मुसलमानों ने गाय को बम खिलाया, जो गाय के मुँह में ही फट गया‘, शंखनाद ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा। सांप्रदायिक हंगामा उकसाने वाले इस वेबसाइट ने विदिशा, मध्य प्रदेश में बनाया गया वीडियो पोस्ट किया, जिसमें एक गाय का मुँह फटा हुआ दिख रहा था और मूँह से काफी खून बह रहा था।

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शंखनाद ने जैसा कि अपेक्षित था, जताया कि ये मुसलमानों का काम है, जिन्होंने जानबूझकर गाय के मुँह में जबरदस्ती बम डाल कर विस्फोट करवाया। मुसलमानों पर किये गए इस हमले को दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडलों ने तुरंत ही फैला दिया।

उस जगह पर जल्द ही भीड़ इकट्ठी हो गयी, जहां पर गाय का मुँह फटा था, और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया गया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने उस झोपड़ी को भी आग लगा दी, जहां पर वो गाय ज़ख़्मी हुई थी। बजरंग दल के कार्यकर्ता घटना स्थल पर जल्द ही पहुँच गए फिर पुलिस भी पहुंची, और स्तिथि पर काबू पा लिया गया।

तो, सच में क्या हुआ था? गाय का मुँह कैसे फटा? क्या मुसलमानों ने सच में ऐसा किया था? जैसा कि बताया जा रहा है एक स्थानीय न्यूज़ चैनल सागर टीवी पर सच का खुलासा हुआ है।

यह घटना विदिशा शहर के अहमदपुर रोड नामक इलाके में घटी थी। उस गाय ने प्लास्टिक बैग में रखे हुए विस्फोटक को चबा लिया था। उस क्षेत्र पर अतिक्रमण हुआ था और वहां की किसी झोपड़ी में किसी एक पोटली में वह विस्फोटक रखा था। जो प्रदर्शनकारी वहां इकठ्ठा हुए थे, वे यह मांग कर रहे थे कि अतिक्रमण हटाया जाए, क्योंकि वह इलाका अब सुरक्षित नहीं था।

ऑल्ट न्यूज़ ने विदिशा के SP विनीत कपूर से बात की, जिन्होंने माना कि गाय सच में विस्फोटक चबाने की वजह से घायल हुई थी। “यह ‘सूअर मार बम’ नामक हाथ का बना बम है जो यहाँ की खानाबदोश जनजाति जंगली सूअर का शिकार करने के लिए इस्तेमाल करती है, और ये दबाव से फटता है। घास चरते वक्त उस गाय ने गलती से बम चबा लिया था, जिसकी वजह से वह फट गया। कोई मुसलमान या सांप्रदायिक कोण नहीं है,” उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया।

स्थानीय अखबारों ने भी यह खबर छापी है।

जनवरी 2017 में भी महाराष्ट्र के मालवण तालुका में ऐसी घटना घटी थी, जब ऐसे ही देशी बम चबाने पर एक गाय की मौत हो गयी थी।

शंखनाद ने अपने भड़काऊ पोस्ट में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को सांप्रदायिक घटना बता कर मुस्लिम कौम को दोष दिया, जो कि पूरी तरह से झूठ था। अभी उसने अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया है। ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में शंखनाद के ज़हरीले अजेंडे को प्रकाशित किया है।

गाय का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, खासकर बहुसंख्यक समुदाय के धार्मिक भावनाओं के मामले में, और जिस तरह से शंखनाद ने स्पष्ट झूठ बोलकर घृणा फ़ैलाने की कोशिश की है, इससे एक बार फिर जानना ज़रूरी हो जाता है कि इस वेबसाइट और इसको चलाने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

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