस्सा भी हैं.
उनका कहना है, “खाली छोड़े गए या बुरी तरह से मेनटेन की गयी जगहों पर फ़ंगस का आना बहुत कॉमन है. अगर सही वातावरण मिले तो सिर्फ़ मॉल्स ही नहीं कहीं भी ऐसा हो सकता है. इसलिए ये समस्या सिर्फ़ लॉकडाउन तक ही महदूद हो, ऐसा कतई नहीं है. घर की एसी और सेन्ट्रल एयर कंडिशनिंग सिस्टम्स को रेगुलर सफ़ाई की ज़रूरत पड़ती ही है. किसी भी मॉल में रूटीन से की जाने वाली सफ़ाई और एयर कंडिशनिंग सिस्टम की सफ़ाई बेहद मूलभूत बात होती है. चमड़े या दीवारों पर पैदा होने वाले फ़ंगस को आसानी से देखा जा सकता है. साथ ही ऐसे में उठने वाली महक भी बड़ी आसानी से पकड़ में आ जाती है. ये सोचना कि कोई भी मॉल बिना इन सभी चीज़ों की सफ़ाई किये चालू हो जायेगा, ग़लत होगा. लेकिन एक बार को मान लेते हैं कि लोग ऐसे मॉल में घुसेंगे जहां एसी की सफ़ाई और फ़ंगस लगी चीज़ों, सतहों की सफ़ाई पर ध्यान नहीं दिया गया, तो लोगों को किन चीज़ों का ख़तरा होगा? ऐसे में लोगों को अलर्जी हो सकती है लेकिन कोई भी ख़तरनाक समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ेगा. ऐसे में अस्थमा से जूझ रहे लोगों को ज़्यादा दिक्कत होगी लेकिन उन्हें लॉकडाउन से पहले भी ऐसी जगहों पर परेशानी हो सकती थी. ऐसे में एड्स, कैंसर या कीमोथेरेपी वगैरह से कमज़ोर हुए इम्यूनिटी सिस्टम वाले लोग सबसे ज़्यादा परेशानी हो सकते हैं. ऐसे लोग असल में हर जगह पर ख़तरे में होते हैं.”
अंत में ये तस्वीरें चमड़े के प्रोडक्ट्स की ही हैं जो कि लॉकडाउन में दुकानों के बंद होने के कारण खराब हुईं लेकिन इनका इंडिया से कोई रिश्ता नहीं है. ये मलयेशिया के मेत्रोजय सेंटर में शॉपर्स स्टॉप की तस्वीरें हैं.
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