मोदी : पहली बात तो मैं कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति नहीं हूं. लेकिन परमात्मा की कृपा है और उसके कारण शायद मुझे नई-नई चीजें जानने का बड़ा शौक रहा है.

रिपोर्टर : कितना पढ़े हैं आप?

मोदी : वैसे तो मैंने 17 साल की आयु में घर छोड़ दिया. स्कूली शिक्षा के बाद मैं निकल गया. तब से लेकर आज तक भटक रहा हूं नई चीज़ें पाने के लिए.

रिपोर्टर : सिर्फ़ स्कूल तक पढ़े हैं? मतलब प्राइमरी स्कूल तक?

मोदी : हाईस्कूल तक.

ऊपर जो बातचीत है वो 90 के दशक में नरेन्द्र मोदी के इंटरव्यू से ली गयी है. इस वक़्त वो भाजपा के महासचिव थे. कार्यक्रम ‘रु-ब-रु’ के इस इंटरव्यू में रिपोर्टर राजीव शुक्ला ने मोदी से पूछा, “कितना पढ़े हैं आप?” जिसपर मोदी ने अपना जवाब दिया.

ट्विटर यूज़र @IndurChhugani ने 26 सितम्बर, 2020 को एक वीडियो रीशेयर करते हुए तंज़ कसा – “ये कहना बंद करिए कि उन्होंने कभी सच नहीं कहा. रीट्वीट करिए और लोगों को ये जानने दीजिये.”

ये क्लिप पिछले 2017 से सोशल मीडिया पर वायरल है.

ऊपर जो स्क्रीनशॉट दिया गया है उसे एक ‘भ्रष्ट्राचार का काल- केजरीवाल’ नामक फ़ेसबुक ग्रुप में पोस्ट किया गया था जिसे 52,000 बार शेयर किया गया. 30 सेकंड की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म्स पर फ़ैल रही है. हमने एक ऐसी ही क्लिप को नीचे पोस्ट किया है. इसे यूट्यूब पर 25,000 से ज़्यादा बार देखा गया है.

क्या है इस वीडियो की सच्चाई?

जैसा कि दावा किया जा रहा है, क्या प्रधानमंत्री ने स्कूल से आगे की पढ़ाई नहीं की है? ऑल्ट न्यूज़ ने जब इसका पूरा वीडियो ढूंढा तो पाया कि उसी इंटरव्यू में प्रधानमंत्री आगे ये कहते हैं:

“बाद में हमारे संघ के एक अधिकारी थे. उनके आग्रह पर मैने एक्सटर्नल एग्ज़ाम देना शुरू किया. तो दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैंने बीए कर लिया एक्सटर्नल एग्ज़ाम दे कर के. फिर भी उनका आग्रह रहा तो मैंने एमए कर लिया एक्सटर्नल एग्ज़ाम से. मैंने कभी कॉलेज का दरवाज़ा देखा नहीं.”

यह हिस्सा उस वायरल वीडियो क्लिप से हटा दिया गया है. हमने इंटरव्यू के दौरान हुई इस बातचीत का वीडियो नीचे पोस्ट किया है.

अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के आधिकारिक दस्तावेज तक पहुंचने में RTI कार्यकर्ता असफ़ल रहे हैं जिस वजह से यह विवाद काफ़ी समय से चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी डिग्री में हेर-फेर करने का आरोप लगाया गया है. दिल्ली उच्च न्यायलय में दाखिल एक हलफ़नामे में दिल्ली विश्यविद्यालय ने कहा था कि 1978 में विश्वविद्यालय से पास हुए छात्रों के बारे में आरटीआई अधिनियम के अनुसार विश्वासाश्रित संबंध के चलते इस जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता. इसी साल प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली उनिवेर्सिती से ग्रेजुएट (स्नातक) होने का दावा किया था. दिल्ली विश्वविद्यालय ने अदालत से कहा कि वह 1978 में बीए कोर्स में पास होने वाले छात्रों के रिकॉर्ड का खुलासा नहीं कर सकता है. प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता में पारदर्शिता की कमी के बावजूद, उस वीडियो को साझा करने का कोई तुक नहीं है जिसमें बयान को काट-छांट कर गलत तरीके से पेश किया गया है.

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.