बाबा रामदेव को सोशल मीडिया पर टारगेट किया जा रहा है। योग गुरु रामदेव के जीवन पर बनी सीरियल की पहली एपिसोड 11 फरवरी को प्रकाशित होने के बाद यह काफी चर्चा का विषय रहा। डिस्कवरी कम्युनिकेशन द्वारा नए चैनल डिस्कवरी जीत पर लांच किया गया यह शो रामदेव ने प्रमोट किया है। इस शो को लेकर रामदेव की निंदा भी की गयी और मजाक भी उड़ाया गया।

बाबा रामदेव के सीरियल के पहले एपिसोड में यह दिखाया कि कैसे इन्होंने अपने बचपन में जातिवाद से लड़ने की कोशिश की और यह बात रुढ़िवादियों को पसंद नहीं आई। एपिसोड के शुरुआत में दिखाया गया है कि कैसे बचपन में रामदेव जन्मास्त्मी के पर्व पर गाँव के स्थानीय मंदिर में मनाये जा रहे उत्सव में मंदिर के जाति-आधारित नियमों को तोड़कर मंदिर में प्रवेश कर प्रतिमा को स्पर्श कर लेते हैं। बचपन में रामदेव के इस मासूम कार्य ने भगवान कृष्ण के मंदिर की पवित्रता को नष्ट कर दिया और उस समय के गुरु ने इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि बच्चे को स्थानीय पंचायत द्वारा इस उल्लंघन के लिए सजा दी जाए। अगले दृश्य में दिखाया गया है कि बाल रामदेव को कैसे एक पेड़ से बांधा गया है और उनपर कीचड़ वाला पानी फेंका जाता है। इसके बाद गुरु की आज्ञा के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है और छोड़ते वक्त गुरु ये कहते हैं कि उनके द्वारा किया गया यह पाप उनकी माता के गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अभिशाप है।

शुरूआती एपिशोड और उसका विषय रुढ़िवादियों को पसंद नहीं आया और सोशल मीडिया पर उन्होंने योग गुरु रामदेव को निशाना बनाया। ब्राह्मणवाद को जिस तरह से इस एपिसोड में दिखाया गया उसको लेकर इन तत्वों में काफी क्रोध था और इस सीरियल को पाकिस्तान प्रचार से भी बद्दतर कहा गया।

ऊपर का ट्वीट संजीव नेवार का है जो हिंदुत्व वेबसाइट के संचालक हैं।

ट्विटर पर एक सर्च करने से रामदेव के लिए गुस्सा देखा जा सकता है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि यह यह शो ब्राम्हणों के खिलाफ है, घिसा-पिटा है और जो दर्शाया गया है वह सही नहीं है। 17 फरवरी के वृन्दावन, यूपी के एक कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने जाति समानता की बात की थी।

यह ट्रेंड फेसबुक पर भी देखा गया जहाँ कई लोगों ने बाबा रामदेव की निंदा की, यहाँ तक कि रामदेव और दिवगंत सामाजिक कार्यकर्ता राजीव दीक्षित के बीच एक कड़ी का भी जिक्र किया।

There is no lead in Patanjali noodles because Brahmins poured all the molten lead in Ramdev's one eye !!!
#Moolniwasi_Noodles

Posted by Zaid Hamid Best Comedian on Sunday, 18 February 2018

The newest entry to the Brahmin bashing cavalcade is Swami Ramdev. After strategically changing his title of Baba to the…

Posted by Aniket Shandilya on Saturday, 17 February 2018

मंदिर में प्रवेश को लेकर जाति-आधारित भेदभाव को दर्शाना कुछ वर्गों को पसंद नहीं आया। वे इसे या तो हिन्दू समाज को बांटने का या ब्राम्हण समाज पर कीचड़ उछालने का प्रयास मानते हैं। नीची जातियों का मंदिर प्रवेश का मुद्दा एक महत्वपूर्ण विषय है और इसकी एतिहासिक परम्परा है। और यह मुद्दा आज भी एक विवाद का विषय है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि कुछ वर्ग इस सामाजिक सच्चाई को छुपा कर रखना चाहते हैं और इस सच्चाई को नजरंदाज करने की भावना दर्शाते हैं।

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