कांग्रेस ने 5 अप्रैल को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, संसदीय दल अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली में अपने लोकसभा 2024 चुनाव घोषणापत्र, ‘न्याय पत्र’ का अनावरण किया. दस्तावेज़ में ‘न्याय’ या न्याय के विचार को सामने रखा गया है और ‘पंच न्याय’ या न्याय के पांच स्तंभ, यानी ‘युवा न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘हिस्सेदारी न्याय’ के बारे में बात की गई है.

9 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस्तावेज़ की तुलना मुस्लिम लीग के घोषणापत्र से की. पीलीभीत में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने जो घोषणापत्र बनाया है, वो कांग्रेस का नहीं, ऐसा लगता है मुस्लिम लीग का घोषणापत्र दिखता है. तुष्टीकरण के दबाव में ही कांग्रेस हो या सपा, CAA का भी विरोध कर रही है. विदेशी धरती पर अत्याचार की वजह से भागे, भागने के लिए मजबूर हुए हिंदूओं और सिख भाई-बहनों को, आप मुझे बताइए मेरे इन हिंदू भाई बहनों को, मेरे इन सिख भाई बहनों को भारत अगर नागरिकता नहीं देगा, तो कोई और देगा क्या?’

21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर फिर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ”पहले जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति को इकट्ठी करके किसको बांटेंगे..? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं (मुसलमानों की तरफ इशारा करते हुए) उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे.. क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का मेनिफ़ेस्टो कह रहा है.. माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जड़ती करेंगे जानकारी लेंगे, और फिर उनकी संपति को बांट देंगे. और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है…भाइयों और बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच..मेरी माताओं बहनों ये आपका मंगलसूत्र बचने नहीं देंगे. यहां तक जाएंगे.’

दूसरे शब्दों में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के इस हिस्से में जो दावा किया, वो ये था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में मुसलमानों के बीच धन के बांटने की बात कही गई थी. उनके मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले वादा किया था और ये कहा था कि देश की संपति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है.

अन्य भाजपा नेताओं ने भी इसी तरह की भावनाएं जाहिर की हैं, जिनमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हैं. उन्होंने एक बयान में कांग्रेस पर ‘मुस्लिम लीग की विचारधारा को प्रतिबिंबित करने’ का आरोप लगाया और दावा किया कि पार्टी के घोषणापत्र में 1929 में मुस्लिम लीग के समान धर्म के आधार पर आरक्षण की बात की गई थी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि घोषणापत्र का मकसद भारत से ज़्यादा पाकिस्तान की सेवा करना है.

बीजेपी कर्नाटक के ट्विटर अकाउंट से अप्रैल 23, 2024 को एक पोस्ट किया गया. पोस्ट में दावा किया गया कि कांग्रेस ने मुसलमानों को ज़मीन, संपत्ति और अधिकार “उपहार” देने के लिए मेनिफेस्टो तैयार किया है. साथ ही ये भी दावा किया गया कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कई विभाजनकारी एजेंडे मौजूद हैं. पोस्ट में ये सवाल उठाया गया कि ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो है या मुस्लिम लीग का मेनिफेस्टो.

बीजेपी कर्नाटक के अकाउंट ने 6 पॉइंट्स हाईलाइट किये और लिखा:

  • शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब लागू करने
  • मुसलमानों को संपत्ति वितरण
  • मुसलमानों को विशेष आरक्षण
  • पर्सनल लॉ का पालन करने की आज़ादी
  • मुसलमानों को सीधे जज नियुक्त किया जाएगा
  • सार्वजनिक और निजी संस्थाओं को मुसलमानों को नौकरी पर रखने का आदेश

इन दावों को राईट विंग इकोसिस्टम ने भी ऑनलाइन शेयर किया. जो ये साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे थे कि घोषणापत्र मुसलमानों को खुश करने के लिए था. राईट विंग इन्फ्लुएंसर ऋषि बागरी ने इस मुद्दे पर कई बार ट्वीट किया और बताया कि कैसे कांग्रेस का घोषणापत्र ग़लत था. वेरिफ़ाइड यूज़र राशौन सिन्हा उर्फ ​​@MrSinha_ ने भी घोषणापत्र के बारे में कई बार ट्वीट किया. उनमें से एक में उन्होंने पाकिस्तानी आउटलेट डॉन द्वारा कांग्रेस घोषणापत्र की एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट ट्वीट किया, जिसमें टिप्पणी की गई कि पाकिस्तान इस डॉक्यूमेंट से खुश है क्योंकि ये ‘उन्हें जिन्ना की मुस्लिम लीग की याद दिलाता है.’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने व्यंग्यात्मक कमेंट करते हुए कहा कि घोषणापत्र पढ़ने के बाद उन्होंने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए.

द पैम्फलेट के एक एक्सप्लेनर वीडियो में मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच तुलना भी की गई. एक अन्य वेरीफ़ाइड यूज़र, @Starboy2079 ने कांग्रेस के घोषणापत्र में 13 ‘खतरनाक’ पॉइंट्स का लिस्ट बनाया. इसे ‘PFI 2047 विज़न डॉक्यूमेंट’ जैसा दिखाने की कोशिश की गई. ट्वीट को 400000 से ज़्यादा बार देखा गया, साथ ही इसे 8 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और 4500 से ज़्यादा रीट्वीट मिले.

यहां कांग्रेस के घोषणापत्र के संबंध में सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे दावों की एक लिस्ट दी गई है. इन दावों के मुताबिक, घोषणापत्र का मकसद मुसलमानों को खुश करना है:

  • नागरिकता संशोधन कानून को खत्म करना
  • तीन तलाक को फिर से लाना
  • मुसलमानों के लिए पद आरक्षित करना और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करना
  • ‘लव जिहाद’ का समर्थन
  • स्कूलों में बुर्के की इज़ाजत
  • बहुसंख्यकवाद को खत्म करना और परिणामस्वरूप हिंदू धर्म को खत्म करना
  • बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक लगाई जाए
  • न्यायपालिका में मुस्लिम जजों की संख्या बढ़ाना
  • एक सांप्रदायिक हिंसा विधेयक पेश किया जा रहा है जो मॉब लिंचिंग को रोकेगा
  • गोमांस के उपभोग को वैध बनाना
  • मुसलमानों के लिए अलग ऋण ब्याज दरें प्रदान करना
  • देशद्रोह जैसे कामों की अनुमति देना

इसके अलावा, यूज़र्स ने ये भी दावा किया कि कांग्रेस पार्टी साफ तौर पर समलैंगिक विवाह के वैधीकरण का समर्थन करती है, लिंग अस्थिरता और ट्रांस आंदोलन को बढ़ावा देती है और गाज़ा और फ़िलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास का भी ‘समर्थन’ करती है.

क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में धन बांटने की बात की गई है?

सबसे पहले, कांग्रेस के घोषणापत्र में देश के नागरिकों के बीच धन बांटने का कोई ज़िक्र नहीं है. लेकिन ये ध्यान देने वाली बात है कि घोषणापत्र भारत के टॉप 1 परसेंट और देश के बाकी हिस्सों के बीच बढ़ती असमानता के बारे में बात की गई है. रिपोर्ट “भारत में आय और धन असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय” का हवाला देते हुए घोषणापत्र में ये भी ज़िक्र किया गया है कि असमानता में ये बढ़ोतरी विशेष रूप से 2014 और 2023 के बीच हुई है.

‘अर्थव्यवस्था’ सेक्शन के तहत, घोषणापत्र में साफ तौर पर रोजगारहीन विकास और नौकरी-हानि वृद्धि की प्रवृत्ति को खारिज किया गया है. ये घोषणा की गई है कि कांग्रेस सरकार आय और संपत्ति की बढ़ती असमानताओं के मुद्दों का समाधान करेगी.

वेल्फ़ेयर सबसेक्शन के तहत, डॉक्यूमेंट में इकॉनोमिक टर्म्स पर भारत के लोगों के बीच विभाजन के मुद्दे को संबोधित किया गया है. घोषणापत्र में ये लिखा है कि कांग्रेस ये सुनिश्चित करने को कोशिश करेगी कि अगले दशक में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 22 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया जाए. इसके लिए सुलभ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली और विशेष रूप से नौकरियों के अवसरों की ज़रूरत होगी. ये घोषणा की गई है कि इन वादों के कार्यान्वयन से ‘निष्पक्ष, न्यायसंगत और न्यायसंगत अर्थव्यवस्था की शुरुआत का लक्ष्य प्राप्त होगा जो भारत को एक समृद्ध देश बनाएगा, और जो बदलती दुनिया के अनुकूल होने के लिए लचीला होगा.’

ये ध्यान देना चाहिए कि घोषणापत्र में देश में धन को फिर से बांटने की बात तक नहीं की गई है, किसी विशेष समुदाय के बीच तो दूर की बात है.

यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि राहुल गांधी ने घोषणापत्र जारी करने के बाद हैदराबाद की एक सार्वजनिक रैली में धन बांटने का ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा, “हम सबसे पहले ये निर्धारित करने के लिए देशव्यापी जाति जनगणना कराएंगे कि कितने लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अल्पसंख्यकों से हैं. उसके बाद, हम धन के वितरण का पता लगाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम में एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण करेंगे.” लेकिन, उन्होंने ये भी ज़िक्र किया कि पार्टी सभी क्षेत्रों में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी और कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों को उनका उचित हिस्सा मिले.

इसे दोहराते हुए, सामाजिक न्याय सेक्शन के तहत, घोषणापत्र SC, ST समुदायों और OBC के प्रतिनिधित्व में असमानता को संदर्भित करते हुए कहा गया है, “किसी भी प्रगतिशील आधुनिक समाज को वंश के आधार पर ऐसी असमानता या भेदभाव और परिणामस्वरूप समान अवसर से इनकार को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.”

हमने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा से भी बात की. उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए दावों को सिरे से खारिज कर दिया. “हमारे घोषणापत्र में कहीं भी हिंदू मुस्लिम या नागरिकों के बीच धन बांटने जैसे शब्दों का ज़िक्र नहीं है. उन्होंने कहा, ”हमारे घोषणापत्र में इन शब्दों को ढूंढना प्रधानमंत्री के लिए एक चुनौती है.”

उपरोक्त दावे के संबंध में पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी हवाला देते हुए कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है. “इसका मतलब ये है कि वे इन संपत्तियों को जमा करेंगे और उन लोगों को दे देंगे जिनके ज़्यादा बच्चे हैं (मुसलमानों की तरफ इशारा करते हुए) क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का मेनिफ़ेस्टो कह रहा है.”

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 9 दिसंबर, 2006 को जो कहा था उसका ट्रांसक्रिप्शन नीचे दिया गया है:

“मेरा मानना ​​है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं: कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे की ज़रुरी सार्वजनिक निवेश जरूरतों के साथ-साथ SC/ST, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चे, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए घटक योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत होगी. हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके. इन सभी का संसाधनों पर पहला हक़ है. केंद्र के पास बहुत सारी ज़िम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा.”

तत्कालीन विपक्ष भाजपा ने ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का इस्तेमाल किया और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर वोट-बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने मनमोहन सिंह के भाषण के ट्रांसक्रिप्शन के साथ एक स्पष्टीकरण जारी किया. “इससे ये देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का “संसाधनों पर पहला दावा” का संदर्भ ऊपर बताए गए सभी “प्राथमिकता” वाले क्षेत्रों को संदर्भित करता है, जिसमें SC, ST, OBC, महिलाओं और बच्चों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के कार्यक्रम शामिल हैं… जबकि इस प्रक्रिया से समाज के बेहतर वर्गों को लाभ होगा, ये सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो कमजोर और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के कल्याण पर विशेष ध्यान दे. स्पष्टीकरण में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि “भारत को चमकना चाहिए, लेकिन सभी के लिए चमकना चाहिए.”

यानी, ये साफ है कि मोदी द्वारा अपने राजस्थान भाषण में कांग्रेस घोषणापत्र के संबंध में किया गया दावा (कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुसलमानों के बीच धन बांटने की बात की थी) दो स्तरों पर ग़लत है. न तो घोषणापत्र में इसके बारे में बात की गई है, न ही मनमोहन सिंह ने ऐसा कुछ कहा था जैसा कि पीएम मोदी ने दावा किया है.

क्या 2024 के कांग्रेस घोषणापत्र में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को खत्म करने का वादा किया गया है?

ये आरोप निराधार है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को खत्म करने की बात कही गई है. 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में कहीं भी CAA का कोई ज़िक्र ही नहीं है.

दरअसल, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस मौके का फायदा उठाते हुए इस मुद्दे पर कांग्रेस की ‘निंदनीय चुप्पी’ पर सवाल भी उठाया था. 6 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए, विजयन ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के घोषणापत्र में CAA, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे “कठोर कानूनों” को खत्म करने का वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर कांग्रेस की चुप्पी का मतलब है कि पार्टी संघ परिवार और उनके हिंदुत्व एजेंडे के खिलाफ़ अपनी लड़ाई में गंभीर नहीं है.

गौरतलब है कि 2019 के कांग्रेस घोषणापत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक को वापस लेने का वादा किया गया था. प्वाइंट 09.A. धारा 27 के तहत: संघवाद और केंद्र-राज्य संबंधों ने पूर्वोत्तर राज्यों के हित में कुख्यात नागरिकता संशोधन विधेयक को रद्द करने का वादा किया. 2019 के घोषणापत्र की धारा 38 के तीसरे पॉइंट में फिर से यही वादा किया गया.

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क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम तुष्टीकरण किया गया है?

घोषणापत्र में ‘मुस्लिम’ शब्द ढूंढने पर, डॉक्यूमेंट में विशेष रूप से मुसलमानों का एक भी संदर्भ नहीं मिलेगा. ऑल्ट न्यूज़ इस सेक्शन में घोषणापत्र के संबंध में राईट विंग इकोसिस्टम द्वारा किए गए दावों के बारे में साफ तौर पर विश्लेषण करने का कोशिश करेगा.

क्या घोषणापत्र में मुसलमानों के लिए अलग से नौकरियों का वादा किया गया है?

रिपोर्ट की शुरुआत में बताए गए कई सोशल मीडिया दावों में कहा गया है कि घोषणापत्र विशेष रूप से मुसलमानों के लिए नौकरियां आरक्षित करने का वादा करता है. कुछ दावों में सच्चर समिति की रिपोर्ट के कार्यान्वयन का भी ज़िक्र है जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति की जांच करना है.

ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि सिर्फ मुसलमानों को नौकरियां आवंटित करने का कोई ज़िक्र नहीं है. घोषणापत्र के समानता सेक्शन के तहत तीसरा पॉइंट बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और समुदायों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण लागू करने का वादा करता है. ये सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं है.

साथ ही सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का भी कोई ज़िक्र नहीं है.

दावों के मुताबिक, कांग्रेस SC/ST/OBC के लिए आरक्षण की सीमा 50% से ऊपर बढ़ाएगी, और ऐसे संकेत थे कि मुसलमानों के लिए अलग सीटें आरक्षित की जाएंगी.

हालांकि ये सच है कि घोषणापत्र ‘इक्विटी’ खंड के तहत दूसरे बिंदु में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करने की गारंटी देता है, लेकिन इसमें मुसलमानों का कोई विशेष ज़िक्र नहीं है.

घोषणापत्र में OBC, SC और ST छात्रों, खासकर उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति के लिए धन को दोगुना करने का भी वादा किया गया है. ये अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विदेश में अध्ययन करने में सहायता करने का संकल्प लेता है; और PHD करने के लिए उनके लिए छात्रवृत्ति की संख्या दोगुनी कर दी जाएगी (‘इक्विटी’ सेक्शन के तहत पॉइंट नंबर 9) ये SC, ST और OBC के लिए निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक कानून बनाने का भी वादा करता है (सेक्शन ‘इक्विटी’ पॉइंट नंबर 13)

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क्या घोषणापत्र में तीन तलाक को वापस लाने का वादा किया गया है?

हमने इस रिपोर्ट की शुरुआत में देखा कि कई यूज़र्स ने तीन तलाक को वापस लाए जाने का विशेष दावा किया है.

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तीन तलाक (तत्काल तलाक) इस्लामी तलाक का एक साधन है, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में लगातार तीन बार तलाक शब्द (“डाइवोर्स” के लिए अरबी शब्द) कहकर अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दे सकता है. अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए रद्द कर दिया था.

घोषणापत्र के धार्मिक और भाषाविज्ञान अल्पसंख्यक सेक्शन के तहत आठवें पॉइंट में पार्टी व्यक्तिगत कानूनों के सुधार को प्रोत्साहित करने का संकल्प लेती है. इसमें आगे कहा गया है कि इस तरह के सुधार संबंधित समुदायों की भागीदारी और सहमति से किये जाएंगे.

घोषणापत्र में कहीं भी तीन तलाक का कोई खास ज़िक्र नहीं है. ऐसे में ये कहना भ्रामक है कि कांग्रेस तीन तलाक को वापस लाएगी.

क्या घोषणापत्र ‘लव जिहाद’, गोमांस के सेवन या स्कूलों में बुर्के के इस्तेमाल का समर्थन करता है?

घोषणापत्र में कहीं भी ‘लव जिहाद’, ‘बीफ़’ या ‘बुर्का’ जैसे किसी भी शब्द का ज़िक्र नहीं है. धार्मिक और भाषाविज्ञान अल्पसंख्यक सेक्शन के तहत सातवां पॉइंट ये सुनिश्चित करने का संकल्प लेता है कि, हर नागरिक की तरह, अल्पसंख्यकों को कपड़े, भोजन, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों के पसंद की स्वतंत्रता है. सेक्शन का आठवां पॉइंट, संविधान की रक्षा, भोजन और कपड़े, प्यार और शादी, और भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा और निवास की व्यक्तिगत पसंद में हस्तक्षेप न करने का भी वादा करता है. “व्यक्तिगत स्वतंत्रता में अनुचित रूप से हस्तक्षेप करने वाले सभी कानून और नियम निरस्त कर दिए जाएंगे.”

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क्या घोषणापत्र बहुसंख्यकवाद और परिणामस्वरूप हिंदू धर्म को ख़त्म करने की बात करता है?

घोषणापत्र के अंत में इस बात का ज़िक्र है कि कैसे देश में संवैधानिक मूल्यों पर बहुसंख्यकवाद की जीत हुई है. ऐसा कहा जाता है कि गरीबों और मध्यम वर्ग के पीड़ित होने से देश में माहौल “नफरत भरा और विभाजनकारी” हो गया है. कांग्रेस ने अपने लोकसभा 2024 के चुनाव घोषणापत्र में “सत्ता में आने पर देश को सर्वांगीण विकास, समानता, स्वतंत्रता और न्याय के मार्ग पर ले जाने का वादा किया है.”

धार्मिक और लिंग्विस्टिक्स माइनॉरिटीज सेक्शन की प्रस्तावना में कांग्रेस की इस धारणा का भी ज़िक्र किया गया है कि भारत के इतिहास और लोकतांत्रिक परंपराओं को देखते हुए, देश में सत्तावाद या बहुसंख्यकवाद के लिए कोई जगह नहीं है. ये धर्मों की बहुलता की विशिष्टता और देश के हर नागरिक के लिए अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने के अधिकार का दृढ़ता से प्रचार करता है.

घोषणापत्र में कहीं भी हिंदू धर्म को ख़त्म करने की बात नहीं कही गई है. इसके उलट, ये नागरिकों के अपने धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार पर जोर देता है.

क्या घोषणापत्र देशद्रोह की इजाजत देता है?

घोषणापत्र में ‘देशद्रोह’ या ‘राजद्रोह’ शब्द का एक भी ज़िक्र नहीं है. इसमें मानहानि के अपराध से देश को अपराधमुक्त करने और नागरिक क्षति के माध्यम से जल्द उपचार प्रदान करने का वादा किया गया है. इसमें उन प्रावधानों को हटाने का भी वादा किया गया है जो बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं और निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. घोषणापत्र में लोगों के शांतिपूर्वक जमा होने और संघ बनाने के अधिकार को बरकरार रखने का भी वादा किया गया है. पहला पॉइंट ‘भय से मुक्ति’ का वादा करता है. (सेक्शन: संविधान की रक्षा)

क्या घोषणापत्र बुलडोज़र कार्रवाई पर ‘बैन’ लगाता है? क्या कोई ‘सांप्रदायिक हिंसा विधेयक’ है जो मॉब-लिंचिंग को रोकेगा?

कुल मिलाकर, पार्टी ने ‘बुलडोज़र न्याय’ की निंदा की है. संविधान की रक्षा की धारा के तहत सोलहवें पॉइंट में घोषणापत्र में कहा गया है कि यदि पार्टी सत्ता में आती है, तो वो कानूनों के हथियारीकरण, मनमानी तलाशी, जब्ती और कुर्की, मनमानी और अंधाधुंध गिरफ्तारियों के साथ-साथ थर्ड डिग्री के तरीके, लंबे समय तक हिरासत और हिरासत में मौतों खत्म कर देगी.

हालांकि, ‘सांप्रदायिक हिंसा विधेयक’ का कोई विशेष ज़िक्र नहीं है, लेकिन घोषणापत्र के आंतरिक सुरक्षा सेक्शन में ज़िक्र किया गया है कि कांग्रेस मॉब लिंचिंग, पुलिस मुठभेड़ हत्याओं और बुलडोज़र न्याय जैसे गैर-न्यायिक अवैध उपायों का ‘दृढ़ता से विरोध’ करती है. पार्टी ‘उन्हें तुरंत रोकने और अपराधियों को कानून के अनुसार दंडित करने’ की कसम खाती है.

इसमें महिलाओं, SC, ST और अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ अपराधों में बढ़ोतरी को भी संबोधित किया गया है और घोषणा की गई है कि कांग्रेस हेट स्पीच, हेट क्राइम और सांप्रदायिक संघर्षों से सख्ती से निपटेगी. घोषणापत्र में कहा गया है, “हम ऐसे अपराधों के अपराधियों और उनके प्रायोजकों की पहचान करेंगे और उन्हें कानून के अनुसार दंडित करेंगे.”

क्या घोषणापत्र में मुस्लिम जजों की संख्या बढ़ाने का वादा किया गया है? क्या इसमें मुसलमानों के लिए ऋण पर ब्याज दरें कम करने का वादा किया गया है?

मुसलमानों के लिए ऋण पर ब्याज की रियायती दरों या न्यायपालिका में मुस्लिम न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि का कोई ज़िक्र नहीं है. घोषणापत्र में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में ज़्यादा महिलाओं और SC, ST, OBC और अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने का वादा किया गया है. (सेक्शन: न्यायपालिका, महिला सशक्तिकरण)

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उपरोक्त विश्लेषण से ये बिल्कुल साफ़ है कि कांग्रेस का घोषणापत्र विशेष रूप से मुसलमानों पर केंद्रित नहीं है. हालांकि, ये ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि घोषणापत्र ऐसे समय में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए जीवन की गरिमा की रक्षा करने का वादा करता है जब इस देश में अल्पसंख्यकों पर उनके जीवन के तरीके के लिए बार-बार हमले हो रहे हैं. ये उन्हें कपड़े, भोजन, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की पसंद की स्वतंत्रता का वादा करता है, एक ऐसी सुविधा जो कई पर्यवेक्षकों को लगता है कि वर्तमान व्यवस्था के तहत मौजूद नहीं है. जनवरी में अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2023 में धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ कलंक और भेदभाव वाली नीतियां जारी रखीं. इसमें ये भी कहा गया है कि भाजपा शासित राज्यों में पुलिस ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ अपराधों की ठीक से जांच नहीं की और इसके बजाय पीड़ित समुदायों को दंडित किया, जिनमें ऐसे दुर्व्यवहार के खिलाफ़ विरोध करने वाले लोग भी शामिल थे.

क्या घोषणापत्र में हमास का समर्थन करने का आह्वान किया गया है?

घोषणापत्र के विदेश नीति सेक्शन के तहत दूसरे पॉइंट में BJP/NDA सरकार के तहत विदेश नीति पर आम सहमति के विचलन का ज़िक्र है, “विशेष रूप से चल रहे गाज़ा संघर्ष पर.” डॉक्यूमेंट में लिखा है, “कांग्रेस विश्व मामलों में शांति और संयम की आवाज़ के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बहाल करने का संकल्प लेती है.” ये फ़िलिस्तीनी आतंकवादी ग्रुप हमास के प्रति किसी भी प्रकार की एकजुटता नहीं दिखाता है.

क्या घोषणापत्र में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने और लैंगिक तरलता और ट्रांस आंदोलन का समर्थन करने का वादा किया गया है?

वरिष्ठ नागरिक, विकलांग व्यक्ति और घोषणापत्र के LGBTQIA+ सेक्शन के तहत, घोषणापत्र ‘LGBTQIA+ समुदाय से संबंधित कपल के बीच नागरिक संघों को मान्यता देने’ के लिए एक कानून लाने का वादा करता है. इसके अलावा, इसी धारा में ये भी कहा गया है कि ये यौन अभिविन्यास, विकलांगता या हानि के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का विस्तार करेगा.

हालांकि, समलैंगिक विवाह, ‘लिंग तरलता’ या ‘ट्रांस मूवमेंट’ को वैध बनाने का कोई साफ ज़िक्र नहीं है.

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Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.