इस सप्ताह दो प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों ने, दो मुस्लिमों द्वारा एक साधु को पीटे जाने की घटना की खबर दी। इसमें बुरी तरह चोट खाए साधु की तस्वीर के साथ, बताया गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रशंसा करने पर मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों द्वारा इस साधु की पिटाई की गई थी। 24 मार्च को दैनिक जागरण ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था — “दौलतपुर में योगी की तारीफ करने पर संन्यासी को किया मरणासन्न”।

दैनिक जागरण ने लिखा, “सजेती थाने के क्षेत्र के दौलतपुर गाँव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करने पर संन्यासी को पीटे जाने का मामला सामने आया है। गुरुवार की रात, नशे में धुत्त होकर मंदिर में घुसे एक पक्ष के दबंगों ने संन्यासी को लात-घूंसों और डंडों से पीटकर बेदम कर दिया। शुक्रवार सुबह संन्यासी को एक ग्रामीण अस्पताल ले गया तो उसे भी पीटा। घटना को लेकर ग्रामीणों में रोष है।”

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मनोज बाबा नामक साधु जो काली देवी मंदिर परिसर में स्थित एक आश्रम में रहते हैं, वे हनुमान मंदिर के बाहर लोगों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले में व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा की। रिपोर्ट के अनुसार, इस स्थान पर एक पक्ष/समुदाय के लोग (मुस्लिम) भी मौजूद थे।

इस लेख के अनुसार, साधु ने कहा कि जब वह आश्रम की ओर बढ़ रहे थे, कुछ लोग मंदिर में आए और उन्होंने यह कहते हुए हमला कर दिया कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करके दुश्मनी फैला रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को साधु को निजी अस्पताल ले जाने वाले रामबाबू निषाद को भी उपद्रवियों ने पीटा था। लेख में आगे कहा गया है कि मनोज बाबा ने पुलिस को बयान दिया है और शिकायत दर्ज कराई है। लेख में यह भी कहा गया है कि आरोपी नूर बख्श और नूर अली के लिए तलाशी अभियान चल रहा है।

राजस्थान पत्रिका ने भी इस घटना की खबर ऐसी ही जानकारी के साथ दी, लेकिन बाद में कानपुर नगर पुलिस के एक ट्वीट के साथ अपनी स्टोरी को अपडेट किया। शीर्षक, ताजा अपडेट के अनुसार बदल दिया गया, लेकिन लेख का हाइपरलिंक अभी भी वही है, “some-villager-beaten-to-saint-due-to-praises-of-the-yogi” (योगी की प्रशंसा पर कुछ ग्रामीणों ने साधु को पीटा)। लेख के प्रारंभिक संस्करण का स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है।

पुलिस ने किया गलत खबर का भंडाफोड़

कानपुर पुलिस ने योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा पर मुस्लिमों द्वारा साधु की पिटाई संबंधी खबरों का भंडाफोड़ किया। कानपुर नगर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, “दि0 21-03-19 की रात मे पुजारी द्वारा नशे की स्थिति में स्वयं को मंदिर पर सिर पटकने से चोटआयी थी जिन्हे सुबह छुन्ना, सुरेश व रामबाबू द्वारा दवा दिलाने गये थे,लौटते समय रास्ते में झगड़ा हुआ था जिसमे थाना सजेती पर NCR पंजी0 कर धारा 151 CrPCकी कार्यवाही की गयी है।अन्य आरोप असत्य है।”

ऑल्ट न्यूज़ ने इस घटना के बारे में पूछताछ करने के लिए सजेती पुलिस थाने से संपर्क किया। सजेती पुलिस थाने के थाना प्रभारी, अमरेंद्र बहादुर सिंह ने ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में कहा :

“मंदिर में साधु की पिटाई के बारे में कथा, जो मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई, झूठी है। पुलिस को दिए गए मनोज बाबा के बयान के अनुसार, उस रात वह नशे की अवस्था में एक पेड़ पर चढ़ने/लटकने की कोशिश कर रहे थे जहाँ से वह गिर गए और घायल हो गए। वह उसी जगह बेसुध पड़े थे और अगली सुबह ग्रामीणों द्वारा उन्हें जगाया गया। रामबाबू [निषाद] सहित ग्रामीण अगली सुबह उन्हे अस्पताल ले गए, जब वे अस्पताल से लौट रहे थे, ग्रामीणों के साथ उनकी हाथापाई हो गई। यह सब तब हुआ, जब उनकी गाड़ी वहाँ दुर्घटना ग्रस्त होते होते रह गयी थी जहां कुछ बच्चे खेल रहे थे, जिसके बाद ग्रामीणों को रामबाबू पर गुस्सा आया, जो नशे में थे और कार चला रहे थे। रामबाबू को भीड़ ने पीटा और बाद में रामबाबू मनोज बाबा कोपुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए ले गए। रामबाबू ने एक आवेदन लिखा और मनोज बाबा को उस पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, जो उन्होंने किया। लेकिन बाद में, इस मामले में चिकित्सा जांच के लिए जाने से उन्होंने इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने खुद पर मंदिर में कोई हमला होने से मना किया था। उनकी यह बात रिकॉर्ड में है कि दो मुस्लिम लड़कों द्वारा पिटाई के बारे में रामबाबू ने झूठी कहानी कही थी। यह मुद्दे को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई है ”

TV9 भारतवर्ष के कार्यकारी संपादक समीर अब्बास द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो बयान में, साधु को उसी घटनाक्रम को दोहराते हुए सुना जा सकता है, जैसा थाना प्रभारी ने ऑल्ट न्यूज़ को सुनाया।

पुलिस को दिए इस बयान की एक प्रति समीर अब्बास ने भी ट्वीट की थी। नीचे दिए गए बयान में, मनोज बाबा ने यह कहते हैं कि उन्हें मुस्लिमों ने कभी नहीं पीटा और ऐसे दावों को वह पूरी तरह खारिज करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि रामबाबू ने गलत तरीके से एक कागज पर उनके अंगूठे की छाप ले ली है।

योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करने पर मुस्लिमों द्वारा साधु की पिटाई की एक झूठी कहानी की खबर, मुख्यधारा मीडिया संगठनों — राजस्थान पत्रिका और दैनिक जागरण द्वारा की गई। हालांकि इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक राजस्थान पत्रिका और दैनिक जागरण दोनों ने अपनी कहानी को बिना किसी स्पष्टीकरण के अपडेट कर लिया है।

सोशल मीडिया

स्वराज्यमैग (Swarajyamag) के एक लेखक विकास सारस्वत ने भी राजस्थान पत्रिका के उसी लेख को ट्वीट किया, जिसमें पहले वाला शीर्षक है। इस लेख को ट्वीट करते हुए सारस्वत ने कहा, “सपा कार्यकर्ताओं नूर और अली, ने अपने समर्थकों के साथ एक हिंदू संत पर बेरहमी से हमला किया, जो कुंभ की व्यवस्थाओं के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा कर रहे थे। बाद में उसे मरा हुआ मानकर वहां से भाग गए”।– (अनुवाद) सारस्वत के ट्वीट को 6,400 से अधिक बार रिट्वीट किया गया है।

एक सेवारत आईएएस अधिकारी, संजय दीक्षित ने सारस्वत के ट्वीट को कोट करते हुए इस संदेश के साथ ट्वीट किया, “उनका अरबी नाम नहीं है, इसलिए यह अपराध धर्मनिरपेक्ष है और हमारी मुख्यधारा मीडिया के ध्यान देने योग्य नहीं है।”- (अनुवाद)

अन्य मीडिया रिपोर्टें

दक्षिणपंथी वेबसाइट, राइटलॉग ने भी सांप्रदायिक संदेश के साथ एक लेख प्रकाशित किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस वेबसाइट द्वारा बताई गई घटना, राजस्थान पत्रिका के लेख पर आधारित है, जिसे अब अपडेट कर दिया गया है।

 

दो और वेबसाइटों – ब्रेकिंग ट्यूब और ई-पोस्टमॉर्टम ने एक ही तरह से इस घटना की खबर दी है। दोनों वेबसाइटों ने एक कदम आगे बढ़कर, यह दर्शाता हुए कि दोनों भाइयों, नूर अली और नूर बख्श ने साधु पर हमला किया था, दोनों भाइयों को अभियुक्तों की बजाय दोषियों के रूप में चित्रित किया।

दैनिक जागरण ने ऑल्ट न्यूज़ के लेख के बाद अपना रिपोर्ट बदल लिया और शीर्षक “दौलतपुर में योगी की तारीफ करने पर संन्यासी को किया मरणासन्न” से “दौलतपुर में पहले प्रशंसा पर पिटाई का आरोप, फिर बयान से पलट गया संन्यासी” कर दिया । यहाँ गौर करने वाली बात यह थी की जागरण ने अपने बदले हुए लेख में कहीं भी योगी आदित्य नाथ का ज़िक्र भी नहीं किया है जबकि पहले के लेख में शीर्षक में ही ‘योगी’ लिखा हुआ था। यहाँ तक कि जागरण द्वारा बदले गए लेख में कथित रूप से साधू के दोनों लिखित बयान में भी योगी आदित्यनाथ का कहीं नाम नहीं लिखा गया है।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.