व्हॉट्सऐप पर एक अप्रमाणित डॉक्यूमेंट की तस्वीर सर्कुलेट हो रही है. इस डॉक्यूमेंट में लोगों को 31 मार्च 2020 तक अपने बैंक अकाउंट से पैसे निकाल लेने के लिए कहा जा रहा है. दावे के मुताबिक़, अगर खाताधारक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) का डॉक्यूमेंट जमा नहीं कर पाता है, तो उसका अकाउंट बंद कर दिया जाएगा. वायरल डॉक्यूमेंट में लिखा है, “प्रत्येक व्यक्ति को सूचित किया जाता है की आने वाली “31 मार्च 2020” से पहले पहले आपने पैसे सभी बैंक से निकल लें “01 अप्रैल 2020” में “NPR” की डॉक्यूमेंट बैंक में मांगे जाएंगे जिस के पास डॉक्यूमेंट नहीं होगा उसका का अकाउंट ब्लॉक कर दिया जाएगा इस सुचना को ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे जय हिन्द.”

इस दावे की सत्यता जांचने के लिए ऑल्ट न्यूज़ को अपने ऑफ़िशियल ऐप पर बहुत सारी रिक्वेस्ट्स मिलीं.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ को पता चला कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की वेबसाइट पर ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, जिसमें “एनपीआर द्वारा जारी लेटर” जमा नहीं करने पर खाता बंद करने की बात कही गई हो. हालांकि, हमें आरबीआई की वेबसाइट पर अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) से संबंधित एक डॉक्यूमेंट मिला. इस डॉक्यूमेंट (मास्टर डायरेक्शन – नो योर कस्टमर (केवाईसी) निर्देश, 2016) पर 25 फ़रवरी, 2016, की तारीख दर्ज़ थी और इसे अंतिम बार 9 जनवरी, 2020, को अपडेट किया गया था. इस डॉक्यूमेंट में केवाईसी प्रक्रिया के लिए ज़रूरी, आधिकारिक वैध दस्तावेजों, के बारे में लिखा है. इसमें ये भी लिखा है कि “नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर द्वारा जारी नाम और पते के विवरण वाला लेटर” भी एक आधिकारिक वैध दस्तावेज माना जाएगा.

‘बूम लाइव’ को दिए बयान में आरबीआई के प्रवक्ता ने वायरल मैसेज का खंडन किया और स्पष्ट किया कि इस सूचना का कोई आधार नहीं है.

गौरतलब है कि ‘द हिंदू बिज़नेस लाइन’ ने 14 जनवरी, 2020, को ख़बर दी थी कि ‘एनपीआर द्वारा जारी लेटर’ भी अब वैध प्रमाण-पत्रों की लिस्ट में शामिल हो गया है. हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ ने 12 जुलाई, 2018 को अपडेट किए गए उसी डॉक्यूमेंट की एक कॉपी मिली. इसमें एनपीआर द्वारा जारी लेटर को वैध प्रमाण-पत्र मानने का ज़िक्र था.

जुलाई 2015 में वित्त मंत्रालय ने रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद नोटिफ़िकेशन जारी कर मनी-लॉन्ड्रिंग की रोकथाम संबंधी एक्ट में संशोधन किया था, तभी “नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर” को केवाईसी के लिए वैध दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया था.

महत्वपूर्ण बात ये है कि केवाईसी के लिए नाम और पता युक्त एनपीआर द्वारा जारी लेटर, पासपोर्ट, वोटर आइडी और ड्राइविंग लाइसेंस की तरह ही एक वैकल्पिक दस्तावेज है. गौरतलब है कि ‘व्यक्तियों के लिए कस्टमर ड्यू डिलिजेंस (CDD) प्रोसेस’ वाला सेक्शन कहता है, “किसी भी आधिकारिक वैध प्रमाण-पत्र के ई-डॉक्यूमेंट को आरई (RE), सूचना तकनीक कानून, 2000 के प्रावधानों के तहत, डिजिटल हस्ताक्षर की पुष्टि करेंगे”. इसलिए, ये स्पष्ट है कि “एनपीआर द्वारा जारी लेटर” आधिकारिक वैध प्रमाण-पत्रों में से एक है.

केवाईसी के लिए “एनपीआर द्वारा जारी लेटर” को एक दस्तावेज के रूप में शामिल करने पर एक ग्राहक ने ट्वीट कर जानकारी मांगी थी. इस ट्वीट के जवाब में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने स्पष्ट किया, “एनपीआर आधिकारिक तौर पर वैध दस्तावेजों में से एक है, इसे आरबीआई ने अनुमति दी है. एनपीआर को आपके बैंक अकाउंट में केवाईसी अपडेट के लिए जमा कराया जा सकता है.”

हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, कई बैंकों ने एनपीआर लेटर को वैध केवाईसी दस्तावेजों की लिस्ट में अभी तक शामिल नहीं किया है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए, बैंक ऑफ़ बड़ौदा के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इसको अभी तक इसलिए नहीं जोड़ा गया है क्योंकि ‘किसी ऐसी चीज़ को जोड़ने का कोई मतलब ही नहीं बनता, जिसका अस्तित्व ही नहीं है.”

एनपीआर और एनपीआर द्वारा जारी लेटर क्या हैं? (सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक़)

सेंसस ऑफ़ इंडिया की वेबसाइट के अनुसार, एनपीआर को “2010 में भारत की जनसंख्या, 2011 की हाउस लिस्टिंग फेज़ के साथ” कलेक्ट किया गया था. वेबसाइट के 18 दिसंबर 2014 के आर्काइव्ड वर्ज़न के मुताबिक़, “नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) देश के आम निवासियों का रजिस्टर है.”

इस दस्तावेज़ में लिखा है कि भारत के हरेक आम निवासी को एनपीआर में रजिस्टर करवाना अनिवार्य है. “एनपीआर के लिए एक आम निवासी का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जो किसी इलाक़े में पिछले 6 महीने या उससे ज़्यादा वक़्त से रह रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाक़े में अगले 6 महीने या उससे अधिक वक़्त तक रहने का इच्छुक हो.”

एक तरफ़, कुछ बैंक ‘एनपीआर द्वारा जारी लेटर” को केवाईसी के लिए ऑफ़िशियल दस्तावेज मानने पर विचार कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ़ एनपीआर द्वारा जारी लेटर है क्या और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है इसकी कोई स्पष्टता नहीं है. एनपीआर 2010 के FAQ में किसी भी ‘लेटर’ का ज़िक्र नहीं है. हालांकि इसमें डोर-टू-डोर डेटा इकट्ठा करने वालों द्वारा दी गई स्वीकृति की रसीद की बात लिखी है. FAQ के मुताबिक़, इन रसीदों को पंजीकरण कैम्प में ले जाकर प्रोसेस को पूरा करना होगा.

सोशल मीडिया पर वायरल दावा आधारहीन है जिसमें ये कहा गया है कि अगर खाताधारक “एनपीआर दस्तावेज़” जमा नहीं करते हैं तो उनका खाता बंद कर दिया जाएगा. रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने ऐसा कोई नोटिफ़िकेशन जारी नहीं किया है. जैसा कि ऊपर लिखा गया है, कुछ बैंकों ने केवाईसी प्रोसेस के लिए, ‘एनपीआर द्वारा जारी लेटर’, जो कि एक वैकल्पिक दस्तावेज़ है, को वैध बनाया है. हालांकि, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि ‘एनपीआर द्वारा जारी लेटर’ आखिरकार है क्या.

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.