28 दिसम्बर को भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया है कि लखनऊ में CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए हैं, उन्होंने ट्वीट में लिखा, चूंकि अभी पुराने वीडियो शेयर किये जा रहे हैं, लखनऊ से यह वीडियो है, जहाँ CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है … धिक्कार है! किसी को उनके साथ एक संवाद करना चाहिए और उन्हें अगली बार कैमरों के लिए तिरंगा और बापू की तस्वीर ले जाने के लिए कहना चाहिए।” -“Since this is a season of pulling out old videos, here is one from Lucknow where anti-CAA protestors can be seen raising ‘Pakistan Zindabad’ slogans… Damn! Someone needs to have a samvaad with them and ask them to carry tricolour and Bapu’s picture for the cameras next time…” (आर्काइव)

यह ध्यान देने वाली बात है कि मेरठ के SP अखिलेश नारायण सिंह द्वारा CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को ‘पाकिस्तान जाओ’ कहने का वीडियो वायरल होने के बाद से यह वीडियो प्रसारित है। मेरठ के अखिलेश नारायण सिंह ने अपने बयान के बाद सफाई दी है, उन्होने कहा– ‘“कुछ लड़कों ने हमें देखते ही पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए” इसके जवाब में हमने उन्हें ये कहा कि वो ‘पाकिस्तान चले जाए’।

BJP हरियाणा के सोशल मीडिया हेड अरुण यादव ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, “लखनऊ में CAA के विरोध में आयोजित रैली में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे।”

मीडिया की खबरें

Zee News उत्तर प्रदेश उत्तराखंड चैनल ने इस वीडियो पर “CAAProtest : हिंदुस्तान में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे कैसे?” शीर्षक से खबर प्रकाशित की है। (आर्काइव) Zee News के एंकर बता रहे हैं “दरअसल 13 दिसंबर को लखनऊ के घंटा घर इलाके का ये वीडियो बताया जा रहा है, जिसमें AIMIM के असदुद्दीन ओबैसी के झंडो के साथ ये नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे और पार्टी समर्थक झंडे यहाँ पर दिखाई दे रहे हैं। ये वीडियो CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान सामने आया है। ये हिंदुस्तान में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। विरोध एक कानून का हो रहा है, लेकिन ये देश विरोधी नारे आखिर क्यों लगाए जा रहे थे?”

रिपब्लिक ने इस वीडियो का प्रसारण “यूपी से असत्यापित वीडियो : लखनऊ में AIMIM की रैली में पाकिस्तान जिंदाबाद ’के नारे”- (अनुवाद) शीर्षक से किया है। एंकर ने एक संवाददाता वासुदेव से बात की है, जिन्होंने दावा किया कि 13 दिसंबर की रैली के बाद एक FIR दर्ज़ की गई थी, जिसमें लिखा था कि विरोध के दौरान ’पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए थे। हालांकि, वासुदेव ने कहा कि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि ये नारे किसने लगाए।

फेसबुक और ट्विटर पर यह वीडियो व्यापक रूप से वायरल है। नीतू गर्ग, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं, ने SP अखिलेश सिंह के बयान को कोट ट्वीट करते हुए यह वीडियो शेयर किया है। कई अन्य यूज़र्स जैसे विनीता हिंदुस्तानी और पूजा सिंह ने भी यह वीडियो क्लिप पोस्ट किया है।

यह वीडियो कई यूट्यूब चैनल द्वारा पोस्ट किए जाने के अलावा ब्रेकिंग ट्यूब न्यूज़, जिसे पहले भी कई बार गलत जानकारी फैलाते हुए पाया गया है, ने अपलोड किया है, जिसका शीर्षक है, “लखनऊ: सीएए विरोध की आड़ में लगे थे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे, जिसके बाद भड़की थी हिंसा। “

‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ नहीं ‘काशिफ साब ज़िंदाबाद’

अगर कोई ध्यान से सुने तो वीडियो में पकिस्तान ज़िंदाबाद के नहीं बल्कि ‘कासिब साब ज़िंदाबाद’ के नारे लग रहे हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने मीडिया संगठन ब्रेकिंग ट्यूब के वीडियो को दो गुना स्लो किया है, जैसा कि आप नीचे वीडियो में सुन सकते हैं, भीड़ में ‘काशिफ साब ज़िंदाबाद’ के नारे लग रहे हैं। पाठकों से अनुरोध है कि अच्छे से सुनने के लिए ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करें। (जो वीडियो के नारे को सामान्य गति में सुनना चाहते हैं, यहाँ क्लिक करें) लगाए जाने वाले नारे कुछ इस तरह है-

नारेबाज: अकबर ओबैसी ज़िंदाबाद

भीड़: ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद

[ठहराव]

नारेबाज: काशिफ साब ज़िंदाबाद

भीड़: ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद

नारेबाज: काशिफ साब ज़िंदाबाद

भीड़: ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद

नारेबाज: हिंदुस्तान ज़िंदाबाद

भीड़: ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद

नीचे पोस्ट किये गए वीडियो में ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ नारे वाले हिस्से को सुना जा सकता है।

काशिफ साब उर्फ काशिफ अहमद AIMIM लखनऊ के प्रमुख हैं। AIMIM यूपी के अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में बताया कि 13 दिसंबर को हुए विरोध रैली को काशिफ अहमद नेतृत्व कर रहे थे। ऑल्ट न्यूज़ ने पता किया कि अहमद रैली में मौजूद थे। नीचे पोस्ट किए गए तस्वीर में वह सफेद रंग के कपड़े में देखे जा सकते हैं।

नीचे पोस्ट किए गए वीडियो में काशिफ अहमद (ऊपर सफ़ेद कपड़े में दिख रहे व्यक्ति) को उसी रैली में हिंदुस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।

13 दिसंबर को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ लखनऊ में एक विरोध रैली आयोजित की थी। हिंदुस्तान टाइम्स की 15 दिसंबर के रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दो FIR दर्ज़ की गईं। “पहली प्राथमिकी सतखंडा पुलिस चौकी के प्रभारी उप निरीक्षक राजीव द्विवेदी के शिकायत पर दर्ज की गई थी। अपनी शिकायत में, द्विवेदी ने उल्लेख किया कि कुछ लोगों ने बिना अनुमति के घंटा घर के पास इकट्ठा हुए और भारत विरोधी नारे लगाए … प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चौक पुलिस स्टेशन में निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए एक और प्राथमिकी दर्ज की गई, जिन्होंने टेले वली के प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शन किया मस्जिद।” हालांकि, नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और AIMIM प्रतिनिधियों ने दावा किया कि उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था और देश विरोधी कोई नारे नहीं लगाए।

ऑल्ट न्यूज़ को दोनों FIR की कॉपी मिली है। मीडिया संगठन रिपब्लिक का दावा कि FIR में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाने का उल्लेख है, इसको ऑल्ट न्यूज़ ने गलत पाया। FIR के अनुसार, AIMIM रैली में प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार, NRC और CAA के खिलाफ नारे लगाए। इसमें यह भी उल्लेख है कि उन्होंने भड़काऊ नारे लगाए। उन पर देशद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज़ की गई थी।

18 दिसंबर की द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने देशद्रोह के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है।”

कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ता, मीडिया संगठन रिपब्लिक, Zee News और भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने झूठे दावे के साथ वीडियो को प्रसारित किया। प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ नहीं बल्कि ‘काशिफ साब ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए थे।

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