दावोस में विश्व आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी से एक गलती हुई। किसी कारणवश वह अपने अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को उन लोगों की संख्या सूचित करना चाहते थे जिन्होंने उनकी सरकार को सत्ता में लाने के लिए वोट किया और उन्होंने जो संख्या बताया वो गलत था। भारत में 30 वर्षों के बाद, 600 करोड़ मतदाताओं ने 2014 में केंद्र में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। अपने ऐतिहासिक जनादेश के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने 600 करोड़ (6 बिलियन) संख्या बता दिया। भारत की आबादी 130 करोड़ है (1.3 अरब) और मतदाताओं की संख्या केवल इस संख्या का एक अंश है जिन्होंने इनकी पार्टी को सत्ता में लाने को वोट किया। हो सकता है कि उन्होंने टेलीप्रोप्टर पर गलत पढ़ लिया हो या उन लोगों के लिए जो यह मानना पसंद करते हैं कि यह एक बिना पूर्व तैयारी से दिया गया भाषण था, शायद उनकी जबान फिसली थी किसी भी तरह, दर्शकों को पता था कि यह एक अनजान में हुई गलती थी। हम यहां इस छोटी सी गलती पर चर्चा नहीं कर रहे हैं, लेकिन भारतीय मीडिया की इस खबर को सूचित करने में एक आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया पर।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गलत आँकड़े को ट्वीट किया गया था और तत्काल हटा भी दिया गया। भारतीय मीडिया ने भाषण की शब्दशः रिपोर्टिंग में 600 करोड़ की संख्या को ट्वीट करते हुए समाप्त किया था। हम देखते हैं कि इस गलती का पता चलने के बाद उनकी कैसी प्रतिक्रिया रही।
जिन्होंने इसे हटा लिया
यह मीडिया की गलती नहीं थी, लेकिन प्रधामंत्री द्वारा अनजाने में हुई एक भूल थी। फिर भी कई मीडिया जैसे एएनआई, इकोनॉमिक टाइम्स और आज तक ने स्वयं-नियंत्रण लगाने का फैसला किया और ट्वीट को हटा लिया। ये पता होने के बावजूद कि इस भाषण का वीडियो उपलब्ध है और उनके ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स भी हैं उन्होंने ऐसा किया।
हालांकि आज तक और फर्स्टपोस्ट हिंदी ने अपनी वेबसाइट पर प्रधानमंत्री मोदी की जबान फिसलने के बारे में एक लेख लिखी है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी की गलती की सूचना दी।
जिन्होंने नहीं हटाया
हिंदुस्तान टाइम्स, डेक्कन हेराल्ड, डीएनए और रिपब्लिक अपनी बातों पर टिके रहे। प्रधानमंत्री का वक्तव्य जिस तरह से था, उसको वैसे ही सूचित किया गया और बाद में प्रधानमंत्री की गलती की पुष्टि होने बाद इसे हटाने का कोई प्रयास नहीं किया।
In 2014 after 30 years, the 600 crore Indians provided complete majority to any political party to form govt at the centre. We took the resolution for the development of everyone and not just a specific group. Our motto is 'Sabka Saath Sabka Vikas'.: PM Modi #WorldEconomicForum pic.twitter.com/9qCjvRX1X7
— Hindustan Times (@htTweets) January 23, 2018
"In 2014 after 30 years, the 600 crore Indians provided a complete majority to any political party to form govt at the centre. We took the resolution for the development of everyone and not just a specific group. Our motto is 'Sabka Saath Sabka Vikas'.": Modi addressing #Davos.
— Deccan Herald (@DeccanHerald) January 23, 2018
In 2014 after 30 years, the 600 crore Indians provided a complete majority to any political party to form govt at the centre. We took the resolution for the development of everyone and not just a specific group. Our motto is 'Sabka Saath Sabka Vikas': #PMModiAtDavos
— Republic (@republic) January 23, 2018
जो एक कदम आगे चले गए और भाषण बदल गए…
जी हां, इस पर विश्वास करें या नहीं, लेकिन ऐसे भी कुछ थे जिन्होंने इस गलती को बदलकर वह रिपोर्ट किया जो वास्तव में प्रधानमंत्री जी ने नहीं बताया।
एएनआई ने अपने मूल ट्वीट को इस ट्वीट के साथ बदल दिया।
In 2014 after 30 years, Indian voters provided complete majority to any political party to form govt at the centre. We took the resolution for the development of everyone and not just a specific group. Our motto is 'Sabka Saath Sabka Vikas'.: PM Modi #WorldEconomicForum pic.twitter.com/pWnYRZnluL
— ANI (@ANI) January 23, 2018
फर्स्टपोस्ट ने भी एएनआई के संशोधित संस्करण की सूचना दी।
"In 2014 after 30 years, Indian voters provided complete majority to any political party to form govt at the centre. We took the resolution for the development of everyone and not just a specific group," #NarendraModi says at #Davos
Follow #WEF18 #LIVE: https://t.co/ILLXOUUa3d pic.twitter.com/RIUoPlNZIK— Firstpost (@firstpost) January 23, 2018
जब पत्रकारिता की आजादी सूची 2017, में भारत को 136 अंक नीचे पाया गया, तो इसके मुख्य कारणों में एक कारण मीडिया में बढ़ते स्वयं-नियंत्रण भी था। यहां हम मीडिया का एक उदाहरण देख रहे हैं जो प्रधानमंत्री के भाषण का एक बयान दर्ज करने से भी खुद को दूर कर रही है क्योंकि इसमें एक अनजान गलती है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक भूल की, जो दुनिया को प्रसारित हो रही थी और यह एक वीडियो रिकॉर्डिंग के रूप में उपलब्ध है। फिर भी मीडिया के कुछ वर्ग इसके सभी संदर्भों को खारिज कर रहे हैं और एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार एजेंसी सहित अन्य इस गलती पर पर्दा डालने की तरफ झुक रहे हैं। एक सामान्य गलती ने भारतीय मीडिया को सरकार की आलोचना या इसे नकारात्मक दिशा में चित्रित करने का डर उजागर किया है।
अनुवाद: Priyanka Jha
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.