23 जून को पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर ‘कोरोनिल टैबलेट’ और ‘श्वासारि वटी’ नाम की दो दवाएं पेश की हैं. बाबा रामदेव ने इन दवाओं को असरकारक बताते हुए इनका प्रचार शुरू कर दिया. लेकिन, आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार पर रोक लगाते हुए पहले पतंजलि आयुर्वेद को इन दवाओं के असर का प्रमाण पेश करने के लिए कहा. इसी बीच सोशल मीडिया में ये दावा किया जाने लगा कि आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवाइओं को प्रमाणित करते हुए बताया कि ये सभी नियमों और कानूनों का पालन करती हैं.

‘हिन्दू आर्मी चीफ़’ के मनीष सिंह यादव ने ये दावा फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा, “आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवाई ‘कोरोनिल’ को प्रमाणित कर दिया है, बाकायदा एक पत्र जारी कर के कहा है कि दवाई ने सभी नियम, कानून, मापदंडों का पालन किया है. अब कोई रोक नही.” आर्टिकल लिखे जाने तक उनके पोस्ट को 8 हज़ार से ज़्यादा बार लाइक और 1,100 बार शेयर किया गया है.

ट्विटर हैन्डल ‘@RealPushpendra’ ने यही दावा ट्विटर पर शेयर किया है. आपको बता दें कि ये ट्विटर अकाउंट फ़र्ज़ी है जिसे पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठा के नाम से बनाया गया है. इसके अलावा, रिपब्लिक टीवी के न्यूज़ एंकर अर्नब गोस्वामी के कुछ पैरोडी अकाउंट्स – ‘@GoswamiArnaw’, ‘@Arnab5222’ – ने भी यही दावा ट्विटर पर शेयर किया है.

कई फ़ेसबुक पेज पतंजलि आयुर्वेद के चेयरमैन बालाकृष्ण के एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं. इसमें आयुष मंत्रालय की ओर से जारी किया गया एक लेटर शेयर किया गया है.

फ़ैक्ट-चेक

24 जून को पतंजलि आयुर्वेद के चेयरमैन बालाकृष्ण ने आयुष मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक ई-मेल की कॉपी ट्वीट की थी. ट्वीट करते हुए बालाकृष्ण ने लिखा, “@moayush के विवाद की पूर्णाहुति! आयुष को लेकर चल रहे विवादों का अंत! @yogrishiramdev” ट्वीट की गई तस्वीर में दिख रहे ई-मेल का सब्जेक्ट है – “पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार द्वारा कोरोना वायरस पर असरकारी दवा के रूप में प्रचारित की जा रही ‘कोरोनिल टैबलेट’ और ‘श्वासारि वटी’ से संबंधित समाचार” इससे ये बात तो साफ़ हो जाती है कि ये लेटर सिर्फ़ पतंजलि द्वारा सबमिट किये गए डॉक्युमेंट्स की रसीद है. इससे एक दिन पहले, आयुष मंत्रालय ने एक स्टमेंट जारी कर पतंजलि को अपनी दवाओं की प्रमाणिकता से जुड़े डॉक्युमेंट्स दिखाने के लिए कहा था. स्टडी डॉक्युमेंट्स को मिनिस्ट्री वेरिफ़ाई करवाएगी जिससे रिसर्च में जो नतीज़े आये हैं उनकी सच्चाई पता लगा सकेंगे.

पतंजलि आयुर्वेद ने अपने रिसर्च की वैधता जांचने के लिए संबंधित डॉक्युमेंट्स सबमिट कर दिए हैं. इस खबर को मीडिया संगठनों ने भी चलाया है. हालिया अपडेट के मुताबिक, आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि आयुष मिनिस्ट्री इस रिपोर्ट की जांच करेगी और निर्णय लेगी कि कंपनी को आखिरी मंज़ूरी देनी है या नहीं.

इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि पतंजलि आयुर्वेद ने इन दवाओं के प्रचार से पहले ही इनके लाइसेंस के लिए अप्लाई कर दिया था. “उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद विभाग के लाईसेंस देने वाले अफ़सर ने बताया कि ‘कोरोनिल टैबलेट’ की वैधता के लिए दिए गए आवेदन में कोरोना वायरस के इलाज का कोई दावा नहीं किया गया है.” ‘कोरोनिल टैबलेट’ की प्रमाणिकता के लिए किये गए आवेदन में रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना और बुखार और ज़ुकाम से रक्षा करने का ज़िक्र किया गया है.

इस तरह, ‘कोरोनिल टैबलेट’ को कोरोना वायरस के संक्रमण पर असर करने वाली दवा के रूप में प्रमाणित नहीं किया गया है. आयुष मंत्रालय अभी इन दवाओं की रिपोर्ट की जांच कर रहा है. ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में अपनी एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट में ये बात साबित की है कि पतंजलि आयुर्वेद ने आयुष मंत्रालय को किसी भी तरह का साइंटिफ़िक प्रमाण सबमिट नहीं किया है जिससे ये बात साफ़ हो सके कि ‘कोरोनिल टैबलेट’ कोरोना वायरस के उपचार के लिए असरदार है. फ़िलहाल, कोरोना वायरस से बचने के लिए कोई दवाई उपलब्ध नहीं है और वैक्सीन बनाए जाने पर लगातार शोध चल रही है.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.