30 जनवरी को, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में जामिया के छात्रों पर एक नाबालिग लड़के ने गोली चलाई थी। इस घटना के बारे में उसी दिन प्रकाशित NDTV की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वविद्यालय के मास कम्युनिकेशन के छात्र शादाब फारूक इस फायरिंग में घायल हुए थे। गोली चलाने वाले व्यक्ति का सम्बन्ध कथित तौर पर बजरंग दल से किया जा रहा है, हालांकि संगठन ने इस बात से इनकार किया है।

फर्स्टपोस्ट और टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे ही कुछ अन्य मीडिया संगठन ने फ़ारुक़ की एक तस्वीर साझा की है, जिसमें एक महिला घायल छात्र को वहां से ले जा रही है। कई तस्वीरों में, एक लाल रंग की बोतल को देखा जा सकता है। लाल रंग की बोतल की वजह से कई विवाद शुरू हुए। अभिजीत अय्यर मित्रा ने फ़ारुक़ की दो तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “यह लाल रंग की बोतल क्या है? किसी को कोई आईडिया है?” (अनुवाद) इसे करीब 2000 बार रिट्वीट किया गया है। दक्षिणपंथी न्यूज़ वेबसाइट ओपइंडिया के CEO, राहुल रोशन ने मिश्रा की ट्वीट को रिट्वीट करके लिखा है, “खून ट्रांसफर करने की क्षमता वाली पोर्टेबल बोतल।” (अनुवाद)

फिल्मनिर्माता विवेक अग्निहोत्री ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, “उनके बाएं हाथ में लाल रंग की क्या चीज़ लटक रही है? क्या यह पोल है? एक बोतल?” (अनुवाद)

ट्विटर उपयोगकर्ता @MrutyunjayNJ ने यह आरोप लगाया कि वास्तव में गोलियां चलाई ही नहीं गयी। उन्होंने लिखा, “1. छोटे खून के धब्बे। 2. हाथ में लाल रंग की बोतल। 3. ग्लूकोज़ की बोतल से सप्लाई। ह्रदय की गति को मापने का मशीन और बड़ा प्लास्टर। ऐसा लगता है कि उस व्यक्ति ने अभी गोली चलाई और लड़के ने बोतल से लाल रंग को लगा दिया। यह वही बूलेट है जिसे फिल्मों में इस्तेमाल किया जाता है।” (अनुवाद)

31 जनवरी को, सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज के एक पूर्व छात्र (फेसबुक परिचय के अनुसार), ने वायरल तस्वीर को फेसबूक पर साझा करते हुए दावा किया कि फ़ारुक़ की चोट नाटकीय प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने लिखा, “और अगर आप गौर से देखेंगे तो मालूम होगा कि खून चोट से विपरीत जगह पर दिखाई देता है!!!”

फेसबुक और ट्विटर पर इस तस्वीर को साझा करते हुए कई उपयोगकर्ताओं ने इस लाल रंग की बोतल की भूमिका पर निशाना साधा है। ऑल्ट न्यूज़ के अधिकृत व्हाट्सएप नंबर ((+91 76000 11160) और मोबाइल एप्लिकेशन पर इस तस्वीर की जांच करने के लिए कुछ अनुरोध प्राप्त हुए है।

पानी की बोतल के ज़रिए झूठा प्रचार

ऑल्ट न्यूज़ ने ट्विटर पर की-वर्ड्स से सर्च किया और हमें CNN न्यूज़ 18 के पत्रकार साहिल मुरली मेंघानी की एक ट्वीट मिली। मेंघानी ने तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, “शादाब का खून बहते हुए देखा जा सकता है। जामिया गन हमला।” (अनुवाद)

30 जनवरी को, अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने फ़ारुक़ की दूसरे एंगल से ली गई तस्वीर को ट्वीट कर मित्रा को जवाब देते हुए लिखा, “अगर आप ध्यानपूर्वक अन्य एंगल से ली गई तस्वीर को देखेंगे – एक अलग दृष्टिकोण से – तो आप देख सकेंगे कि पानी की बोतल एक अलग महिला ने पकड़ी है, जो कि घायल व्यक्ति की मदद भी कर रही है। यह देखना आश्चर्यजनक है कि आप झूठा प्रोपगंडा फ़ैलाने के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं” (अनुवाद)

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल हो रही तस्वीर और महमूदाबाद द्वारा साझा की गई तस्वीर की तुलना की। वायरल तस्वीर में, बोतल को पीले रंग से घेरा लगाया गया है, जिसमें उसका पट्टा दिखाई नहीं दे रहा है। महमूदाबाद की तस्वीर में, पट्टे को साफ तौर पर देखा जा सकता है, जिस पर ऑल्ट न्यूज़ ने लाल रंग से घेरा बनाया है।

फ़ारुक़ की मदद करने वाली महिला जामिया मिल्लिया की इकोनॉमिक्स की छात्रा मिद्धत समरा (Midhat Samra) हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने समरा से बात की और उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि, “लाल रंग की बोतल पानी की बोतल ही है।” समरा ने पानी के बोतल की तस्वीर भी साझा की है।

अंत में, लाल रंग की बोतल और चोट को कई दक्षिणपंथी हैंडल ने षड्यंत्र सिद्धांत का प्रचार के लिए इस्तेमाल किया, मगर यह एक पानी की बोतल निकली।

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.