27 सितंबर को, प्रशांत पटेल उमराव ने, जिन्होंने कई मौकों पर अपने ट्विटर अकाउंट से गलत सूचनाएँ फैलाईं, अभिनेता एजाज़ खान का एक ट्वीट उद्धृत करते हुए ट्वीट किया, जिसमें एजाज़ पर “नफरत फैलाने” और देश में “सांप्रदायिक तनाव पैदा करने” के प्रयास का आरोप लगाया।
Dear @MumbaiPolice, This fake news peddler @AjazkhanActor is again spreading hatred & want to create Communal Tension in Country. He is on bail, still doing mischief again.
Truth is that Abu Kamil raped a girl & was beaten by his community members only. https://t.co/oWcGRIpKVV
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) September 27, 2019
एजाज़ खान ने एक घायल व्यक्ति की तस्वीर ट्वीट की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वह बिहार के महुआ का एक मुस्लिम शिक्षक अबु कामिल है, जिसे भीड़ ने पीटा था। प्रशांत पटेल उमराव ने ट्वीट किया कि एजाज़ खान झूठ बोल रहे हैं, और अबु कामिल ने “एक लड़की का बलात्कार” किया था, जिसके बाद उसके अपने समुदाय के सदस्यों द्वारा उसे पीटा गया था। ट्विटर पर उमराव के 1,20,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। उनके इस ट्वीट के अब तक 6,500 से अधिक रीट्वीट हो चुके हैं।
यही दावा, लोकप्रिय हैंडल शंखनाद, जिससे अक्सर सांप्रदायिक प्रकृति की गलत जानकारी पोस्ट होती है, ने आगे बढ़ाई। शंखनाद के फेसबुक पोस्ट को 500 से अधिक बार साझा किया गया।
सच क्या है?
प्रशांत पटेल उमराव का यह दावा कि फोटो में दिख रहा घायल व्यक्ति अबु कामिल अपने ही समुदाय के सदस्यों द्वारा एक लड़की का यौन उत्पीड़न करने के कारण पीटा गया, सरासर गलत है। ऑल्ट न्यूज़ को ऐसे ट्वीट मिले जिनमें सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उस घटना से संबंधित वीडियो क्लिप अपलोड की थी। यह एक वीडियो रिपोर्ट की क्लिप थी, जो आज तक द्वारा प्रसारित की गई लगती थी।
ऑल्ट न्यूज़ ने इसकी पुष्टि की किआज तक ने अपने सुबह की बुलेटिन में उस घटना की रिपोर्ट प्रसारित की थी। उस रिपोर्ट की वीडियो क्लिप नीचे पोस्ट की गई है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना में कोचिंग सेंटर चलाने वाले शादाब (अबु कामिल) जब हाजीपुर जा रहे थे, तभी उन्हें एक कार में जबरन ले जाया गया। उनके साथ लुटपाट हुई फिर बुरी तरह पीटकर कार से बाहर फेंक दिया गया। जब पास के गाँव के लोगों ने देखा कि शादाब ज़मीन पर घायल पड़े हैं, तो मदद करने के बजाय, गलती से उसे चोर समझ लिया और पिटाई कर दी। पुलिस को बाद में घटना का पता चला, जिसने उसे बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया। इसकी रिपोर्ट वैशाली से दर्ज कराई गई।
इस घटना के बारे में मीडिया से संबंधित यह एकमात्र जानकारी है जो ऑल्ट न्यूज़ को मिल पाई। इस घटना की कोई अन्य खबर नहीं मिली।
पुलिस ने घटना की पुष्टि की, यौन शोषण का दावा खारिज किया
घटना की सत्यता का पता लगाने और मामले के तथ्यों की खोज के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने सराय पुलिस थाने से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की, “यह घटना हुई थी। पीड़ित को एक वाहन से फेंक दिया गया था, जिसके बाद वह असहाय अवस्था में भटक रहा था। पास के गाँव के कुछ लोग उसके आसपास जमा हो गए और उसे चोर समझकर उसकी पिटाई की जाने लगी। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”
पुलिस ने इस दावे को खारिज किया कि उस व्यक्ति ने किसी लड़की का यौन उत्पीड़न किया था इसलिए उसकी पिटाई की गई, पुलिस ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। उसे पीटा गया क्योंकि वह आत्मविस्मृति की स्थिति में था और कुछ ग्रामीणों द्वारा चोर करार दिया गया था।” पुलिस ने यह भी कहा कि पीड़ित को उसके ही समुदाय के सदस्यों द्वारा पीटे जाने का दावा गलत है। पुलिस ने पुष्टि की कि सोशल मीडिया में प्रसारित तस्वीर वास्तव में भीड़ के हमले का शिकार हुए उसी पीड़ित की है।
इस घटना को लेकर प्रशांत पटेल उमराव और शंखनाद का दावा झूठा था। पीड़ित ने कोई यौन उत्पीड़न नहीं किया था, जैसा कि दावा किया गया। इसके अलावा, उसकी पिटाई उसके ही समुदाय के सदस्यों ने नहीं की थी।
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