इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पाई ने 10 जनवरी, 2020 को एक तस्वीर ट्वीट किया। एक ही दिन में इस ट्वीट को 4,500 रिट्वीट और 9,500 लाइक मिले। तस्वीर पर अंकित संदेश में दावा किया गया कि 1975 में, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिल्ली पुलिस के साथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रवेश किया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (JNUSU) के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम येचुरी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था। इसमें आगे आरोप लगाया गया कि येचुरी को आपातकाल का विरोध करने के लिए एक माफीनामा भी पढ़वाया गया।
Folks is this true @SitaramYechury ? pic.twitter.com/kS5fqAeYi2
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) January 10, 2020
कई अन्य लोगों ने इस तस्वीर को यह दावा करते हुए साझा किया है कि आपातकाल के दौरान गांधी ने JNUSU अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “क्या कांग्रेस और कम्युनिस्ट इनकार कर सकते हैं कि इंदिरा जी ने आपातकाल के दौरान 1975 में JNU में छात्रसंघ के अध्यक्ष सीताराम येचुरी के साथ क्या किया था? वर्तमान सरकार ने इसके आसपास भी कुछ नहीं किया है” (अनुवाद)।
एक अन्य उपयोगकर्ता @GuleriaPramod ने दावा किया कि 1975 में येचुरी को पद छोड़ने से पहले “बुरी तरह” पीटा गया था।
#Mota_Bhai its time for Action. Thukai & Kuttai of these Gaddar Students.#Indira_Gandhi got today’s CPI Leader SitaRamYechuri’s pichhwada beaten Red&Blue in 1975 & then made him to resign Presidentship of JNU+read an apology letter.#This is what is required now in JNU today. pic.twitter.com/pFbWQG0sK4
— Pramod Singh Guleria (@GuleriaPramod) January 11, 2020
ऑल्ट न्यूज़ को अपने मोबाइल एप्लिकेशन पर इस तस्वीर के बारे में तथ्य-जांच के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
तथ्य-जांच
1975 नहीं, 1977 की तस्वीर
CPI(M) की वेबसाइट के अनुसार, येचुरी 1975 में पार्टी में शामिल हुए थे और उसी साल उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद दो साल 1977 तक, उन्हें JNU छात्र संघ का अध्यक्ष नहीं चुना गया था। पार्टी की वेबसाइट पर येचुरी के परिचय में लिखा है- “वह, जेएनयू में रहते हुए 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI) से जुड़े। CPI (M) में वह 1975 में शामिल हुए। 1975 में अपनी गिरफ्तारी से पहले, आपातकाल के प्रतिरोध के संयोजन के लिए कुछ समय तक वह अंडर ग्राउंड रहे। आपातकाल के बाद, वह एक वर्ष (1977-78) के दौरान तीन बार JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे।” (अनुवाद)
वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने से पता चला कि इसे 1975 में नहीं, बल्कि 1977 में लिया गया था। हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक फाइल फोटो के साथ यह विवरण दिया गया है, “5 सितंबर 1977 को जेएनयू के छात्र नेता के रूप में, इंदिरा गांधी के समक्ष विश्वविद्यालय के चांसलर पद से उनके इस्तीफे की मांग करने वाले छात्रों की ओर से प्रस्तुत ज्ञापन पढ़ते सीताराम येचुरी।” (अनुवाद)। जनवरी, 1977 में आपातकाल हटा लिया गया था और अगले आम चुनावों में श्रीमती गांधी को फिर से प्रधानमंत्री नहीं चुना गया था।
ऑल्ट न्यूज़ ने पत्रकार और लेखक मनोज जोशी से संपर्क किया, जिन्होंने यह ऐतिहासिक दृश्य स्वयं देखा था। जोशी तब JNU से पीएचडी कर रहे थे और JNUSU के पदाधिकारी भी थे। वह सीताराम येचुरी की अगुवाई वाली उस विशाल रैली में उपस्थित थे। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि येचुरी ने 5 सितंबर, 1977 को इंदिरा गांधी के समक्ष छात्रों द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन पढ़ा था।
जोशी ने कहा, “1975 में वह सत्ता में थीं और हमें उनके पास खड़े होने की अनुमति नहीं थी। यह तस्वीर 1977 में क्लिक की गई थी जब वह सत्ता में नहीं थीं।”
इंदिरा गांधी ने JNU में प्रवेश नहीं किया
जोशी (70) ने आगे बताया, “इंदिरा गांधी तब सत्ता में नहीं थीं और हम चाहते थे कि वह विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से इस्तीफा दें। हम एक जुलूस की शक्ल में उनके घर गए। पहले, हमें उनके लिए सन्देश छोड़ कर जाने के लिए कहा गया, लेकिन हम उससे मिलने की बात पर अड़े रहे।”
उन्होंने कहा, “जब उन्हें पता चला कि छात्र उनके दरवाज़े के बाहर थे, तो हमारी मांगों को सुनने के लिए वे बाहर आईं। इस तस्वीर में, इंदिरा गांधी JNU परिसर में नहीं खड़ी हैं।”
येचुरी ने न तो माफी मांगी, न उनकी पिटाई हुई
जोशी ने पुष्टि की, “सीताराम ने ज्ञापन पढ़ा और उस आधार पर हमने उनसे इस्तीफा देने का अनुरोध किया। उन्होंने पूछा कि क्या हम उनकी प्रतिक्रिया तुरंत चाहते हैं। यह तस्वीर, कोई माफीनामा नहीं, बल्कि ज्ञापन पढ़ने की है।”
इंडिया टुडे से बात करते हुए येचुरी ने भी यही कहा। उन्होंने कहा कि रैली में उनकी पिटाई नहीं हुई थी।
निष्कर्ष
वायरल तस्वीर का उपयोग कर किए गए सभी तीनों दावे झूठे हैं। यह तस्वीर, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा CPI(M) नेता सीताराम येचुरी को आपातकाल के दौरान JNUSU अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने की नहीं है। यह तस्वीर — महीनों पहले जनवरी में आपातकाल हटा लिए जाने के बाद — सितंबर 1977 में ली गई थी। इसके अलावा, इस तस्वीर में श्रीमती गांधी न तो JNU परिसर में हैं और न ही रैली में येचुरी की पिटाई हुई थी।
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