“भारतीयों के लिए अच्छी खबर : हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक नंबर जारी किया है जिसकी मदद से हमारे देश की किसी भी फंक्शन/पार्टी में अब भोजन बर्बाद नही होगा । बस आम जनता को करना ये होगा की जब उसे यह लगे की उसकी पार्टी में भोजन बच रहा है तो उसे 1098 { child helpline number } ( भारत के किसी भी क्षेत्र में ) नंबर पर कॉल करनी होगी। जिससे कि होगा यह कि कुछ लोग आएंगे और बचे हुए भोजन को अपने साथ ले जाएंगे और सभी भूखे बच्चो को बॉट देंगे।” यह मेसेज सोशल मीडिया पर फ़ैल रहा है जिसे पीएम मोदी की पहल बताकर जागरूकता फैलाते हुए दिखाया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह एक चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन सेवा ‘1098’ के बारे में है जो सामाजिक दावत में बचे खाने को इकट्ठा करके ज़रूरतमंद बच्चों को बाँटने में मदद करता है। फेसबुक पर इसे कई तरह से फैलाया जा रहा है, जिसमें एक कहानी के साथ यह मेसेज है, “अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो..! और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो…! तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में) पर फ़ोन करें, “यह एक मजाक नहीं है -यह चाइल्ड helpline है”…!”

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यह कोई नई अफवाह नहीं है

ट्विटर पर यह मेसेज साल 2010 से फ़ैल रहा है।

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यह दावा कई वर्षों से सोशल मीडिया पर घूम रहा है। 30 जनवरी 2012 को द टेलीग्राफ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया, ” फेसबुक पर चलने वाले अफवाहों की वजह से सड़क पे रहने वाले बच्चों के लिए देश की एकमात्र टोल-फ्री टेली-हेल्पलाइन को अब समारोह में बचे हुए भोजन उठाने और बांटने की पेशकश करने वाले फ़ोन आते हैं। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन में संचार और रणनीतिक पहल के प्रमुख निशित कुमार ने कहा कि हमें पार्टी स्थानों से भोजन लेने के लिए कहने वाले कॉलों की बहुलता मिलती है। हमारी मुंबई हेल्पलाइन को उत्तर और पश्चिम भारत से सड़क के बच्चों से सैकड़ों कॉल मिलती हैं। भले ही पांच कॉल हैं जो हमें बचे हुए भोजन लेने के लिए कह रहे हैं, यह हमारे समय का दुरुपयोग है। इसका मतलब है कि कुछ जरूरतमंद बच्चे, हमसे इस वजह से जुड़ नहीं पा रहे है।”

एबीपी न्यूज़ ने भी सितम्बर, 2016 में इस हेल्पलाइन नंबर से सम्बंधित फैलाए जा रहे अफवाह पर एक रिपोर्ट लिखा था।

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इतने ज्यादा फोन कॉल आने की वजह से बाल हेल्पलाइन के कार्य में रूकावट आती है, चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट के पहले पेज पर एक चेतावनी जारी की थी, “हम समझते हैं कि एक फर्जी मेल को फैलाया जा रहा है जिसमें कहा गया है – किसी को पार्टी के बाद बचे हुए भोजन को दान करने के लिए 1098 पर कॉल करना चाहिए ताकि यह बर्बाद न हो। लेकिन यह सच नहीं है। हम बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की ज़रूरत वाली भारत की एकमात्र और सबसे व्यापक फोन आपातकालीन सेवा (1098) हैं। हम बचा भोजन नहीं उठाते हैं ना ही उस भोजन को वितरित करते हैं। यह मेल हमारे द्वारा शुरू नहीं किया गया था, कृपया इसे प्रसारित न करें। आपका सहयोग सराहनीय है।”

फिर भी इसे फेसबुक पर यह कहते हुए वायरल किया गया कि यह एक जागरूकता फैलाने की मुहीम है और इसे विश्वासयोग्य दिखाने के लिए बच्चों के कुछ चित्रों को भी जोड़ा गया। BOOM की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ये संदेश मूल रूप से 2009 में पहली बार ईमेल द्वारा फैलाया गया था।

सोशल मीडिया पर ऐसी कई गलत जानकारियां फैलाई जाती है। इस तरह की अफवाहें साझा करने से लोगों को कुछ अच्छा काम किया हो ऐसा महसूस होता है, लेकिन ये ना सिर्फ चाइल्डलाइन इंडिया के काम में रूकावट डालती है बल्कि बच्चों के बीच भूख के मुद्दे को हल करने में भी कोई सहायता नहीं करती हैं।

अनुवाद: चन्द्र भूषण झा के सौजन्य से

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.