“मरीज़ महिला के साथ बलात्कार करने पर एक डॉक्टर का लाइसेंस रद्द हो गया। अब वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता है #पात्रा” यह गंभीर आरोप संबित पात्रा पर लगाया गया है जो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और टीवी समाचार चैनलों पर एक लोकप्रिय चेहरा हैं।
Posted by I Support Ravish Kumar on Tuesday, 26 June 2018
एक फेसबुक पेज आई सपोर्ट रवीश कुमार (I Support Ravish Kumar) ने 26 जून, 2018 को यह पोस्ट किया है। इस पेज के 11 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स है और संबित पात्रा के चित्र के साथ संदेश वाले इस पोस्ट को यह रिपोर्ट लिखे जाने तक 13 हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चूका है। इस संदेश को कुछ यूजर्स ने पर्सनल आईडी से भी पोस्ट किया है।
इस संदेश को ट्विटर पर भी व्यापक रूप से शेयर किया गया है।
महिला मरीज के साथ बलात्कार करने के जुर्म में जिस डॉक्टर का लाइसेंस रद्द हुआ, आज वही डॉक्टर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी
भाजपा का प्रवक्ता है !नाम – डॉक्टर संबित पात्रा
😡😡😡
सिर्फ याद दिला रहा हूँ !!
क्यों की समझदार को इशारा काफी होता है !— Prof.R.S. Jadhav (@jadhav_prof) March 8, 2018
डॉ. पात्रा ने इस आरोप को झूठा बताया
ऑल्ट न्यूज़ ने इस संबंध में जानने के लिए कि यह किसी समाचार रिपोर्ट में छपी है या नहीं, अंग्रेजी और हिंदी में गूगल पर खोज की, लेकिन इस आरोप से संबंधित कुछ भी सन्दर्भ नहीं मिला। तब हमने डॉ. संबित पात्रा से संपर्क किया जिन्होंने इन आरोपों को बेतुका बताया। उन्होंने कहा, “मैं सत्यापित हैंडल और वेबसाइटों के खिलाफ मानहानि पर विचार कर रहा हूं जो इस तरह की बेबुनियाद, अनौपचारिक और झूठी जानकारी फैला रहे हैं।” (अनुवाद)
फेसबुक पेज आई सपोर्ट रवीश कुमार से ज्यादातर भाजपा विरोधी पोस्ट किया जाता है। इसी महीने के शुरुआत में इस पेज ने सार्वजनिक रूप से एक बुजुर्ग को पीटते हुए पुलिस की तस्वीर इस दावे के साथ पोस्ट की थी कि यह घटना राजस्थान की है जहाँ एक गरीब किसान को कर्ज ना चूका पाने के कारण पुलिस बेरहमी से पीट रही है। जबकि वह तस्वीर गुजरात की थी और उस व्यक्ति पर अपनी बहु से बलात्कार करने का आरोप था।
सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के गलत जानकारी अक्सर फैलाई जाती है, लेकिन बलात्कार का आरोप न केवल गंभीर बल्कि मानहानिकारक भी है। तथ्य यह है कि इसे एक अधिक पहुँच वाले पेज ने पोस्ट किया है जिसे हजारों बार शेयर किया गया है। यह उदहारण दर्शाती है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाली जानकारी पर तुरंत विश्वास कर लिया जाता है, खासकर तब जब वह किसी के राजनीतिक मूल्यों, विश्वासों और पूर्वाग्रहों से मिलती हो।
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