16 नवंबर को भाजपा समर्थक ऋषि बागरी ने अलग-अलग परफ़ॉरमेंस इंडीकेटर्स जैसे, बेरोज़गारी दर, व्यापार करने में आसानी (EoDB) और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) शेयर की. दावे के मुताबिक ये आंकड़े CMIE (सेंटर फ़ॉर मॉन‍िटर‍िंग इंड‍ियन इकॉनोमी) ने जारी किए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश की कथित रैंकिंग कम दिखाई गई है. ऋषि बागरी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश पहले से काफ़ी ज़्यादा विकास कर रहा है.

ये दावा कई ट्विटर यूज़र्स ने शेयर किया.

ऐसा ही ट्रेंड फ़ेसबुक पर भी देखने को मिला.

फ़ैक्ट चेक

ऋषि बागरी ने दो इंडीकेटर्स के लिए विशिष्ट स्रोतों का हवाला दिया जिनमें बेरोज़गारी दर के लिए सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) और व्यापार करने में आसानी के लिए विश्व बैंक शामिल हैं. सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के लिए किसी भी स्रोत का हवाला नहीं दिया गया.

यूपी का GSDP क्या है?

इस साल की शुरुआत में CM योगी आदित्यनाथ और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी ऐसा ही दावा किया था. ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MSOPI) के अनुसार, वित्त वर्ष 2004-05 से वित्त वर्ष 2018-19 तक यूपी का GSDP दूसरे या तीसरे स्थान पर था. यानी, योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान पिछले पांच सालों में GSDP में बढ़ोतरी होने का दावा ग़लत है.

MSOPI के डेटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019-2020 में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद तीसरे स्थान पर रहा.

क्या व्यापार करने में आसानी के मामले में विश्व बैंक ने भारत में यूपी को दूसरा स्थान दिया?

आरबीआई पर उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के डेटा के मुताबिक, व्यापार करने में आसानी के मामले में यूपी की रैंक 2015 में 10 थी. सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान 2019 में ये दूसरे स्थान पर पहुंच गई है. लेकिन विश्व बैंक ने यूपी को लेकर ऐसा कोई दावा नहीं किया है.

विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस परियोजना ये दिखाती है कि 190 अर्थव्यवस्थाओं और उप-राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर चयनित शहरों में बिज़नेस के नियम क्या हैं और उन्हें किस तरह से लागू किया गया है. इसकी ताज़ा रिपोर्ट 2020 की है और इसमें उत्तर प्रदेश का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है.

क्या यूपी में बेरोज़गारी दर 2017 में 17.5% से कम होकर 2021 में 4.2% हो गई?

वायरल दावे में कहा गया है कि यूपी में बेरोज़गारी दर 2017 में 17.5% से गिरकर 4.2% हो गई और इस डेटा के लिए चेन्नई स्थित थिंक टैंक सीएमआईई को क्रेडिट दिया गया है.

ये दावा गलत है.

बेरोज़गारी दर की गणना के लिए सीएमआईई की कार्यप्रणाली इस तरह है – इसके दर की गणना उन व्यक्तियों से की जाती है जिनके पास रोज़गार नहीं हैं. लेकिन वो काम करना चाहते हैं और कुल श्रमिक बल के प्रतिशत के रूप में सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहे हैं. जिनके पास रोजगार है और जो बेरोज़गार हैं, पर काम करना चाहते हैं साथ ही नौकरी की तलाश में हैं, इन दोनों का योग कुल श्रमिक बल होता है. इस मामले में ज़्यादा जानकारी के पाने के लिए वेबसाइट पर जाएं. गौरतलब है कि बेरोज़गारी दर मासिक और साप्ताहिक अंतराल में जारी की जाती है.

हमने जनवरी 2016 और अक्टूबर 2021 से यूपी के लिए CMIE की बेरोज़गारी दर के मासिक समय श्रृंखला का अध्ययन किया. लेकिन 2021 में अक्टूबर महीने में बेरोज़गारी दर असल में 4.2% है जैसा कि ऋषि बागरी ने बताया. लेकिन साल 2017 के किसी भी महीने में बेरोज़गारी की दर 17.5% नहीं थी. अगस्त महीने में इसकी दर सबसे ज्यादा 6.5% थी. इस तरह, योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान बेरोज़गारी में काफी ज़्यादा कमी दिखाने के लिए CMIE के डेटा को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है.

यूपी के GSDP, बेरोज़गारी दर और FDI पर आधिकारिक आंकड़े

ध्यान देने बात ये है कि सितंबर के महीने में द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के औद्योगिक बदलाव के लिए के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ करते हुए तीन पन्नों के विज्ञापन में इसी तरह के दावे किए थे.

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ये विज्ञापन उस वक़्त जांच के दायरे में आया था जब लोगों ने बताया कि ये तस्वीरें यूपी की नहीं थी. इनमें से एक तस्वीर कोलकाता के मां फ्लाईओवर की थी और दूसरी तस्वीर स्टॉक इमेज से ली गई थी.

जब कोलकाता की तस्वीर चर्चा में आई तो ऑल्ट न्यूज़ ने विज्ञापन में किए गए तीन और भ्रामक दावों को देखा. पहला दावा ये था कि यूपी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में भारत का दूसरा सबसे अमीर राज्य बन गया है. इस दावे को पहले भी रिपोर्ट में खारिज किया जा चुका है.

द इंडियन एक्सप्रेस के विज्ञापन में एक और भ्रामक दावा किया गया कि यूपी में बेरोज़गारी दर सबसे कम है.

भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर नवीनतम राज्यवार बेरोज़गारी डेटा (वित्त वर्ष 2019-20) के अनुसार, यूपी में सबसे कम बेरोज़गारी दर नहीं है.

यह डेटा दो श्रेणियों में बांटा गया है- ग्रामीण और शहरी. दिल्ली में ग्रामीण बेरोज़गारी दर 5/1000 के साथ सबसे कम है. जबकि यूपी में ग्रामीण बेरोज़गारी दर 43/1000 है जो राष्ट्रीय दर 50/1000 से बेहतर है. जहां तक ​​शहरी बेरोज़गारी दर का सवाल है, सबसे कम दादर और नगर हवेली (18/1000) में है और उसके बाद गुजरात (32/1000) का स्थान है. यूपी में शहरी बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय औसत (77/100) से 106/1000 पर अधिक है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.