“मेरी सभी कश्मीरी बहनों और भाइयों को नौरोज़ मुबारक!!” -(अनुवाद) प्रियंका गांधी वाड्रा का कश्मीरी नववर्ष पर बधाई संदेश, सोशल मीडिया पर विवाद का केंद्र बना हुआ है। कई ट्विटर यूजर्स ने ध्यान दिलाया कि यह नवरेह है, नौरोज़ नहीं। वहीं, कुछ ने कहा कि बधाई संदेश में कुछ भी गलत नहीं था, क्योंकि नवरेह को नौरोज़ के नाम से भी जाना जाता है। यह बधाई संदेश बहुत चर्चा और बड़ी ट्रोलिंग का विषय रहा।
Nauroz Mubarak to all my Kashmiri sisters and brothers!! Despite my mother’s “don’t forget to make the thali” messages, I had no time to make my thaali yesterday but came home after road show and found it placed on the dining table. How sweet are mom’s? pic.twitter.com/Lix2hCVS8f
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 6, 2019
रिपब्लिक टीवी ने रिपोर्ट की कि प्रियंका गांधी वाड्रा से ट्विटर पर चूक हुई और कश्मीरी पंडितों को पारसियों के नए साल की शुभकामनाएं दीं। दक्षिणपंथी ब्लॉग, ओपइंडिया ने उनकी मिश्रित कश्मीरी-पारसी जड़ों के लिए भ्रम की स्थिति को ज़िम्मेदार ठहराते हुए पूछा, “प्रियंका गांधी ने एक नई वर्तनी का आविष्कार किया, या क्या उन्होंने भ्रम में एक नए त्योहार का आविष्कार किया?” -(अनुवाद) उन्होंने बताया कि नवरेह, कश्मीरी पंडितों के लिए नया साल है, जो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के पहले दिन आता है, और नवरोज़, पारसी नया साल है जो इस साल 21 मार्च को मनाया गया था।
Nauroz vs Navreh: Priyanka Gandhi invents a new spelling, or did she invent a new festival in confusion? https://t.co/rhNDckP3YR
— OpIndia.com (@OpIndia_com) April 6, 2019
न्यूज़ 18 ने ये लिखा कि सोशल मीडिया इस बात को जल्द भूलने नहीं देगा। “नवरेह नहीं” यह कहते हुए मीडिया संगठन ने पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक तारेक फतह को पहले उदाहरण के रूप में उद्धृत किया। ‘वाड्रा की गलती’ को सुधारते हुए फतह के ट्वीट को 4,300 से अधिक बार शेयर किया गया था।
Dear @PriyankaGandhi, ‘Nauroz’ was celebrated last month. The Kashmiri new year’s day being celebrated today is ‘Navreh’. https://t.co/DDEUMxUkkU
— Tarek Fatah (@TarekFatah) April 6, 2019
कुछ कश्मीरी पंडितों ने ध्यान दिलाया कि नवरेह को दिल्ली/यूपी में नौरोज़ के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन उनकी आवाज़, अपने त्योहारों के बारे में वाड्रा की अनभिज्ञता के विरोध के शोर में खो गई। तो क्या प्रियंका गांधी वाड्रा से उनके शुभकामना संदेश में चूक हुई? आइए, हम पता लगाएं…
नवरेह या नौरोज़?
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि नौरोज़, कश्मीरी नए साल की शुभकामना का एक स्वीकार्य रूप है, जिसका इस्तेमाल खुद कश्मीरी करते हैं। इसके सबूत यहां हैं :
1. मार्कंडेय काटजू जैसे अन्य कश्मीरी पंडितों ने भी शुभकामनाएं देते हुए कहा, “आज कश्मीरी पंडितों के लिए नवरोज़ या नवरेह है”।- (अनुवाद)
Navroz
Today is Navroz or Navreh for Kashmiri Pandits
Very early this morning my wife woke me up and showed a thaali (…Posted by Markandey Katju on Friday, 5 April 2019
2. ट्विटर यूजर वैभव कौल ने कश्मीरी पंडित एसोसिएशन ऑफ दिल्ली का, अपने पाठकों को “नौरोज़ मुबारक” की शुभकामनाएं देते हुए, 2018 का न्यूज़लेटर शेयर किया। उन्होंने एक ट्वीट में स्पष्ट किया कि “भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले हम हिंदुस्तानी भाषी कश्मीरी पंडित, जिनके संस्कृत और फ़ारसी का उपयोग करने वाले पूर्वज 20 वीं शताब्दी के पहले दिल्ली, आगरा, लखनऊ, लाहौर, जयपुर, आदि जैसे शहरों में सभ्य तरीके से विस्थापित हो गए थे, अब भी पहली चैत्र (नवरेह) को नौरोज़ के रूप में मनाते हैं”। -(अनुवाद) इस ट्वीट को अब डिलीट कर लिया गया है।
3. कश्मीरी पंडित एसोसिएशन, दिल्ली के 2015 के न्यूज़लेटर में एक लेख में नवरेह/नौरोज़ को लेकर भ्रम की व्याख्या की गई थी। इस लेख के अनुसार, “नौरोज़” शब्द, उन कश्मीरी पंडित परिवारों द्वारा उपयोग किया जाता है जो 1900 से पहले मैदानी इलाकों में चले गए थे। यह भी कहा गया है कि कश्मीरी बोलने वाले पंडित “नवरेह” शब्द का उपयोग करते हैं।
कश्मीरी पंडित एसोसिएशन ऑफ दिल्ली के एक अन्य न्यूज़लेटर में नौरोज़ समारोह की तस्वीरें भी थीं।
4. पुस्तक “Two alone, two together” जो 1922-1964 की अवधि में इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के बीच पत्रव्यवहार का एक संग्रह है, उसमें “नौरोज़” के कई संदर्भ हैं। यह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि नौरोज़, कश्मीरी नए साल के लिए नेहरू परिवार में आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द था।
उपरोक्त प्रमाण नौरोज़/नवरेह के बारे में भ्रम को दूर करते हैं। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली/यूपी में बस गए पंडितों द्वारा ‘नौरोज़’ को आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द माना जाता है, जबकि कश्मीर में रहने वाले या बाद की तारीख में कश्मीर से बाहर गए पंडितों के बीच ‘नवरेह’ अधिक आम है। नवरेह और नौरोज़, दोनों, कश्मीरी नए साल को संदर्भित करते हैं। नए साल के बधाई संदेश पर इस तरह की शातिराना ट्रोलिंग दिखना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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