यूपी में हुए पंचायत चुनावों के नतीजे आ चुके हैं. इसके बाद न्यूज़18 ने रिपोर्ट किया कि बहराइच के रुपईडीहा बाज़ार में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये गये. चैनल के मुताबिक, एक प्रत्याशी के जीतने के बाद समर्थकों की भीड़ ने जुलूस निकाला और ‘आपत्तिजनक’ नारेबाज़ी की. बता दें कि बहराइच के केवलपुर ग्राम सभा सीट से प्रत्याशी हाजी अब्दुल कलीम जीते हैं. नीचे, न्यूज़18 यूपी की वीडियो रिपोर्ट देखी जा सकती है.

 

न्यूज़18 ने इसे वेबसाइट पर पब्लिश करने के साथ ही ट्विटर और फेसबुक पर भी शेयर किया.

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सिर्फ न्यूज़18 ही नहीं, जागरण ने भी यही दावा किया था. जागरण ने हेडिंग लिखी, “बहराइच में नेपाल सीमा पर पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा, वीडियो इन्टरनेट मीडिया पर वायरल.” लेकिन अब ये आर्टिकल हटा लिया गया है. इसका आर्काइव किया हुआ लिंक आप यहां देख सकते हैं. बता दें कि जागरण प्रकाशन लिमिटेड के अख़बार दैनिक जागरण का अपना फ़ैक्ट-चेक विंग ‘विश्वास न्यूज़’ भी है जो इंटरनेशनल फ़ैक्ट चेकिंग नेटवर्क से सर्टिफ़ाइड है.

एक अन्य पोर्टल ब्रेकिंग ट्यूब ने भी यही रिपोर्ट किया है और ट्विटर पर भी शेयर किया. ये प्लेटफ़ॉर्म पहले भी साम्प्रदायिक और भ्रामक दावे करता आया है जिसपर ऑल्ट न्यूज़ ने रिपोर्ट्स भी लिखी हैं. (पहली, दूसरी और तीसरी रिपोर्ट)

ग़लत दावा

अमर उजाला ने 5 मई को ही इस मामले पर रिपोर्ट किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों ने अपने पसंदीदा प्रत्याशी की जीत की ख़ुशी में सड़क पर जुलूस निकाला और विजेता का नाम लेते हुए नारेबाज़ी की. अमर उजाला ने ये भी कहा कि इस मौके का वीडियो शेयर करते हुए भ्रामकता फैलाई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए जुलूस निकालने के लिए एक नामजद समेत 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया.

इसके बाद 6 मई को बहराइच पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा नहीं बल्कि प्रत्याशी के नाम का नारा लगाया जा रहा था, ‘हाजी साब जिन्दाबाद’. पुलिस ने ये भी कहा कि इस वीडियो में जो आवाज़ है, उसे सुनते ही साफ़-साफ़ मालूम पड़ रहा है कि क्या बोला जा रहा है.

हमने न्यूज़18 यूपी के वीडियो की रफ़्तार घटा कर सुना और पाया कि लोग वाकई ‘हाजी साब ज़िंदाबाद’ का नारा लगा रहे हैं न कि ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का.

 

ऑल्ट न्यूज़ ने विजेता हाजी अब्दुल कलीम के भाई हाजी अब्दुल रहीम से बात की. उन्होंने कहा, “ये सब ग़लत फैलाया जा रहा है. परिणाम आते ही मैं वहां से निकल रहा था तो समर्थक हाजी साब ज़िंदाबाद का नारा लगाने लगे. हमने कोई जुलूस नहीं निकलवाया था. ऐसा होता तो हम जगह-जगह घूमते. मैं वोट की गिनती खत्म होते ही घर आ गया और पीछे-पीछे वहां मौजूद समर्थक चले आ रहे थे. मेरे भाई शाम को घर आये थे, तब तक प्रमाण पत्र आदि कामों के लिए कार्यालय में ही रुके हुए थे.”

ऐसा पहली बार नहीं है जब मीडिया आउटलेट्स या सोशल मीडिया यूज़र्स ने समर्थकों के नारों को पाकिस्तान ज़िंदाबाद बताया हो. इससे पहले AIUDF समर्थकों द्वारा लगाये गये ‘अज़ीज़ खान ज़िंदाबाद’ के नारों को मीडिया ने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ सुन लिया था. दिसम्बर 2019 में भी ‘काशिफ़ साब ज़िंदाबाद’ को आउटलेट्स ने प्रो-पकिस्तानी नारा बताया था. ऐसा बार-बार होना दर्शाता है कि न्यूज़ चैनल या अख़बार या न्यूज़ वेबसाइट्स असल में क्या सुनने की अपेक्षा रखती हैं और सांप्रदायिक रंग वाली कथित ख़बरों को चलाने की हड़बड़ाहट में वो तथ्यों पर नज़र फेरने की ज़हमत भी नहीं उठाते.


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