सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 31 जुलाई को ट्वीट किया कि कुथिरन सुरंग का एक हिस्सा उसी दिन से खोल दिया जाएगा. कुथिरन सुरंग त्रिशूर-पलक्कड़ मार्ग पर बन रही है. ये सड़क परिवहन के लिए केरला की पहली सुरंग है. 1.6 किलोमीटर लंबी इस सुरंग से कोच्चि-कोयंबटूर के रास्ते के बीच की दूरी कम होने की उम्मीद है.

बीजेपी गुजरात के महासचिव रत्नाकर ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए ये दावा किया कि कोयंबटूर और त्रिचूर के बीच दो घंटे की यात्रा अब सुरंग के कारण 10 मिनट में की जा सकती है. उनके इस वीडियो को तीन लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिले और फिर उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है.

कई दूसरे ट्विटर यूज़र्स ने यही दावा किया. ये दावा फ़ेसबुक पर भी काफ़ी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बयान के अनुसार, कुथिरन सुरंग 1.6 किलोमीटर लंबी है और इसे पीची-वजहानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर से डिज़ाइन किया गया है. ये बयान ही रत्नाकर के दावे को खारिज करता है. त्रिशूर-कोयंबटूर के बीच की कुल दूरी 114 किलोमीटर है और यात्रा के दौरान कुथिरन पहाड़ी पर भीड़भाड़ को दूर करने के लिए सुरंग सिर्फ 1.6 किलोमीटर तक फैली हुई है. सुरंग यात्रियों को एक शहर से दूसरे शहर नहीं ले जाती है.

कोयंबटूर-त्रिशूर (सुरंग के माध्यम से) के बीच की दूरी 114 किलोमीटर है.

यहां तक ​​​​कि इसके लंबे घुमावदार रास्ते (सुरंग मार्ग के बिना) गूगल मैप्स पे देखे जा सकते हैं, जहां त्रिशूर-कोयंबटूर के बीच दूरी 114 किलोमीटर है. इसका मतलब है सुरंग इस दूरी को कम नहीं करती है.

गूगल मैप्स के अनुसार, सुरंग बिना ट्रैफ़िक के दूरी सिर्फ 0.6 किलोमीटर और समय सिर्फ 2 मिनट कम करती है (सुरंग से और सुरंग के बिना यात्रा किए गए रास्ते का गूगल मैप्स पर रिज़ल्ट)

पाठकों को ध्यान देना चाहिये कि यात्रा का समय काफ़ी हद तक ट्रैफ़िक पर निर्भर करता है. ऑन मनोरमा के अनुसार, जहां पहले कुथिरन पहाड़ी पर चलने वाले वाहन कई घंटों तक ट्रैफ़िक ब्लॉक में फंस जाते थे, अब वो 1.6 किलोमीटर सुरंग के माध्यम से ये दूरी मिनट भर में तय कर सकते हैं.

कुल मिलाकर, भाजपा गुजरात के महासचिव रत्नाकर ने ये गलत दावा किया कि कोयंबटूर और त्रिचूर के बीच की यात्रा कुथिरन सुरंग के माध्यम से 10 मिनट में तय की जा सकती है. ये इसलिए गलत है, क्योंकि दोनों शहरों के बीच की दूरी 114 किलोमीटर है और ये सुरंग रास्ते में एक उंचे क्षेत्र में ट्रैफ़िक को व्यवस्थित करने के लिए बनायीं गयी है.


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