सोशल मीडिया पर बंगाली में शेयर किये जा रहे एक मेसेज में दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल में सिर्फ़ मुस्लिम मरीज़ों के लिए एक इस्लामिया अस्पताल बनाया गया है. मेसेज के मुताबिक, “कोई सरकार हिंदुओं के लिए अस्पताल नहीं बनाना चाहती है. अगर भारत सेक्युलर देश है तो इस्लामिया बना है…अगर उन्हें अनुमति मिली है तो हिंदुओं को क्यों नहीं? हिन्दू टैक्स देकर अपने बच्चों को असुरक्षित कर रहे हैं. इसका हरजाना अगली पीढ़ी को भुगतना होगा.”
इस मेसेज के साथ एक न्यूज़ रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जा रहा है. रिपोर्ट में अस्पताल का उद्घाटन कर रहे TMC लीडर फिरहाद हकीम की तस्वीर शेयर की गई है. बंगाली कैप्शन के मुताबिक, “ভারতের কলকাতায় কতশত হিন্দু মেয়রের শাসনের অবসান হয়েছে তবু কোন হিন্দু মেয়র চিন্তা করেনি হিন্দু হাসপাতাল করার। হিন্দুরা তৈরী করেছিল সেকুলার হাসপাতাল সেই সেকুলার হাসপাতালে চিকিৎসা নিয়ে ফিরহাদ হাকিম তৈরী করলো ইসলামি হাসপাতাল । ফিরহাদ হাকিম ২ ট্রামে মেয়র নির্বাচিত হওয়ার পর ইসলামিয়া হাসপাতাল উদ্বোধন করলো”.
कई और यूज़र्स ने भी ये दावा शेयर किया है.
আরে সেক্যুলার আমার একটাই প্রশ্ন, বাংলায় কোনো হিন্দু হাসপাতাল বলে কিছু আছে কি?? তুমি কি ওই লুঙ্গির তলায় থাকবে?? আর ছেলে…
Posted by Bishwajit Saha on Sunday, 30 May 2021
फ़ैक्ट-चेक
वायरल दावे के साथ शेयर हो रही रिपोर्ट आनंदबाज़ार पत्रिका ने 30 मई को पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट में ये नहीं लिखा गया है कि ये इस्लामिया अस्पताल है जहां सिर्फ़ मुस्लिम मरीज़ों का ही इलाज़ होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, ये अस्पताल पिछले कुछ सालों से फंक्शनल नहीं थी. खराब हालत के चलते इसे तोड़ दिया गया था. बाद में उसी साइट पर एक नई इमारत बनाई गई जिसका उद्घाटन TMC के मंत्री फिरहाद हकीम ने किया था. इस अस्पताल में कोरोना मरीज़ों का इलाज किया जाएगा जहां पर 120 बेड है जिसमें 20 ICU बेड भी शामिल हैं और 400 ऑक्सीजन सिलिन्डर्स भी हैं. राज्य सरकार ने भी इस अस्पताल को दोबारा बनाने के लिए 365 करोड़ से ज़्यादा खर्च किये हैं. फरहाद हकीम के हवाले से बताया गया है कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इस अस्पताल को जल्द ही एक निजी नर्सींग होम के साथ मिलकर चलाया जाएगा. उन्होंने बताया कि अस्पताल में सभी मरीज़ों का इलाज मुफ़्त में होगा.
द टेलीग्राफ़ के मुताबिक, “इस्लामिया अस्पताल 1926 में बनाया गया था. ये इमारत जर्जर हालत में थी इसलिए इसे तोड़ दिया गया था. जल्द ही इसकी जगह पर नई इमारत बनेगी.”
इस्लामिया अस्पताल के जनरल सेक्रेटरी और कलकत्ता म्यूनिसपल कॉर्पोरेशन एडमिनिस्ट्रेटर बोर्ड के सदस्य अमीरुद्दीन (बॉबी) के हवाले से बताया गया है, “अस्पताल का उद्घाटन इस हफ़्ते किया जाएगा. हमने सारी अनुमति ले ली है और हमारे पास जान बचाने के लिए वेंटिलेटर्स और BiPAPs भी हैं. किसी भी जाति, धर्म या क्लास के भेदभाव बिना कोई भी कोरोना का मरीज़ यहां पर इलाज करवा सकता है.”
द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अस्पताल ने डॉक्टरों, नर्सों और बाकी मेडिकल स्टाफ़ के लिए चारिंग (Charring) क्रॉस नर्सिंग होम से हाथ मिलाया है. ऑल्ट न्यूज़ ने चारिंग क्रॉस नर्सिंग होम के डायरेक्टर राहुल गंडिया (Gandia) से बात की. उन्होंने हमें बताया कि सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा दावा गलत है. अस्पताल में बिना किसी धर्म के भेदभाव से मरीज़ों का इलाज किया जाएगा.
पश्चिम बंगाल के परिवहन और आवास मंत्री फिरहाद हकीम ने 30 मई को उद्घाटन समारोह की तस्वीरें ट्वीट की थीं.
Today we inaugurated the revamped Islamia Hospital on CR Avenue
With an ICU facility & Covid Beds, this facility will aid in the battle against #Covid19 for Kolkata#BengalFightsCorona pic.twitter.com/hSXL9Nv1Iw— FIRHAD HAKIM (@FirhadHakim) May 30, 2021
ये अस्पताल 73, चित्तरंजन एवेन्यू में है.
इस तरह, सोशल मीडिया पर झूठा दावा शेयर किया गया कि TMC नेता फिरहाद हकीम ने कलकत्ता में एक अस्पताल का उद्घाटन किया जिसमें सिर्फ़ मुस्लिम मरीज़ों का ही इलाज किया जाएगा.
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