अनुमान लगाईये जी न्यूज़, ओपइंडिया और पोस्टकार्ड न्यूज़ में क्या समानता है? इन सभी ने एक व्यंग को सच्ची खबर मानकर प्रकाशित लेख कर दिया।

होली के अवसर पर नवभारत टाइम्स ने अपने समाचार पत्र के पहले पन्ने पर पूरा व्यंग खबर छापने का निश्चय किया और अलग-अलग व्यंगों का संकलन किया। इस संकलन में ऐसी बहुत सारी ख़बरें थी जैसे- नीरव मोदी और विजय माल्या ने दिल्ली में पार्टी की, गुड मोर्निंग मेसेज भेजने के लिए 18% GST देना होगा, राहुल गांधी के टॉप लेवल मीटिंग में रेणुका गांधी हंस पड़ी, चीन और पाकिस्तान करेंगे डोकलाम में योगा, शराब पर सब्सिडी पाने के लिए अकाउंट को आधार से लिंक कराएं और भी बहुत कुछ। ऐसी सारी कहानियां ‘बुरा न मानो होली है‘ की भावना में व्यंग थी। इन व्यंग से भरे ख़बरों में से राहुल गांधी के बारे में एक खबर को तीन वेबसाइट ने उठा लिया।

जी न्यूज़

व्यंग को पक्की खबर सबसे पहले जी न्यूज़ ने बनाया और इस शीर्षक के साथ एक लेख प्रकाशित किया, “अब राहुल गांधी की हाई लेवल मीटिंग में हंस पड़ीं रेणुका चौधरी, पार्टी हुई नाराज।” जी न्यूज़ ने कांग्रेस की उच्च स्तरीय बैठक में इस घटना का ब्यौरा दिया।

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जी न्यूज़ को शर्मिंदगी उठानी पड़ी जब उसे पता चला कि एक मजाक को उसने गंभीरता से ले लिया है। नवभारत टाइम्स के पत्रकार ने इस खबर के लिए जी न्यूज़ को ध्यान दिलाया तो जल्दीबाज़ी में जी न्यूज़ ने अपना लेख डिलीट कर दिया।

ओपइंडिया.कॉम

दक्षिणपंथी वेब पोर्टल ओपइंडिया जोकि अक्सर राहुल गाँधी, विपक्षी दल और मुसलमानों के खिलाफ नकारात्मक समाचार प्रकाशित करता रहता है वह इस झूठी खबर को प्रकाशित करने में दूसरा रहा। ओपइंडिया ने जी न्यूज़ के लेख को अपने वेबसाइट पर अंग्रेजी में लिखा और सवाल किया कि, “क्या इसबार कांग्रेस के समर्थक रेणुका चौधरी का बचाव करेंगे या नहीं?”

ओपइंडिया का यह हास्यप्रद लेख बहुत गंभीरता से रिपोर्ट किया गया था। जिसके अनुसार, “राहुल पार्टी की गंभीर स्तिथि के बारे में बात कर रहे थे, उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को मुश्किलों पर काबू पाने के लिए ‘अपना सर्वोत्तम देना’ होगा। तभी रेणुका चौधरी फिर से ठहाके लगाकर हंस पड़ी। अपना नाम उजागर नहीं किये जाने के शर्त पर एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि रेणुका की हंसी ने वहां उपस्थित अन्य सदस्यों को अवाक् कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष इस प्रतिक्रिया को देखते हुए अपने भाषण को खत्म किए बिना अचानक बैठ गए।” (अनुवाद)

ओपइंडिया ने कांग्रेस प्रवक्ताओं, समर्थकों और फेमिनिस्ट को टोकते हुए सवाल पूछा, “क्या इस बार भी रेणुका चौधरी को उसी तरह समर्थन मिलेगा?” ओपइंडिया को यह भी प्रतीत नहीं हुआ कि वह एक ऐसी घटना के बारे में बात कर रहा है जो कभी हुआ ही नहीं था। यह एक व्यंगपूर्ण खबर थी जिसे ओपइंडिया ने असली खबर बनाकर पेश किया। हाल ही के मामले की तरह जिसमें ओपइंडिया ने बिना तथ्य जाँच किए मुंबई पुलिस पर गलत आरोप लगाया था कि उन्होंने अजज खान को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था ठीक वैसे ही इसबार ओपइंडिया ने बिना तथ्य जाँच किये जी न्यूज़ की रिपोर्ट का हवाला दिया।

जब पता चला कि यह मूल खबर व्यंग मात्र था तो ओपइंडिया की प्रतिक्रिया चौकाने वाली थी। उन्होंने न तो लेख डिलीट किया ना ही माफ़ी मांगी बल्कि लेख के अंत में एक वाक्य जोड़ दिया “नोट: यह लेख होली के अवसर पर व्यंग है”, उन्होंने जी न्यूज़ के उस ट्वीट को भी हटा दिया जिसका सन्दर्भ पहले दिया था और कुछ बदलाव भी कर दिए ताकि उनका लेख व्यंग की तरह दिखे।

खैर, हम सिर्फ उन पाठकों के लिए खेद महसूस कर सकते हैं जो उन वेबपोर्टल के फर्जी ख़बरों को फैक्ट चेक मानकर विश्वास कर लेते हैं। ओपइंडिया ने शायद सोचा होगा कि उसके लेख में किए गए बदलाव पर कोई ध्यान नहीं देगा। लेकिन वे ऑल्ट न्यूज़ की तेज नजर से नहीं बच पाए क्यूंकि हमने उनके ओरिजिनल लेख का बैकअप (Archived) रख लिया था।

पोस्टकार्ड न्यूज़

ओपइंडिया की तरह, पोस्टकार्ड न्यूज़ ने नकली ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट के आधार पर पूरा लेख लिखा। उन्होंने निष्कर्ष निकाला “एक बार फिर साबित हो गया है कि राहुल गांधी को अपनी पार्टी नेताओं द्वारा भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है।” पोस्टकार्ड न्यूज़ को शायद इस गलती के लिए माफ़ किया जा सकता है क्योंकि वे नकली समाचारों के अधिकृत विक्रेता हैं और अधिकांश लोग पहले से ही जानते हैं कि उनके लेखों को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता।

पोस्टकार्ड न्यूज़ ने लेख को हटाने या संशोधित करने की कोई जरुरत नहीं समझी। इस मामले में, इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि यह लेख उनकी वेबसाइट पर अन्य लेखों के साथ अच्छी तरह से फिट बैठता है।

किसी व्यंग को असली खबर बनाकर पेश करने की बात मजाक में नहीं उड़ाई जा सकती। यह कई गंभीर मुद्दों को उठाता है जैसे बेवपोर्टल कैसे पूर्वाग्रह के आधार पर समाचार पेश करता है और उनके समाचार में सम्पादकीय जाँच भी नहीं दिखाई देती है। इन वेबपोर्टल को जब यह पता चलता है कि उन्होंने गलत खबर प्रकाशित की है इसके बाद इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए यह उनका मुद्दा है। लेकिन पाठक वेबपोर्टलों से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं ना कि गलती को छुपाए जाने के प्रयास की।

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