24 फरवरी, 2018 को बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले में एक गाड़ी के स्कूल से टकरा जाने के कारण 9 बच्चों की मौत हो गयी और 24 घायल हो गए। यह भयानक दुर्घटना राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा था क्योंकि आरोपी भाजपा कार्यकर्ता हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने टीवी चैनलों और अंग्रेजी और हिंदी अखबारों में इस खबर के कवरेज को देखा ताकि ये पता लगाया जा सके कि यह मुद्दा टीवी के प्राइम टाइम और अखबार के पहले पन्ने पर आया की नहीं। हमने 24 और 25 तारीख को टीवी चैनलों का प्राइम टाइम कवरेज देखा। और अखबारों का रविवार संस्करण देखा यानि 25 फरवरी, दुर्घटना के एक दिन बाद का संस्करण। हमें यह नतीजे मिले।

अंग्रेजी

टीवी न्यूज़ चैनल

टाइम्स नाउ

टाइम्स नाउ के लिए नौ बच्चों की मौत की खबर उस घटना के दिन मणिशंकर अय्यर जितना महत्त्व नहीं रखती थी। जिस दिन यह दुर्घटना घटी यानि – शनिवार को – उस दिन मुख्यधारा के टीवी चैनलों की मनपसंद हस्ती (अय्यर) उनके टीवी स्क्रीन पर थे।

चैनल के सीनियर एंकर राहुल शिवशंकर ने रात 8 बजे #AiyarSecretMeetTape का हैशटैग चलाया। दूसरा विषय हाल में हुए बैंक घोटाले थे। अगले दिन, रविवार को, यानि 25 फरवरी को, इस चैनल ने श्रीदेवी की खबर चलाई। 26 फरवरी से चैनल ने इस खबर पर जोर देना शुरू किया और इस पर प्राइम टाइम शो भी रखा।

रिपब्लिक टीवी

रिपब्लिक के लिए 24 फरवरी को सबसे महत्वपूर्ण खबर गायक पापोन का विवाद था। पापोन का एक नाबालिग लड़की को चूमते हुए एक विडियो वायरल हो जाने के बाद वे विवाद में घिर गए थे। चैनल ने #ArrestPapon नाम का हैशटैग चलाया और इस ही पर ट्विटर पर वोट कराया। सवाल था: “क्या विकृत मानसिकता वाले पापोन की गिरफ्तारी होनी चाहिए?” रिपब्लिक टीवी ने 26 फरवरी यानि घटना के दो दिन बाद मामले में हुई एफ़आईआर की रिपोर्टिंग की और भाजपा के आरोपी मनोज बैठा पर नज़र रखने का दावा किया।

इंडिया टुडे

इंडिया टुडे ने तत्काल इस स्टोरी को 24 फरवरी को कवर किया और इस पर मुज़्ज़फ़्फ़रपुर से एक ग्राउंड रिपोर्ट ही की जिसमें घटना का विस्तृत कवरेज किया गया।

लेकिन प्राइम टाइम स्लॉट में 24 फरवरी को चैनल ने भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर और 25 फरवरी को श्रीदेवी की खबर को चलाया। एंकर गौरव सावंत ने अपने कार्यक्रम #इंडिया_फर्स्ट में भारत-पाक रिश्तों को लेकर बहस करवाई। सवाल था “क्या समय आ गया है की भारत को पाकिस्तान के साथ सभी खेल-कूद व सांस्कृतिक रिश्ते तोड़ देने चाहिए?”

एनडीटीवी

एनडीटीवी ने इस घटना को उसी दिन कवर किया। चैनल ने लगातार इस स्टोरी का कवरेज जारी रखा और इस दुर्घटना पर कई रिपोर्ट की। कुल मिलाकर इस खबर को चैनल ने महत्त्व दिया।

सीएनएन न्यूज़18

सीएनएन न्यूज़18 ने इस घटना पर एक ग्राउंड रिपोर्ट पेश की जिसमें उनके रिपोर्टर ने मारे गए बच्चों के घरवालों से बात की। चैनल ने 26 फरवरी को रात 10 बजे के स्लॉट में प्राइम टाइम खबर को जगह दी और नितीश कुमार की सरकार पर निशाना साधा।

अखबार

इस खबर को महत्त्व देने के मामले में अखबारों का रव्वैया भी न्यूज़ चैनलों जैसा ही था। हमने प्रमुख अखबारों के दिल्ली संस्करण पर नज़र डाली तो हमें यह मिला:

टाइम्स ऑफ़ इंडिया

25 फरवरी के टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पेज पर इस खबर को कोई जगह नहीं मिली।

यह खबर अखबार के अंदर के पेज में कहीं छिपी हुई थी। पेज 10 के एक छोटे से कॉलम में इस स्टोरी का ज़िक्र किया गया। इस खबर में आरोपी के भाजपा कार्यकर्ता होने का कोई उल्लेख नहीं था।

हिंदुस्तान टाइम्स

हिंदुस्तान टाइम्स के लिए यह सबसे बड़ी खबर थी जो 25 फरवरी के संस्करण के पहले पेज पर कवर की गयी। लेकिन इस खबर में आरोपी के भाजपा के साथ तालुकात का कोई ज़िक्र नहीं था।

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस जो ह्यूमन इंटरेस्ट की खबरों को तव्वजो देने के लिए मशहूर है वह भी इस खबर को संडे एक्सप्रेस के फ्रंट पेज में देने में नाकाम रहा।

उसकी जगह ठीक टाइम्स ऑफ इंडिया के जैसे एक्सप्रेस ने भी इस खबर को पेज 9 पर लगाया। हालांकि एक्सप्रेस ने इस खबर को टाइम्स से ज़्यादा महत्त्व दिया जिसके चलते इसे ज़्यादा जगह भी मिली। लेकिन यहां भी आरोपी की राजनीतिक पृष्टभूमि का कोई वर्णन नहीं था।

डीएनए

डेली न्यूज़ एंड एनालिसिस (डीएनए) एक और प्रमुख अंग्रेजी भाषी दैनिक अखबार है जिसने 25 फरवरी को इस खबर को अपने फ्रंट पेज पर जगह दी। यह खबर इनके फ्रंट पेज के निचले हिस्से के दाहिने कॉलम में रखी गयी।

हिंदी

टीवी न्यूज़ चैनल

ज़ी न्यूज़

ज़ी न्यूज़ देश में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले चैनलों में से एक है। इसने 24 फरवरी को मुज़्ज़फ़्फ़रपुर से इस खबर को कवर किया। उनकी रिपोर्ट की हैडलाइन थी: ‘बिहार में भाजपा लीडर की कार भीड़ से टकराई, 9 बच्चों की मौत, कई घायल’।

लेकिन प्राइम टाइम का फोकस अन्य खबरों पर था। एंकर सुधीर चौधरी ने निजी अस्पतालों द्वारा मरीज़ों को झांसा देकर लूटने पर चर्चा की।

रविवार 25 फरवरी को अपेक्षानुसार प्राइम टाइम शो पर श्रीदेवी की खबर थी। चैनल ने 2019 में संघ परिवार की नरेंद्र मोदी को विजयी बनाने की योजना पर भी चर्चा की।

आज तक

एक और लोकप्रिय चैनल आज तक पर दुर्घटना के दिन खबर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच चल रही लड़ाई पर केंद्रित था।

अगले दिन 25 फरवरी को चैनल ने दुर्घटना पर मुज़्ज़फरपुर से ग्राउंड रिपोर्ट पेश की।

इंडिया टीवी

रजत शर्मा के इंडिया टीवी चैनल ने इस खबर को 24 फरवरी की दोपहर को सबसे पहले मुज़्ज़फ़्फ़रपुर से प्रसारित किया। इसके अलावा इस चैनल पर इस खबर को बहुत कम कवरेज मिला।

प्राइम टाइम पर चैनल ने नीरव मोदी और विराट कोहली पर खबरें चलाई और अगले दिन सारा कवरेज श्रीदेवी के नाम था।

हिंदी अखबार

दैनिक जागरण

सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले हिंदी अखबारों में से एक दैनिक जागरण ने 25 फरवरी के रविवार के संस्करण में नीरव मोदी की खबर को मुख्य खबर बनाया। इस खबर में यह बताया गया की किस तरह सरकार इस मामले से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रही है और कैसे महीने भर के अंदर चार्जशीट दायर कर दी जायेगी। मुज़्ज़फ़्फ़रपुर और उस हादसे में जान गवाने वाले बच्चों का फ्रंट पेज पर कोई ज़िक्र नहीं था।

अमर उजाला

अमर उजाला एक लोकप्रिय हिंदी अखबार है। इस अखबार ने बिहार से आयी इस दुखद खबर को फ्रंट पेज पर जगह दी और खबर के साथ न्याय किया।

हिंदुस्तान

हिंदुस्तान ने इस खबर को 25 तारीख के अंक में फ्रंट पेज पर सबसे ऊपर बीचोबीच जगह दी।

नवभारत टाइम्स

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप के अखबार नवभारत टाइम्स ने इस खबर को अपने फ्रंट पेज पर जगह नहीं दी। बल्कि उसको पेज 3 पर एक छोटे से कॉलम में “फास्ट न्यूज़” सेक्शन में लिया।

हालांकि टीवी न्यूज़ चैनलों ने मुज़्ज़फ़्फ़रपुर की इस खबर को तत्काल रिपोर्ट तो किया और कुछ चैनलों ने ग्राउंड रिपोर्ट भी की लेकिन उनके प्राइम टाइम स्लॉट शनिवार और रविवार को अन्य खबरें चली जिसमें श्रीदेवी की खबर प्रमुख थी। इस खबर को 26 फरवरी के बाद, यानि 2 दिन बाद, ज़्यादा कवरेज मिला। इसके अलावा हमने देखा की जैसे ही आरोपी की राजनीतिक पृष्टभूमि सामने आयी सभी चैनलों ने इसका ज़िक्र किया जबकि 25 फरवरी को अखबारों में आयी खबरों में यह पहलू गायब था। जहां तक अख़बारों का सवाल है, जहां कुछ अखबारों ने इस खबर को महत्त्व दिया वहीँ कई अखबारों ने इस दुर्घटना को करीब-करीब नज़रअंदाज़ कर दिया।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.