रविवार यानी 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक संबोधन में नफरत भरे भाषण दिए जिसके लिए कई प्रमुख वैश्विक मीडिया आउटलेट्स ने नरेंद्र मोदी की आलोचना की.
भारत में चुनावी मौसम के चरम पर दक्षिणी राजस्थान के शहर में चुनाव से पहले एक रैली में भाषण देते हुए मोदी ने अपने प्रदर्शन में सबसे भरोसेमंद हथियार – मुस्लिम विरोधी नफ़रत – को जाहिर किया. उन्होंने कहा, ”पहले जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति को इकट्ठी करके किसको बांटेंगे..? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं (मुसलमानों की तरफ इशारा करते हुए) उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे.. क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का मेनिफ़ेस्टो कह रहा है.. माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जड़ती करेंगे जानकारी लेंगे, और फिर उनकी संपति को बांट देंगे. और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है…भाइयों और बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच..मेरी माताओं बहनों ये आपका मंगलसूत्र बचने नहीं देंगे. यहां तक जाएंगे.”
कई सारे झूठ पर आधारित इस व्यापक बयान में देश के प्रधानमंत्री ने भारत में रहने वाले लगभग 200 मिलियन मुसलमानों को ‘घुसपैठिए’ के रूप में संदर्भित किया और उन्हें “जिनके पास अधिक बच्चे हैं” कहकर उनका मज़ाक उड़ाया. किसी राष्ट्र के प्रमुख द्वारा कहे गए ऐसे बकवास वाक्यांश “जिनके ज़्यादा बच्चे हैं” चौंकाने वाले थे, तो उतनी ही आश्चर्यजनक बात ये भी थी कि वो मुसलमानों को देश के बहुसंख्यकों की संपत्ति को निगलने के लिए शैतान का रूप बता रहे थे. सिर्फ धन-संपत्ति नहीं, बल्कि ‘मंगलसूत्र’ जो भारतीय महिलाओं द्वारा धार्मिक अर्थ में सुहागन के रूप में पहना जाने वाला एक हार है. ये सब इसलिए कहा गया क्योंकि उन्हें मुसलमानों को अलग-थलग करके, और देश में पहले से ही मौजूद भयावह सांप्रदायिक विभाजन को और बढ़ाने में अपना चुनावी फ़ायदा दिखा. लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि वो प्रधानमंत्री के रूप में देश की ‘सेवा’ करने का काम करते हैं, साथ ही उन्होंने एक बार खुद को ‘प्रधान सेवक’ भी कहा था.
हेट स्पीच का पाठ्यपुस्तक उदाहरण
अगर कुछ साल पहले मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए हेट क्राइम और हेट स्पीच (कॉम्बैट, प्रिवेंशन और पनिशमेंट) बिल, 2022 को देखा जाय, तो पीएम मोदी का ये भाषण हेट स्पीच का एक पाठ्यपुस्तक उदाहरण है जिस पर उनकी सरकार कथित तौर पर रोक लगाना चाहती है.
प्रस्तावित बिल के चैप्टर II में पॉइंट नंबर 5 (जिसमें हेट स्पीच और हेट क्राइम के अपराध को परिभाषित किया गया है) में बताया है, “5. (1) कोई भी व्यक्ति:- (A) जो जानबूझकर ऐसा कुछ भी पब्लिश, प्रचारित या वकालत करता है या फिर एक या एक से ज़्यादा व्यक्तियों से इस तरीके से संचार करे जिससे नुकसान पहुंचाने, भड़काने या घृणा को बढ़ावा देने या प्रचारित करने का साफ़ इरादा दिखता हो. इनमें से एक या अधिक आधार पर:
(i) धर्म, (ii) जाति, (iii) जाति या समुदाय, (iv) लिंग, (v) जाति या जेन्डर, (vi) यौन रुझान, (vii) जन्म स्थान, (viii) निवास, (ix) भाषा, (x) विकलांगता, या (xi) जनजाति;
या (B) जो जानबूझकर ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन करता है जिसके बारे में व्यक्ति को पता है कि ये हेट स्पीच है जैसा कि क्लॉज़ (A) में संदर्भित एक इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के माध्यम से है, जो – (i) जनता के किसी भी सदस्य द्वारा पहुंच योग्य है; या (ii) किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा पहुंच योग्य जिसे हेट स्पीच का शिकार माना जा सकता है;
या (C) जो जानबूझकर, किसी भी तरीके से, किसी भी कंटेंट को प्रदर्शित करता है या ऐसा कंटेंट उपलब्ध कराता है जो संप्रेषित करने में सक्षम है जिसके बारे में वो व्यक्ति जानता है कि ये क्लॉज़ (A) में निर्दिष्ट हेट स्पीच है, जो पहुंच योग्य है, या निर्देशित है, साथ ही एक विशिष्ट व्यक्ति जिसे हेट स्पीच का शिकार माना जा सकता है, वो हेट स्पीच के अपराध का दोषी होगा.
अगर ऊपर बताए पैसेज का सार निकाला जाए तो प्रस्तावित बिल में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर ऐसा कुछ भी पब्लिश, प्रचारित या वकालत करता है, या एक या एक से ज़्यादा व्यक्तियों के साथ इस तरीके से कम्युनिकेशन करता है जिससे साफ तौर पर ये देखा जा सके कि ये नुकसान पहुंचाने या नुकसान पहुंचाने का इरादे या धर्म (अन्य श्रेणियों के बीच) के आधार पर नफरत को बढ़ावा देने या प्रचारित करने के लिए किया गया है तो वो हेट स्पीच के अपराध का दोषी होगा.
इस तरह, प्रधानमंत्री मोदी शक से परे हैं, और नफरत फैलाने वाले भाषण के अपराध के दोषी हैं क्योंकि उनके शब्दों में धर्म के आधार पर एक समुदाय के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने और प्रचारित करने का साफ इरादा दिखता है.
मोदी का नफरत भरा भाषण भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे में बिल्कुल फिट बैठता है
मोदी के बयान की सम्भावना को देखा जाय, तो पता चलता है कि ये भाजपा के सांप्रदायिक राजनीतिक एजेंडे की उस बड़ी योजना में फिट बैठता है जिसमें ये कहा गया है कि भारत में हिंदुओं को मुसलमानों से खतरा है. राजनीतिक मंचों पर भाजपा नेताओं, टीवी पर उनके प्रवक्ताओं और सोशल मीडिया पर राईट विंग ट्रोलों और प्रचार आउटलेट्स ने पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से, एकनिष्ठ समर्पण के साथ इस एक काम (अपने बगल में मौजूद मुस्लिम व्यक्ति को एक खतरे के रूप में दिखाना) को धार्मिक रूप से अंज़ाम दिया है.
पीएम मोदी ने कई बार समावेशिता का मुखौटा लगाया है, उदाहरण के लिए जब उन्होंने सोमवार को (बांसवाड़ा रैली के अगले दिन) अलीगढ़ में एक रैली में हज कोटा की बात की. उन्होंने कहा, “मैंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से भारत में हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के लिए हज कोटा बढ़ाने का अनुरोध किया था. आज न सिर्फ भारत का हज कोटा बढ़ा है बल्कि वीजा नियम भी आसान बनाए गए हैं. सरकार ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया.” हालांकि, ये मुखौटा कई मौकों पर उतर चुका है, खासकर ऐसे समय जब उनकी पार्टी को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से फायदा हुआ है.
उदाहरण के लिए, झारखंड में 2019 विधानसभा चुनाव से पहले दुमका में एक सार्वजनिक रैली में मोदी ने कहा कि जो लोग CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, उन्हें उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता था. “ये कांग्रेसवाले और उसके साथी… हल्ला मचा रहे हैं, तूफान खड़ा कर रहे हैं. और उनकी बात चलती नहीं है तो आगजनी फैला रहे हैं. जो आग लगा रहे हैं टीवी पे उनके जो दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, वो उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है.” दुमका राज्य की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक थी क्योंकि कांग्रेस-JMM-RJD गठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हेमंत सोरेन उस सीट के साथ-साथ बरहेट से भी चुनाव लड़ रहे थे.
फिर, 2019 के आम चुनावों से पहले, 6 अप्रैल को नांदेड़ में एक रैली में मोदी ने मुस्लिम कार्ड खेला, जब उन्होंने वायनाड से चुनाव लड़ने के लिए राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा, “कांग्रेस के नामदार ने माइक्रोस्कोप लेकर भारत में एक ऐसी” सीट खोजी है जहां पर मुकाबला करने की ताकत रख सके. सीट भी ऐसी जहां देश की मेजॉरिटी माइनॉरिटी में है.”
इससे पहले भी, 2002 नरसंहार के महीनों बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने मुस्लिम राहत आश्रयों को बच्चे पैदा करने वाली फ़ैक्टरी कहा था. 9 सितंबर को महासेना ज़िले में अपनी गौरव यात्रा के हिस्से के रूप में एक सार्वजनिक बैठक में मोदी ने कहा, “क्या भाई, क्या हमें राहत शिविर चलाना चाहिए? (दंगा प्रभावित मुसलमानों के लिए राहत शिविरों का ज़िक्र करते हुए) क्या मुझे वहां बच्चे पैदा करने के केंद्र यानी राहत शिविर शुरू करने चाहिए? हम संकल्प के साथ परिवार नियोजन की नीति अपनाकर प्रगति हासिल करना चाहते हैं. हम 5 और हमारे 25!!! (मुस्लिम बहुविवाह का ज़िक्र करते हुए). ऐसा विकास किसके नाम पर किया जाता है? क्या गुजरात परिवार नियोजन लागू नहीं कर सकता? किसकी रुकावटें हमारे रास्ते में आ रही हैं? कौन सा धार्मिक संप्रदाय आड़े आ रहा है? गरीबों तक पैसा क्यों नहीं पहुंच रहा? अगर कुछ लोग बच्चे पैदा करते रहेंगे तो बच्चे साइकिल का पंक्चर ही बनाएंगे?”
इसलिए, जिन लोगों ने गुजरात और फिर राष्ट्रीय राजनीति में मोदी के सत्ता में आने को ध्यान से देखा है, उनके लिए हालिया बयान (जिसमें उन्होंने कांग्रेस और मुसलमानों को एक ही ब्रैकेट में रखकर उन पर हमला किया था) निश्चित रूप से उनमें निराशा की भावना लाने वाली है.
फिलहाल, मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है. लगभग 300 सदस्यीय संसदीय दल में भाजपा के पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है. बीजेपी ने आगामी आम चुनाव के लिए पूरे देश में सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया है.
वैश्विक मीडिया ने मोदी के नफरत भरे भाषण की निंदा की
कई प्रमुख वैश्विक मीडिया आउटलेट्स ने मोदी के बांसवाड़ा संबोधन पर रिपोर्ट पब्लिश की है और अपनी सुर्खियों में ‘हेट स्पीच’ वाक्यांश का इस्तेमाल किया है. इनमें द वाशिंगटन पोस्ट, CNN, अल जजीरा, टाइम मैगजीन, बीबीसी समेत अन्य शामिल हैं.
वाशिंगटन पोस्ट के आर्टिकल का टाइटल है, “मोदी पर चुनावी रैली में भारत के मुसलमानों के प्रति ‘घृणास्पद भाषण’ देने का आरोप”. आर्टिकल में लिखा है कि मोदी ने अपने भाषण में “मुसलमानों पर अन्य भारतीयों की संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया.”
CNN ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रविवार को एक चुनावी रैली के दौरान इस्लामोफ़ोबिक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है जिससे प्रमुख मुसलमानों और विपक्ष के सदस्यों में व्यापक गुस्से ने जन्म लिया है.” रिपोर्ट इस फ़ैक्ट की ओर भी ध्यान आकर्षित करती है कि ये भाषण चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन था. “संहिता में कहा गया है कि राजनेताओं को “जाति” और “सांप्रदायिक भावनाओं” के आधार पर मतदाताओं से अपील नहीं करनी चाहिए. ऐसी गतिविधि जो समुदायों और धर्मों के बीच “मतभेद बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है या तनाव पैदा कर सकती है” की भी अनुमति नहीं है. CNN ने टिप्पणी के लिए ECI से संपर्क किया है.
अल जज़ीरा ने अपने हार्ड हिटिंग रिपोर्ट में लिखा कि मोदी का कथित हेट स्पीच भाषण उनकी अभियान रणनीति में बदलाव का संकेत हो सकता है. “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रविवार को विवादास्पद टिप्पणियों के बाद मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है जिसमें उन्होंने इस समुदाय को “घुसपैठियों” के बराबर बताया और देश के आम चुनावों के बीच में मुस्लिम विरोधी बातें फैलाईं.” ये रिपोर्ट भी बताती है कि चुनाव आयोग को बांसवाड़ा भाषण के लिए मोदी के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, और आगे ये लिखा है, “हालांकि, स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं और कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से शिकायत की है कि चुनाव अधिकारी बहुत धीमी गति से कार्य करते हैं, खासकर जब मामलों में सरकार के शक्तिशाली अधिकारी शामिल होते हैं.”
टाइम मैगज़ीन ने लिखा, “ये टिप्पणियां उन नुकसानदेह बातों का संदर्भ प्रतीत होती हैं जो मुसलमानों पर बड़े परिवार बनाकर हिंदुओं को विस्थापित करने का आरोप लगाती हैं. इन टिप्पणियों की विपक्षी नेताओं और प्रमुख मुस्लिम हस्तियों ने व्यापक रूप से आलोचना की है और दुनिया भर में गुस्सा फैल गया है…भारत लगभग 1.44 अरब नागरिकों का घर है. मुस्लिम समुदाय जिसमें बांग्लादेश और म्यांमार के शरण चाहने वाले और शरणार्थी शामिल हैं, इनको बाहरी लोगों के रूप में देखने के लिए मोदी की भाजपा पार्टी की आलोचना की गई है. आलोचकों का कहना है कि मोदी की टिप्पणियां हिंदू राष्ट्रवाद के विभाजनकारी अभियान पर आधारित हैं जिसका संबंध सत्तारूढ़ भाजपा से है जिसके लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद है.
बीबीसी ने मोदी के भाषण पर रिपोर्ट करते हुए टिप्पणी की कि “राईट ग्रुप्स का कहना है कि उन्हें भेदभाव और हमलों का सामना करना पड़ता है और मिस्टर मोदी के शासन में उन्हें “सेकंड क्लास” नागरिकों के रूप में रहने के लिए मजबूर किया गया है एक ऐसा आरोप जिसका भाजपा खंडन करती है.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए सबसे कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया. इसमें लिखा है, “देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल की गई सीधी भाषा उस छवि के विपरीत थी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व मंच पर पेश करते हैं.”
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मुसलमानों को “घुसपैठिए” कहा, साथ ही ये भी कहा कि अगर उनके विरोधियों को सत्ता मिली तो वो (मुसलमान) भारत की संपत्ति ले लेंगे. एक ऐसे नेता की असामान्य रूप से सीधी और विभाजनकारी भाषा जो आम तौर पर दूसरों को मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं का ध्रुवीकरण करने का सबसे गंदा काम करती है.”
द गार्डीअन ने मोदी की टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कहा, “जब से भाजपा हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ 2014 में सत्ता में आई है, अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को टारगेट किया गया है जो कथित तौर पर बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न दोनों का शिकार हुए हैं. राज्य और राईट विंग हिंदू निगरानी संगठनों द्वारा उन पर नीतियों और बयानबाज़ी का आरोप लगाया गया है.” इस चुनाव में भाजपा का सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा है.”
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.