राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक वीडियो शेयर किया जा रहा जिसमें वो मस्जिद से बाहर आ रहे हैं. उनका ये वीडियो शेयर करते हुए लोगों ने कहा कि वो जुम्मे की नमाज़ अता करके निकल रहे हैं.

अंग्रेज़ी कैप्शन में भी कुछ यही लिखा गया. कई अन्य ट्विटर यूज़र्स भी ये वीडियो हालिया बताकर शेयर कर रहे हैं.

फ़ेसबुक यूज़र्स ने भी हुबहू एक ही बातें लिखीं.

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पुराना वीडियो

सबसे पहले तो इस वीडियो में न सोशल डिस्टेंसिंग दिख रहा है और न किसी ने मास्क लगाया है. ये इस बात का सबूत है कि ये वीडियो हाल का नहीं हो सकता.

वीडियो के बारे में गूगल सर्च करने पर आजतक की 23 नवम्बर, 2020 की एक वीडियो रिपोर्ट सामने आती है. रिपोर्ट के मुताबिक ये वीडियो उस समय भी शेयर किया जा रहा था और तब दावा किया गया था कि अशोक गहलोत पटाखों पर बैन लगाकर नमाज़ पढ़ रहे हैं. लेकिन ये वीडियो जनवरी 2019 का है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डूंगरपुर में फख़रुद्दीन बाबा की दरगाह पर पहुंचे थे.

मालूम हो कि पिछले साल दिवाली से पहले गहलोत सरकार ने राजस्थान में पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया था. कोरोना महामारी और लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार ने फ़ैसला लिया था कि 31 दिसम्बर, 2020 तक राज्य में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबन्ध रहेगा.

ऑल्ट न्यूज़ को ये इस वीडियो का लम्बा वर्ज़न ‘सोशल फ़न ट्यूब‘ नाम के चैनल पर मिला. इसे 29 जनवरी, 2019 को अपलोड किया गया था. इस वीडियो में अभी वायरल हो रहा हिस्सा 1 मिनट 5 सेकंड के बाद दिखता है.

कोटपुतली से कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह यादव ने अशोक गहलोत के दरगाह दौरे की तस्वीरें भी पोस्ट थीं.

माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी के साथ डूंगरपुर की गलियाकोट दरगाह में जियारत कर देश व प्रदेश की खुशहाली की कामना की।

Posted by Rajendra Singh Yadav on Monday, January 28, 2019

राजस्थान की मीडिया आउटलेट ‘फ़र्स्ट इंडिया न्यूज़ राजस्थान’ ने इस मौके की लाइव रिपोर्टिंग की थी. रिपोर्ट में देख सकते हैं कि मुख्यमंत्री दरगाह से पहले एक मंदिर भी पहुंचे थे. इस मौके का पूरा वीडियो रिपोर्ट नीचे देख सकते हैं.

यानी, अशोक गहलोत का दो साल से ज़्यादा पुराना वीडियो हाल में शेयर करते हुए लोग कह रहे हैं कि वो जुम्मे का नमाज़ पढ़ने मस्जिद गए थे. सच्चाई ये है कि जनवरी 2019 में मुख्यमंत्री गलियाकोट में दरगाह गए थे, उसी दिन दरगाह से पहले वो मंदिर होकर भी आये थे. लेकिन कई लोगों ने इस बात को भी साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की.


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