इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि यह इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार में राजीव और राहुल गांधी को कलमा पढ़ते हुए दर्शाती है। भाजपा के एक युवा कार्यकर्ता मनोज कुमार राणा के फेसबुक प्रोफाइल से यह तस्वीर इस कैप्शन के साथ प्रसारित की गई — “इन्दिरा की लाश के सामने राहुल और राजीव गांधी कलमा पढ रहे हैं फिर भी हमारे देश के लोगों को लगता है कि ये लोग ब्राह्मण हैं।” इस लेख को लिखने समय तक इस पोस्ट को 30,000 बार शेयर किया गया।

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यह तस्वीर इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार की नहीं है

इस तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को कुछ स्रोत मिले जो दावा करते थे कि यह तस्वीर वास्तव में स्वतन्त्रता सेनानी खान अब्दुल गफ्फार खान, जो बच्चा खान या ‘फ्रंटियर गांधी’ के नाम से लोकप्रिय थे। उनके अंतिम संस्कार में ली गई थी।

2016 में, स्काईस्क्रैपरसिटी (Skyscrapercity) नामक एक वेबसाइट ने भी इस तस्वीर की पहचान पेशावर में बादशाह खान के अंतिम संस्कार के रूप में की थी।

बच्चा खान की मृत्यु 20 जनवरी, 1988 को हुई थी। उसके दूसरे दिन प्रकाशित न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में लिखा गया था कि भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी अब्दुल गफ्फार खान को श्रद्धांजलि देने पेशावर गए थे।

आउटलुक के भी लेख में राजीव गांधी की उपस्थिति का उल्लेख है। हमें गूगल पर किताबें मिलीं मिली जिसमें यह उल्लेख था कि अब्दुल गफ्फार खान के अंतिम संस्कार में पूर्व प्रधानमंत्री उपस्थित थे।

इंदिरा गांधी और गफ्फार खान की मृत्यु के समय राहुल गांधी की उम्र की तुलना

इंदिरा गांधी की मृत्यु के समय राहुल गांधी 14 वर्ष की आयु के थे। जब अब्दुल गफ्फार खान मरे, राहुल गांधी 18 वर्ष के थे। कांग्रेस अध्यक्ष की उनकी दादी के अंतिम संस्कार के दौरान की कई तस्वीरें हैं, जिनमें वे स्पष्ट रूप से वायरल तस्वीर के मुकाबले ज्यादा छोटे दिखते हैं।

यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही तस्वीर इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।

इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार में हिंदू पद्धतियों के पालन हुए

पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को मृत्यु हुई और परिवार ने उनके अंतिम संस्कार में हिंदू परंपराओं का पालन किया। वाशिंगटन पोस्ट की 4 नवंबर, 1984 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस अंतिम संस्कार का वर्णन इस प्रकार किया गया — “जैसे ही ब्राह्मण पंडितों (जो संस्कृत और हिंदू दर्शन के विद्वान थे) ने वैदिक स्त्रोतों का पाठ किया और परिवार के सदस्य धीरे-धीरे धुआं निकलती चिता पर लकड़ियों को ढेर करने के लिए 10-फुट-ऊंचे मंच पर चढ़े, हजारों शोकाकुल लोगों का सामूहिक विलाप गूंज उठा, जिसके बाद ऊंची उठती आग की लपटों के साथ एकाएक निःशब्दता छा गई।”

उस समय अमरीकी स्टॉक फोटो एजेंसी Getty Images द्वारा ली गई तस्वीरें, राजीव, सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी को जलती हुई चिता के सामने खड़े और अंतिम संस्कार की विधियों का पालन करते, दिखलाती हैं।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि इंदिरा गांधी का अंतिम संस्कार हिन्दू रिती-रिवाजों से किया गया था जिसमें उनके परिवार के सदस्यों ने कोई मुस्लिम व्यवहार नहीं किया। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में झूठे दावे वायरल हैं।

व्हाट्सएप्प पर मोदी-समर्थक ग्रुपों में इसे व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.