खेती के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देने वाले कृषि कानून के खिलाफ़ हो रहे किसान आन्दोलन से जुड़ी एक और ग़लत सूचना लोगों तक पहुंच रही है. लोग ‘जियो (Jio) गेंहू’ की तस्वीर शेयर कर रहे हैं. जियो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की एक कंपनी है.

फे़सबुक पेज राहुल गांधी फ़्रेंड्स क्लब डेल्ही ने कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए दावा किया कि ये कानून कुछ निजी कंपनियों के फ़ायदे के लिए बनाये गए हैं. तस्वीर के साथ कैप्शन है, ” कानून बाद में बने है और थैले पहले ये तस्वीर बहुत कुछ कह रही है. अब तो समझ जाओ…” इस पोस्ट को 6,000 से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं.

ट्विटर यूज़र @Shazi__786 ने ऐसी ही एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “बाज़ार में जियो गेहूं भी आ गया है, जल्द ही ये पूरे देश पर कब्ज़ा कर लेगा और हम इसके गुलाम बन जायेंगे. अगर हम जागरूक नहीं हुए तो दाने-दाने को मोहताज हो जायेंगे. अभी भी किसानों के साथ खड़े होने का वक्त है.”

कई फे़सबुक और ट्विटर यूज़र्स ने तस्वीर के साथ हिंदी और अंग्रेजी में ‘जियो गेहूं’ कैप्शन देते हुए इसे शेयर किया. ऑल्ट न्यूज़ को इसके फै़क्ट चेक के लिए कुछ लोगों ने व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) और ऑफ़िशियल एंड्रॉइड ऐप पर रिक्वेस्ट भी भेजी.

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फै़क्ट-चेक

RIL की वेबसाइट पर जियो प्लेटफ़ॉर्म्स लिमिटेड (Jio) के विज़न स्टेटमेंट (किसी कंपनी का लक्ष्य परिभाषित करने के लिए लिखा गया) में लिखा है कि कंपनी का उद्येश ‘भारत को डिजिटल क्रांति के ज़रिए से परिवर्तित करना है.’ कंपनी किसी कृषि क्षेत्र से नहीं जुड़ी है.

हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया और ये लिंक्स मिले:

1) गुलाबी पैकेट के साथ जियो गेहूं का उत्पादन सूरत की राधाकृष्ण ट्रेडिंग कंपनी करती है जिसका रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है. ये B2B ई-कॉमर्स वेबसाइट उड़ान में सूचित है. ऑल्ट न्यूज़ ने इस कंपनी के संस्थापक भरतभाई जजेरा से बात की. उन्होंने कहा, “हम RIL से नहीं जुड़े हैं. मैं कई किराने की दुकान पर उत्पाद पहुंचाता हूं. मैं आपको बताता हूं कि ‘जियो गेहूं’ नाम क्यों रखा गया. जैसे ही थोक व्यापारियों के पास गेहूं पहुंचता है, वो उसे ऐसे आकर्षक नामों वाले पैकेट में भरते हैं जिन्हें ग्राहक आसानी से पहचानते हैं. ऐसे ही जब ‘बाहुबली’ फ़िल्म आई थी तब पैकेट पर बाहुबली लिखा था. इसका ये मतलब नहीं है कि ‘बाहुबली’ के निर्देशक ने गेहूं उगाया था.”

बातचीत के दौरान भरतभाई ने और भी ब्रांड्स के नाम बताये जो लोकप्रिय चीजों से जुड़े हैं, जैसे- ‘बाजीराव मस्तानी’ के रिलीज़ के बाद मस्ती आटा, ब्लैकबेरी, ऐप्पल, मोदी और ट्रम्प. ऑल्ट न्यूज़ ने भी इंडियामार्ट की वेबसाइट पर मोदी और ट्रम्प आटे का लिंक पाया. इंडिया टुडे ने इसका फै़क्ट चेक किया था.

2) जियो फ्रेश ब्रैंड का आटा अमेज़न की वेबसाइट पर सूचित है. ये उत्पाद अब उपलब्ध नहीं है. हालांकि, जियो फ़्रेश का गुड़ अभी भी देखा जा सकता है और उत्पाद की डिटेल्स के मुताबिक इन्हें आंध्र प्रदेश की कंपनी कुसलावा ऐग्री प्रोडक्ट्स बनाती है.

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3) हमें कंपनियों की इनसाइट देने वाली वेबसाइट Zauba Corp पर भी जियो फूड्स LLP सूचित मिली जिसके पांच डायरेक्टर्स में से एक का नाम ‘दर्शना भूपेन्द्र अम्बानी’ है. इंडियामार्ट पर हाउस ऑफ़ भाईशंकर्स फूड्स प्राइवेट लिमिटेड जियो फूड्स LLP के तहत सूचित है. लेकिन हमें इंडियामार्ट पर वायरल तस्वीर में दिख रहा ‘जियो गेहूं’ नहीं मिला.

इंडियामार्ट पर प्रोडक्ट के GST नंबर की मदद से हमने पता किया कि जियो फूड्स LLP मुंबई की कंपनी है जिसे 2017 में रजिस्टर किया गया था. इसका GST रजिस्ट्रेशन 5 फ़रवरी, 2019 को रद्द कर दिया गया था.

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4) 2018 में एक यूट्यूबर ने जियो गेंहू पर मज़ाकिया वीडियो बनाया था. दूसरे और तीसरे पॉइंट्स के आधार पर हम कह सकते हैं कि जियो आटा अगर है भी तो वो हाल में नहीं शुरू किया गया है.

हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियोमार्ट के नाम से ई-कॉमर्स वेंचर ज़रुर है जो अलग-अलग ब्रांड्स के उत्पाद बेचती है.

ऑल्ट न्यूज़ ने ई-मेल के ज़रिये रिलायंस के प्रवक्ता से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “गेहूं के पैकेट्स RIL के उत्पाद नहीं है क्योंकि हम खाद्य उद्योग में नहीं हैं. जियो मार्ट एक ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर है जो प्रोडक्ट्स का निर्माण खुद नहीं करता. इसलिए इसका जियो गेंहू से कोई सम्बन्ध नहीं है. मैं ये पक्के तौर से कह सकता हूं कि दर्शन भूपेन्द्र अम्बानी किसी भी RIL प्रमोटर कंपनी का हिस्सा नहीं हैं.”

भारत में लम्बे समय से रहने वालों को मालूम होगा कि यहां डुप्लिकेट प्रोडक्ट्स का बाज़ार कितना बड़ा है. इतना कि इसके बारे में द इकॉनोमिक टाइम्स (ET), इंडिया टीवी, और स्कूपव्हूप भी रिपोर्ट कर चुके हैं. ET ने फ़र्ज़ी उत्पादों के बाज़ार का कारण बताया है- “लोग फे़क प्रोडक्ट्स इसलिए खरीदते हैं क्योंकि वो मनमर्ज़ी के लग्ज़री सामान महंगे दामों पर नहीं खरीद पाते. लेकिन फ़्रांस या इटली की तरह हमारे यहां नकली उत्पादों को खरीदने पर सज़ा का कोई प्रावधान नहीं है इसलिए ग्राहक आसानी से बच जाते हैं.”

यानी, ‘जियो गेंहू’ की तस्वीरें शेयर करते हुए लोगों ने दावा किया कि रिलायंस अब कृषि क्षेत्र में भी शामिल हो चुकी है, ये दावा ग़लत है. हाल ही में ऑल्ट न्यूज़ ने एक ऐसे ही दावे के बारे में सच्चाई बताई थी जब ट्रेन इंजन पर फॅ़ार्च्यून फ़्रेश आटे का विज्ञापन शेयर करते हुए लोगों ने कहा था कि अडानी ने भारतीय रेलवे को ही खरीद लिया है.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.