कर्नाटक विधानसभा चुनाव का मतदान 10 मई को सम्पन्न हुआ. इस चुनाव को लेकर कर्नाटक चुनाव आयोग ने 7 मई को एक प्रेस नोट जारी की थी जिसमें चुनाव से पहले कुछ गाइडलाइन्स जारी की गई थी. इस प्रेस नोट के 14वें पॉइंट के (f) सेक्शन में एलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन जारी की गई है. इसमें साफतौर पर लिखा है कि The Representation of the People Act, 1951 की धारा 126 किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी चुनावी सामग्री, या इससे जुड़ी अन्य बातों को टेलीविज़न, सिनेमैटोग्राफी या इसी तरह के उपकरण पर प्रदर्शित करने पर रोक लगाती है.

यानी, चुनाव आयोग कि गाइडलाइन्स के मुताबिक, 8 मई को शाम 6 बजे के बाद से लेकर 10 मई के शाम 6 बजे की अवधि के दौरान किसी भी चुनावी सामग्री, या इससे जुड़ी अन्य बातों को टेलीविज़न, सिनेमैटोग्राफी या इसी तरह के अन्य मीडियम (सोशल मीडिया) पर प्रदर्शित करने पर रोक लगाई गई थी.

हम बीते कुछ महीनों से फ़ेसबुक कि पैरेंट कंपनी Meta के Ad Library Report पर रिसर्च कर रहे हैं जिसमें हम राजनीतिक पार्टियों और उनसे जुड़े पेजों द्वारा फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर चलाए जा रहे राजनीतिक विज्ञापनों को मॉनिटर कर रहे हैं. हमने पहले भी 2 (पहली रिपोर्ट, दूसरी रिपोर्ट) ऐसे रिपोर्ट पब्लिश किये जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी पार्टियों और नेताओं को टारगेट करने के लिए प्रॉक्सी पेजों के जरिए राजनीतिक विज्ञापन चलाया था.

कर्नाटक चुनाव को लेकर हम इन राजनीतिक पार्टियों और उनसे जुड़े पेजों द्वारा चलाए जा रहे विज्ञापनों को लगातार मॉनिटर कर रहे थे.

इसी क्रम में हमने मेटा के Ad Library Report में रिसर्च करते हुए पाया कि चुनाव आयोग द्वारा जारी कि गई गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित 48 घंटों (8 मई के शाम 6 बजे के बाद 9 मई और 10 मई) में भाजपा से जुड़े फ़ेसबुक पेज ‘Nam Namo – ನಮ್ ನಮೋ’ ने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर चुनाव से जुड़े मुद्दों के साथ राजनीतिक विज्ञापन चलाया है. इसी दौरान भाजपा से जुड़े फ़ेसबुक पेज ने चुनाव आयोग के नियमों का उलंघन करते हुए विज्ञापन चलाये. हमने देखा कि 10 मई, यानी चुनाव के दिन इस पेज द्वारा फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर 64 विज्ञापन चलाए जा रहे थे.

नीचे 10 मई को ‘ऐक्टिव स्टेटस’ फ़िल्टर के साथ दिए गए स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि 64 रिज़ल्ट है. भाजपा से जुड़े फ़ेसबुक पेज ‘Nam Namo – ನಮ್ ನಮೋ’ के ‘एक्टिव स्टैटस’ फ़िल्टर के साथ Meta Ad Library के ऑफलाइन वर्ज़न को हम (MHTML और pdf) फॉर्मेट में अटैच कर रहे हैं.

इन सभी विज्ञापन का डेमोग्राफ़िक टारगेट 100% कर्नाटक था.

इस पेज का डिसक्लेमर मेटा के ऐड्वर्टाइज़िंग स्टैन्डर्ड का पालन नहीं करता है.

फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा की विज्ञापन पॉलिसी के मुताबिक, जब कोई विज्ञापनदाता अपने विज्ञापन को सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति से संबंधित के रूप में वर्गीकृत करता है, तो उन्हें डिसक्लेमर में ये बताना होगा कि विज्ञापन के लिए भुगतान किसने किया. इस पेज के डिसक्लेमर में आधी-अधूरी जानकारी मौजूद है.

पिछले महीने हमने ऐसी ही 23 वेबसाइट्स के एक नेटवर्क का खुलासा किया था जिसके ज़रिए सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने फ़ेसबुक पर विपक्षी पार्टियों और नेताओं को टारगेट करते हुए राजनीतिक विज्ञापन चलाया था. इन वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेज के डिसक्लेमर में आधी-अधूरी जानकारी थी. और उसमें विज्ञापनदाता के नाम पर या तो वेबसाइट का नाम था या फिर उसी पेज का नाम था जिसके द्वारा ये विज्ञापन चलाया जा रहा था. हमने इन पेजों के बारे में मेटा को जानकारी दी थी. हमारी रिपोर्ट आने के बाद मेटा ने 9 पेजों के विज्ञापन को चलने के बाद ये कहते हुए हटाया था कि इन पेजों के डिसक्लेमर हमारे ऐड्वर्टाइज़िंग स्टैन्डर्ड का पालन नहीं करता है.

Alt News Impact

हमने इस पेज (Nam Namo – ನಮ್ ನಮೋ), और ऐसा ही पैटर्न फॉलो करने वाले कुछ और पेज के बारे में मेटा को 20 अप्रैल को सूचित किया था जिसमें हमने तत्कालीन आगामी कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर भी इस पेज के बारे में मेटा को लिखकर जवाब मांगा था. मेटा की तरफ से 10 मई तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.

हमने इस पेज द्वारा चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स का उलंघन करने से जुड़ी जानकारी फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा को चुनाव के दिन यानी 10 मई को बताई.

11 मई को फ़ेसबुक के प्रवक्ता ने हमें जवाब दिया “We have deleted the page that was highlighted to us”A Meta Spokesperson. जिस पेज के बारे में हमने मेटा को इन्फॉर्म किया था, उस पेज को मेटा ने डिलीट कर दिया है.

नीचे दिए स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि किस प्रकार इस पेज के नाम के नीचे लिखा है ‘Page has been unpublished or deleted) पेज को अप्रकाशित या डिलीट कर दिया गया है. फ़ेसबुक द्वारा इस पेज को डिलीट किये जाने के बाद वाले वर्जन के Ad Library का ऑफलाइन वर्ज़न हम (MHTML और pdf) फॉर्मेट में अटैच कर रहे हैं.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).