नहीं किरण बेदी जी! फिर से नहीं! पुड्डुचेरी की माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नर की समय-समय पर ट्विटर के अपने 1 करोड़ से ज़्यादा फॉलोवर में फ़र्जी खबर फैलाने की आदत सी दाल ली है। जैसे क्रिसमस के दिन उन्होने एक अनोखा कैलेंडर शेयर किया। वो कैलेंडर इतना अनोखा था कि उन्होंने ये भी ध्यान नहीं दिया कि यदि 25 दिसंबर, 2017 को सोमवार है तो 1 जनवरी 2018 को रविवार नहीं हो सकता! यह एक झूठी खबर थी और किरण बेदी उससे धोखा खा गईं! अब उन्होंने वो ट्वीट डिलीट कर दिया है।
आजकल जिस तरह सोशल मीडिया में वॉट्सऐप फॉरवर्ड और फर्जी फोटो फैलाए जा रहे हैं ये कोई हैरत की बात नहीं है कि कोई इनके झांसे में आ जाए। समय-समय पर हम सब फर्जी खबर का शिकार हुए हैं। लेकिन किरण बेदी लगातार झूठी खबर शेयर कर रहीं हैं।
कुछ महीने पहले, दिवाली के दिन उन्होंने एक विडियो शेयर किया जिसमें एक बूढ़ी महिला एक बहुप्रचलित गरबा गाने पे गरबा कर रही थी। उन्होंने कहा कि उस विडियो में जो महिला दिख रही है वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की माँ हैं। “97 साल की उम्र में दिवाली की ये स्पिरिट! @narendramodi की माँ अपने घर पर दिवाली मनाते हुए।”
Spirit of Deepavali at tender age of 97. She's mother of @narendramodi (Hiraben Modi -1920) celebrating Diwali at her own home👇🏼@SadhguruJV pic.twitter.com/HBXAzNXomC
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) October 20, 2017
बाद में मालूम पड़ा कि वह विडियो किसी और बूढी महिला का था जो दिवाली के मौके पर गरबा नहीं कर रहीं थी। वो विडियो 30 सितम्बर, 2017 – यानी गुजरात के 9 दिवसीय गरबा महोत्सव के ठीक बाद पोस्ट किया गया था। बेदी के ट्वीट को 21 हजार लोगों ने लाइक किया और 6 हजार लोगों ने रीट्वीट किया। वह शायद इसलिए क्योंकि उन्हें एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के द्वारा पोस्ट किये गए विडियो पर भरोसा था। यह विडियो बेदी जी ने संभवतः वॉट्सऐप से लिया होगा। लेकिन इस ट्वीट का स्पष्टीकरण इतने लोगों तक नहीं पहुँच पाया। उसे केवल 100 लोगों ने शेयर किया। जैसा कि कहा गया है, “झूठ सरपट दौड़कर आधी दुनिया घूम लेता है, तब तक सच अपने जूते के फीते ही कस रहा होता है।”
Am informed it's mistaken identity @SadhguruJV. But salute to the mother with so much vigour. I hope i can be like her if/ when I am 96..! https://t.co/5llHN40tg8
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) October 20, 2017
जनवरी 2017 में गणतंत्र दिवस के मौके पर जब बुर्ज खलीफा तिरंगे के रंगों से जगमगा रहा था तब किरण बेदी जी ने फोटो का एक संग्रह पोस्ट किया था जिसमें दुनिया के बहुत से स्मारक भारतीय तिरंगे के रंगों में जगमगा रहे थे। उन्होंने बिग बेन, बुर्ज अल अरब, लीनिंग टावर ऑफ़ पीसा, ट्विन टावर्स और स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी की फोटो शेयर की जिसमें वे हमारे तिरंगे के रंगों से जगमगा रहे थे। उन्होंने लिखा – शानदार, जय हिन्द! ज़ाहिर तौर पर ये फ़र्जी फोटो जो अब तक केवल वॉट्सऐप पर शेयर हो रही थी उसे बेदी जी ने विश्वसनीयता प्रदान की।
Fantastic. Jai Hind. pic.twitter.com/itEiCcVSEu
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) January 27, 2017
लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती। साल 2016 में भी किरण बेदी जी फ़र्जी खबर फैलाते हुए पकड़ी गयी थी। उन्होंने उनके ऊपर भरोसा करने वाले अपने फॉलोवर्स के साथ प्रधानमंत्री मोदी की एक अपील शेयर की जिसमें वे भारतीय जनता से आव्हान कर रहे हैं कि वे दिवाली के दौरान सिर्फ भारतीय प्रोडक्ट खरीदें। शायद उन्हें पता नहीं था की कुछ ही महीने पहले पीएमओ ने ऐसी फ़र्जी अपीलों से बचने के लिए चेतावनी दी थी। बेदी जी ने बहुत से लोगों और SMHoaxSlayer द्वारा इस ट्वीट की सच्चाई बताए जाने के बावजूद उसको डिलीट नहीं किया।
PMs message for all of us, asking us to buy only Indian made products for this diwali. Please send out this appeal.. pic.twitter.com/n4vcObzxYN
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) September 27, 2016
Few appeals with PM’s ‘signature’ are circulated on social media. Such documents are not authentic. pic.twitter.com/9AOcvHStFu
— PMO India (@PMOIndia) August 31, 2016
अब तक केवल खबरों और सूचनाओं को सत्यापित करने की ज़हमत उठाए बिना फॉरवर्ड करने के मामले बतलाए गए हैं लेकिन एक बार किरण बेदी फर्जी खबर की मूल स्रोत भी रहीं हैं। किरण बेदी जी ने दावा किया था की 1982 में ट्रैफिक नियम के उल्लंघन के लिए उन्होंने इंदिरा गाँधी की गाडी को उठवा लिया था। ये उनके ट्विटर परिचय का भी हिस्सा था। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि किरण बेदी का रिकॉर्ड बेहतरीन रहा था लेकिन इस प्रकरण ने उनके व्यक्तित्व को एक अलग ही ऊंचाई प्रदान की! जिसने भी एक युवा आदर्शवादी आईपीएस अफसर की देश की सबसे शक्तिशाली महिला के ख़िलाफ़ खड़े होने की ये कहानी सुनी वह निश्चित ही प्रभावित हुआ।
U do remember the former cop who towed PM's car for traffic violation. Meet @thekiranbedi in person at #Mindrocks on Sept 21 at Siri Fort
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) September 19, 2013
दिल्ली चुनावों में किरण बेदी किरण बेदी सीएम प्रत्याशी घोषित कर दी गईं थी। उस दौरान सामने आया कि वह गाड़ी उन्होंने नहीं बल्कि सब-इंस्पेक्टर निर्मल सिंह ने उठवाई थी। जहां किरण बेदी को इस प्रकरण के बाद “क्रेन बेदी” का तमगा मिला वहीं निर्मल सिंह का ज़िक्र किसी ने भी नहीं किया। पूरी कहानी लोगों के सामने 2015 में ही आ गयी थी। तब से उनका ट्विटर परिचय भी बदल गया है और उसमें से कार का ज़िक्र गायब है।
किरण बेदी की सोशल मीडिया पर गलतियों की लिस्ट लम्बी है। शायद ये उनका खराब जजमेंट दिखाता है या फिर उनकी चीज़ों पर आसानी से यकीन कर लेने की प्रवृत्ति है जिसके चलते वे अक्सर वॉट्सऐप पर चल रही फ़र्जी फोटो और खबरों से धोखा खा जाती हैं। शायद वे अपने वॉट्सऐप के ग्रुप में आई हुई खबरों और तस्वीरों को विश्वसनीय मानती हैं। हैरत की बात यह है कि उन्होंने बहुत बार बताए जाने पर भी ये पोस्ट डिलीट नहीं किये। हम कई बार उनके द्वारा शेयर किये गए फ़र्जी पोस्ट को मज़ाक में उड़ा देते हैं लेकिन इतने बड़े पद पर बैठे एक व्यक्ति से सोशल मीडिया पर और ज़्यादा सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।
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