ओडिशा के सुंदरपाड़ा, भुवनेश्वर में 25 अक्टूबर को दिवाली की रात एक युवक की हत्या कर दी गई। इसके बाद मीडिया में इस हत्या के पीछे का मकसद “पटाखे फोड़ना” बताया गया। कुछ स्थानीय खबरों को छोड़कर, अधिकांश समाचार संगठनों ने कहा कि पटाखे फोड़ने को लेकर अमरेश नायक की हत्या की गई।
सुदर्शन न्यूज़ ने इस घटना में हिंदू समाज के नेता कमलेश तिवारी की हत्या जैसी समानताएं व्यक्त कीं और नायक की मौत के पीछे “धार्मिक कट्टरपंथियों” का हाथ बताया।
दक्षिणपंथी वेबसाइट ओपइंडिया ने भी हत्या को “लिंचिंग” करार दिया।
सोशल मीडिया पर घटना का साम्प्रदायीकरण
इस घटना से सोशल मीडिया में काफी आक्रोश देखने को मिला। कई उपयोगकर्ताओं ने दिवाली के अवसर पर भी पटाखे फोड़ने में “हिंदुओं” की असमर्थता पर रोष व्यक्त किया।
Amaresh Nayak of BDA Colony in Sundarpada, was attacked by a sword after a heated argument with a couple of people over bursting crackers on Diwali.
So Hindus can’t even burst crackers on Diwali in this country. pic.twitter.com/P72HCJ9UMm— Anurag (@ianuragsaxena) October 28, 2019
कई ने नायक की धार्मिक पहचान पर ज़ोर दिया और इस प्रकार, इस अपराध को सांप्रदायिकता से प्रेरित बताया गया।
Hindu youth butchered for bursting crackers
A hindu youth Amaresh Nayak hacked to death in Bhuvaneshvar, for bursting crackers on Deepavali
He was attacked with swords and hacked to Death
Posted by Vinay Biswal on Monday, 28 October 2019
गलत जानकारी प्रसारित करने के लिए बदनाम ट्विटर हैंडल @RealHistoriPix से इस हत्या के लिए ‘शांतिप्रिय लोगों (Peacefuls)’ को दोषी ठहराया गया। ‘शांतिप्रिय’ मुस्लिम समुदाय का अपमानजनक तरीके से ज़िक्र करने के लिए सोशल मीडिया में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।
कोई साम्प्रदायिक एंगल नहीं: पुलिस
ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में भुवनेश्वर के डीसीपी अनूप साहू ने यह बताया कि पीड़ित और आरोपी एक ही समुदाय के हैं, उन्होंने कहा- “सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है। इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है”। उन्होंने बताया कि पुलिस ने 10-12 लोगों की पहचान कर ली है, लेकिन सही संख्या का पता गिरफ्तारी के बाद ही लगेगा ।
28 अक्टूबर को, डीसीपी साहू ने मीडिया को बताया था, “वैज्ञानिकों की टीम ने पूरे दृश्य का निरीक्षण किया और नमूने एकत्र किए। घटनास्थल पर बिना फटे हुए पटाखे के कई बम पाए गए, हालांकि, अभी तक तय होना बाकी है कि उन्हें हत्या से पहले रखा गया था या बाद में।” अधिकारी ने यह भी कहा कि मामले में मृतक और पहचाने गए दूसरे लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज़ थे। स्थानीय खबरों में क्षेत्र के लोगों के इसी तरह के आरोप हैं कि नायक कई आपराधिक मामलों में शामिल था।
पटाखे फोड़ने के लिए नहीं हुई हत्या; सामूहिक झगड़ा
डीसीपी साहू ने बताया कि इस हत्या के पीछे का मकसद “पटाखे फोड़ना” नहीं था- “नहीं, वास्तव में दो गुटों के बीच बहस हुई थी। यह अचानक से इसीलिए नहीं हुआ था कि उसने पटाखे फोड़ दिए थे।” अधिकारी ने बताया कि दोनों गुटों ने “पहले की दुश्मनी” की वजह से लड़ाई की और एक मामूली विवाद, पहले मारपीट और बाद में पीड़ित की मौत का कारण बना।
अधिकांश मीडिया रिपोर्टों में अनावश्यक रूप से यह धारणा रखी गई कि नायक को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया था। जबकि, ओम्मकोम न्यूज़ की खबर के अनुसार यह सामूहिक झड़प थी जिसमें दो अन्य लोग भी घायल हुए थे।
स्थानीय खबरें
पुलिस ने शुरू में एक स्थानीय पूर्व ठेकेदार मंटू नंदा को हिरासत में लिया था क्योंकि शिकायत में उनका नाम दर्ज़ था। उड़ीसा टीवी ने बताया कि नंदा को उनके समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद रिहा कर दिया गया।
इस मामले में एक शिकायतकर्ता, देबी प्रसाद सेठी ने कथित आरोपियों में से कुछ के नाम दिए – “हम उत्सव मना रहे थे और साथ ही पटाखे फोड़ रहे थे तभी कुछ युवक आए और हमें उत्सव रोकने के लिए कहा। उनमें से एक युवक रघुआ ने हम पर बंदूक तान दी, जबकि दो अन्य, कुना और बाबुल ने हम पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। मैं किसी तरह मौके से भागने में सफल रहा और अमरेश के परिवार को इस मामले की जानकारी दी।”
इस मामले में पुलिस और शिकायतकर्ताओं के बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि घटना की वजह सांप्रदायिक नहीं थी, बल्कि यह दो विरोधी गुटों के बीच शुरू हुए विवाद के कारण हुआ था। मीडिया की खबरों में हत्या के पीछे ”पटाखे फोड़ने” को मकसद बताया। लेकिन, पीड़ित और आरोपी के एक ही समुदाय का होने और “व्यक्तिगत और पिछली दुश्मनी” के कारण हमला होने जैसे महत्वपूर्ण विवरण खबरों में नहीं रखे गए। इसके बाद ही सांप्रदायिकता भरे झूठे दावों को सोशल मीडिया में बढ़ावा मिला। इसके अलावा, खबरें मृतक के आसपास केंद्रित रहीं और यह नहीं बताया गया कि यह हमला सामूहिक झगड़ा था।
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