DMK घोषणा-पत्र पेज 112..मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण करके कब्जा जमाए लोगों को नियमित किया और स्वामित्व हस्तांतरित किया जाएगा। पेज 85..अतिक्रमित वक्फ संपत्तियों को फिर से हासिल किया जाएगा और वक्फ को सौंप दिया जाएगा (अनुवाद)” -यह ट्वीट, मधु किश्वर ने 21 मार्च को किया था। उनके ट्वीट को 7000 से अधिक बार रिट्वीट किया गया है।

तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र 19 मार्च को जारी किया था, जिसमें उसने कई वादों की घोषणा की थी। यह दावा करते हुए कि घोषणा-पत्र के पेज 85 और 112 में सुझाव दिया गया है कि अतिक्रमण की गई वक्फ संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को फिर से सौंप दिया जाएगा, जबकि मंदिर की जमीनों पर अतिक्रमण के मामले में, उन्हें नियमित करके अतिक्रमणकारियों को स्वामित्व हस्तांतरित किया जाएगा; किश्वर ने पार्टी के घोषणापत्र में बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ भेदभाव का इशारा किया है।

किश्वर के ट्वीट को एक सोशल मीडिया यूजर द्वारा उद्धृत करते हुए ट्वीट किया गया, जिसे करीब 1300 बार रिट्वीट किया गया है। ऐसे ही, एक अन्य कोट ट्वीट को अब तक 600 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चुका है।

घोषणा-पत्र में कुछ और ही लिखा है

इस घोषणा पत्र की प्रति DMK की वेबसाइट पर उपलब्ध है। आल्ट न्यूज़ ने घोषणा पत्र के अंग्रेजी संस्करण को देखा और पाया कि पूरा घोषणापत्र केवल 76 पेज का है। इसमें कोई पेज 85 और 112 नहीं है।

यही बात DMK प्रवक्ता द्वारा ट्वीट के मार्फत दोहराई गई है।

यही नहीं, आल्ट न्यूज़ ने इस घोषणा-पत्र में कहीं वक्फ बोर्ड या मंदिर भूमि पर अतिक्रमण का कोई संदर्भ नहीं पाया। धार्मिक मामले से संबंधित एकमात्र खंड घोषणा-पत्र के आखिर में पेज 69 पर मिला, जिसका शीर्षक है — “धर्मों और धार्मिक सद्भाव की रक्षा – (अनुवाद)”।

2016 के घोषणा-पत्र में वक्फ बोर्ड और मंदिर की भूमि का संदर्भ

ऑल्ट न्यूज ने पाया कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और मंदिर की जमीनों के संरक्षण का संदर्भ, तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले, 2016 के पार्टी घोषणा-पत्र में शामिल किया गया था। पेज 84 पर ‘अल्पसंख्यकों का कल्याण’ खंड में यह उल्लेख किया गया है, “वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को अतिक्रमणों से मुक्त कराया और संरक्षित किया जाएगा – (अनुवाद)।”

जहां तक मंदिर की जमीनों के संरक्षण का सवाल है, पेज 111 पर, ‘हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग’ खंड के तहत, उस घोषणा-पत्र में साफ कहा गया है, “मंदिर की भूमि पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्राप्त होने वाले किराए को विनियमित करने और एकत्र करने के अलावा, मंदिरों की खाली भूमि के संरक्षण के लिए एक भूमि बैंक की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में उच्चस्तरीय समिति का गठन, उन लोगों की मांग पर विचार करने के लिए किया जाएगा, जो मंदिर की जमीन को कानूनी प्रक्रिया के तहत खरीदने की पेशकश कर रहे हैं – (अनुवाद)।” इस प्रकार, DMK के 2016 के घोषणा-पत्र में वक्फ की संपत्ति और मंदिर भूमि का संरक्षण, दोनों को संदर्भित किया गया है।

यह दोहराया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए DMK के घोषणा-पत्र में वक्फ बोर्ड या मंदिर भूमि के अतिक्रमण का कोई संदर्भ ही नहीं है। इस प्रकार, मधु किश्वर का दावा गलत है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.