ताले से बंद एक कब्र की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. मीडिया रिपोर्ट्स में इसे पाकिस्तान में नेक्रोफ़िलिया के बढ़ते मामलों से जोड़ा जा रहा है. साथ ही दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर इस बात का उदाहरण है कि कैसे पाकिस्तान में मां-बाप अपनी बेटियों की कब्रों को बलात्कार से बचाने के लिए ताला लगाकर बंद कर देते हैं.

ANI Digital ने इस दावे के साथ तस्वीर ट्वीट किया. उनके आर्टिकल के टाइटल का हिंदी अनुवाद है, ‘पाकिस्तानी में मां-बाप अपनी बेटियों की कब्रों को रेप से बचाने के लिए लॉक कर देते हैं.’ इस आर्टिकल में उन्होंने डेली टाइम्स के एक आर्टिकल का हवाला देते हुए बताया कि पाकिस्तान में मां-बाप अपनी मृत बेटियों को उनकी कब्रों पर ताला लगाकर रेप से बचाते हैं. वायरल तस्वीर को ANI के आर्टिकल में भी इस्तेमाल किया गया है. इस आर्टिकल के कैप्शन का हिंदी अनुवाद है, ‘पाकिस्तानी मां-बाप बेटियों की कब्रों को बंद कर रहे हैं ताकि उनकी लाशों को रेप से बचाया जा सके.’ उन्होंने इस तस्वीर के लिए ट्विटर को क्रेडिट दिया है. (आर्काइव)

कई प्रमुख न्यूज़ आउटलेट्स ने अपने सिंडिकेटेड फ़ीड से ANI की रिपोर्ट पब्लिश की. टाइम्स ऑफ़ इंडिया उनमें से एक है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ANI जैसी ही तस्वीर का इस्तेमाल किया. (आर्काइव)

NDTV ने अपनी रिपोर्ट में भी इस तस्वीर का इस्तेमाल किया है. ये स्टोरी भी एक सिंडिकेटेड फ़ीड से है जिसका मतलब है कि NDTV ने भी ANI की तरह ही डेली टाइम्स के आर्टिकल को कोट किया है. (आर्काइव)

ज़ी न्यूज़ ने इस दावे एक वीडियो रिपोर्ट भी पब्लिश की जिसमें उन्होंने इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया. (आर्काइव)

हिंदुस्तान टाइम्स ने एक आर्टिकल में इसी तस्वीर के साथ रिपोर्ट किया बाद में इसे डिलीट कर दिया गया.

कई अन्य मीडिया संगठनों ने अपनी रिपोर्ट में इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया। इनमें मिरर नाउ, द प्रिंट, इंडिया टुडे, वियॉन, इंडिया टीवी, टाइम्स नाउ, DNA इंडिया, ऑपइंडिया हिंदी, न्यूज़24, ABP न्यूज़, अमर उजाला, न्यूज़18, फ़र्स्टपोस्ट और जागरण शामिल हैं. इनमें से ज़्यादातर ख़बरें ANI के सिंडिकेटेड फ़ीड से थीं.

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‘द कर्स ऑफ़ गॉड – व्हाई आई लेफ्ट इस्लाम’ किताब के लेखक हैरिस सुल्तान ने भी ये तस्वीर पाकिस्तान का बताते हुए ट्वीट किया. उन्होंने आगे कहा, “…..जब आप बुर्के को रेप से जोड़ते हैं तो ये आपके पीछे-पीछे कब्र तक जाता है.” ऊपर बताए गए कई न्यूज़ मीडिया आउटलेट्स ने अपनी रिपोर्ट में हैरिस के ट्वीट का इस्तेमाल किया है. (आर्काइव)

‘जिहाद वॉच’ के निदेशक रॉबर्ट स्पेंसर ने तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘पाकिस्तान: नेक्रोफ़िलिया को रोकने के लिए मृत बेटियों की कब्रों पर माता-पिता ताला लगाते हैं.’ (आर्काइव)

ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबर @MrSinha_, @instalog9ja, @ImtiazMadmood, Pakistan Untold और @TheSkandar सहित अन्य यूज़र्स ने भी यही तस्वीर ट्वीट की है और इसे पाकिस्तान में नेक्रोफ़िलिया के बढ़ते मामलों से जोड़ा है.

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फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले हमने ये नोटिस किया कि ANI की स्टोरी में डेली टाइम्स के जिस आर्टिकल का ज़िक्र किया गया था, उसमें तस्वीर मौजूद नहीं थी.

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि मीडिया संगठनों द्वारा इस्तेमाल की गई तस्वीर दरअसल हैदराबाद के एक कब्रिस्तान की थी. ये कब्रिस्तान मस्जिद ई सालार मुल्क के सामने स्थित है जो दराब जंग कॉलोनी, मदनपेट, हैदराबाद में है. नीचे कब्रिस्तान के गूगल स्ट्रीट व्यू की एक तस्वीर है जहां ताला लगे कब्र को साफ तौर पर देखा जा सकता है.

हमने पाठकों की सुविधा के लिए गूगल स्ट्रीट व्यू पर मस्जिद ई सालार मुल्क से कब्रिस्तान को सर्च करने का तरीका भी स्क्रीन-रिकॉर्ड किया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने अब्दुल जलील नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता से संपर्क किया जो हैदराबाद के रहने वाले हैं. हमारे रिक्वेस्ट पर उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया और हमें कब्र की तस्वीरें भेजीं.

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वायरल तस्वीर के साथ इन तस्वीरों की तुलना करने से पता चलता है कि ये एक ही कब्र है. हरे रंग के तालाबंद गेट के अलावा, कब्र का पत्थर और कब्र की स्थिति भी एक जैसी है.

अब्दुल जलील ने मस्जिद ई सालार मुल्क के मुअज्जिन मुख्तार साहब से बात की. मुख्तार साहब ने कहा कि ताला बंद कब्र जो लगभग डेढ़ से 2 साल पुरानी थी, संबंधित समिति की अनुमति के बिना बनाई गई थी. ये प्रवेश द्वार के ठीक सामने स्थित है जिससे रास्ते में रूकावट हो जाती है. इस मुद्दे पर मस्जिद कमेटी के सदस्यों के बीच आठ दिनों तक चर्चा हुई.

ग्रिल या जाली के पीछे का कारण बताते हुए मुख्तार ने कहा, “बहुत से लोग यहां आते हैं और बिना अनुमति के पुरानी कब्रों पर शवों को दफना देते हैं. जिन लोगों के करीबी यहां पहले से दफ़न हैं, वो यहां फतेहा पढ़ने आते हैं तो उन्हें इससे शिकायत होती है. किसी भी शव को इसके उपर न दफनाया जाय इसलिए परिवारों ने वहां ग्रिल लगा दी है.”

मुख्तार को जब ये बताया गया कि क़ब्र की तस्वीर पाकिस्तान के दावे के साथ वायरल है, उन्होंने इसका खंडन किया और कहा कि ग्रिल का निर्माण लोगों को कब्र पर मुहर लगाने से रोकने के लिए भी किया गया था क्योंकि ये प्रवेश द्वार के ठीक सामने था. मुख्तार ने कब्रिस्तान के पते की पुष्टि मदन्नापेट, दरब जंग कॉलोनी के रूप में की जो पहले बताए गए ऑल्ट न्यूज़ के जांच के निष्कर्षों से मेल खाता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने एक स्थानीय निवासी से भी बात की जिसका घर मस्जिद के पास है. उसने हमें बताया कि कब्र एक बूढ़ी औरत की है जो सत्तर साल की उम्र में चल बसी थी. उसके बेटे ने दफनाने के लगभग 40 दिनों के बाद कब्र के ऊपर ग्रिल बनाया था.

कुल मिलाकर, पैडलॉक वाली कब्र की एक तस्वीर इंटरनेट पर इस ग़लत दावे के साथ वायरल है कि ये पाकिस्तान से है जहां मां-बाप अपनी बेटियों की कब्र पर ताला लगा रहे हैं ताकि उनका रेप न किया जा सके. टाइम्स ऑफ़ इंडिया, न्यूज़18, टाइम्स नाउ, NDTV और द प्रिंट जैसे कई प्रमुख न्यूज मीडिया आउटलेट्स ने ANI की रिपोर्ट के बाद वायरल तस्वीर के साथ सिंडिकेटेड रिपोर्ट पब्लिश की हैं. दरअसल, ये कब्र हैदराबाद के मदन्नापेट में एक कब्रिस्तान में स्थित है. इसका पैडलॉक का नेक्रोफ़िलिया या पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं था.

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