29 जनवरी को ‘I Support Modi Ji and BJP‘ नामक फेसबुक पेज ने instantfbnews.com नाम की वेबसाईट का एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख में यह दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया है। इस लेख को 24 घंटे से भी कम समय में 7000 लाइक और 2500 से भी अधिक शेयर मिले हैं।
instantfbnews के अनुसार, “सुप्रीम कोर्ट के निकम्मेपन को देखते हुए पीएम मोदी ने अपनी संवैधानिक ताकत का इस्तेमाल किया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बिना ही मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते हुए ये फैसला लिया है। “
डी.डी. भारती नाम के एक अन्य फेसबुक पेज (और उसी नाम की वेबसाईट) ने समान रिपोर्ट प्रकाशित किया है जिसे 1400 शेयर मिले है।
किन्तु अगर ऊपर बताये गए लेखों को पूरा पढ़ा जाए तो मालुम होता है, उस लेख के बाद के हिस्से में यह लिखा गया है कि भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट से ‘अधिकृत ज़मीन’ पर राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने हेतु अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओ.सी.) की मांग की है। इस वेबसाईट ने भाजपा एमपी सुब्रमण्यम स्वामी के ट्विट को भी दर्शाया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से यह लिखा है कि “…केंद्र सरकार निर्माण कार्य शुरू करने हेतु पूर्वानुमति प्राप्त करने के लिए इच्छुक थी।”
The Centre has gone to SC in a WP to seek release of the non – disputed part of RJB land of 67 acres to start immediate construction. My meeting last evening with HM I had a discussion on my approach. But Centre was keen to obtain prior permission to start construction
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 29, 2019
किन्तु यह दावा कि ‘सरकार ने राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरु कर दिया है’ सोशल मिडिया पर फ़ैल चूका है।
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या की अविवादित ज़मीन मंदिर के ट्रस्ट को लौटाने की मांग की है
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कार्य आरम्भ नहीं किया है। उन्होंने मात्र एपेक्स कोर्ट से विवादित स्थान के पास वाली ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास (मंदिर ट्रस्ट) और अन्य मालिकों को लौटाने की मांग की है।
न्यूज़18 के अनुसार “न्यायिक विलम्ब और आर.एस.एस. के बढ़ते दबाव के चलते अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य को गति देने के लिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के पास यह कहते हुए गई है कि वे अयोध्या में विवादित स्थान के पास वाली ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास और अन्य मालिकों को लौटाने के लिए कर्तव्यबध्ध है। ”
केन्द्र की याचिका की एक नकल इण्डिया टुडे ने अपलोड की है जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है, “सम्मानपूर्वक यह प्रस्तुत किया जाता है कि योग्य योजना की रुपरेखा मुहैया करवा कर और उसके ज़रिये यह सुनिश्चित करते हुए (विवाद से जुड़े हुए) याचिका के अंतिम पक्षों को “विवादित ज़मीन में प्रवेश और भोग के योग्य अधिकार” प्राप्त हो, और शेष ज़मीन राम जन्म भूमि न्यास और अन्य मालिकों को लौटा दी जाए जिनसे यह ज़मीनी हिस्से प्राप्त किये गए थे। ”
अतः सोशल मिडिया पर प्रसारित और प्रचलित हो रहे यह दावे सम्पूर्ण रूप से झूठे है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध जा कर राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। दरअसल केंद ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित ज़मीन के आसपास की अतिरिक्त ज़मीन के निकास की अनुमति की गुहार लगाईं है।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.