ट्वीटर पर किये गए सर्वेक्षण के नतीजे हमेशा उम्मीदों के अनुसार नहीं होते। नेशनल हेराल्ड को इस बात का एहसास तब हुआ जब पीएनबी घोटाले पर किये गए दो सर्वेक्षण पोल के नतीजे इनकी उम्मीद के अनुसार नहीं निकला। 1.77 अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले की खबरों के बाद, नेशनल हेराल्ड ने अपने पाठकों की राय का अनुमान लगाने के लिए दो ट्विटर पोल पोस्ट किए। “क्या आपको लगता है कि भारत में भ्रष्टाचार में बहुत कमी आई है, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी का दावा है?” यह सवाल पहला था। इसके पांच घंटे के बाद दूसरा सवाल किया गया जिसमें बड़े पैमाने पर पीएनबी घोटाले के लिए कौन जिम्मेदार है? यह सवाल उठाया गया।

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नेशनल हेराल्ड की उम्मीदों पर यह सर्वेक्षण खड़ा नहीं उतरा। बड़ी संख्या में भाजपा समर्थकों ने वोट देना शुरू कर दिया। नतीजों से संतुष्ट न होने पर, नेशनल हेराल्ड के ट्विटर हैंडल ने उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक करना शुरू कर दिया।

81% मतों ने पीएनबी घोटाले के लिए यूपीए सरकार को दोषी ठहराया, इसके बाद नेशनल हेराल्ड ने पोल हटा दिया। 15 फरवरी की शाम को जब इसे हटाया गया, तो उसमें 11,000 से अधिक वोट थे। दूसरे पोल जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार की कमी वाले दावे के बारे में पूछा गया था, यह सवाल अगले दिन सुबह हटा दिया गया। इसमें 14,000 से अधिक मत थे जिनमें से 83% ने बीजेपी का समर्थन किया था।

यह दिलचस्प है क्यूंकि नेशनल हेराल्ड द्वारा पहले किये गए सर्वेक्षण में इतनी भागीदारी नहीं देखी गई थी। बजट पर किये गए पोल में इन्हें 600 से कम वोट मिले थे।

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National Herald Budget2018

संभवतया बड़े पैमाने पर संगठित वोटिंग का मामला था, जैसा कि इस तथ्य से देखा गया। पहले सर्वेक्षण को केवल 17 बार ट्वीट किया गया था लेकिन इसे 14,000 से अधिक मत प्राप्त हुए थे। लेकिन फिर भी खुले मंच पर हुए सर्वेक्षण में यह गलत नहीं माना जाता है। इस संभावना को चुनाव शुरू करने से पहले विचार किया जाना चाहिए था।

ट्विटर पर सर्वेक्षण से पहले, जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए और परिणामों को स्वीकार करने के लिए तैयार होना चाहिए, चाहे जो भी परिणाम निकलते हैं। नेशनल हेराल्ड दोनों मामलों में विफल रहा। ट्विटर चुनावों को फिर से लॉन्च करने से पहले, नेशनल हेराल्ड को अपने ट्विटर समर्थन और सोशल मीडिया आधारित जनमत सर्वेक्षणों को बेहतर समझने की जरुरत है। और अगर वह इन सर्वेक्षण के नतीजों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं, तो उनके लिए इन सर्वेक्षणों से दूर रहना ही बेहतर है।

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