लेखक भावना अरोरा ने दो तस्वीरें ट्वीट की – पहली तस्वीर में एक घायल व्यक्ति को देखा जा सकता है और दूसरी तस्वीर में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति को पत्थरबाज़ी करते हुए देखा जा सकता है। तस्वीरें ट्वीट करते हुए भावना ने लिखा है, “चच्चा पत्थरबाज़ी करेंगे तो क्या खाने को मिलेगा? बिरयानी?” उनकी ट्वीट को करीब 1,200 बार रिट्वीट किया गया है।

अन्य ट्विटर उपयोगकर्ता विवेक ने तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “न्यूटन का तीसरा सिद्धांत: हर क्रिया के लिए, समान और विरोधी प्रतिक्रिया होती है।” (अनुवाद)

इन समान तस्वीरों को साझा करने वाले एक अन्य ट्वीट को करीब 1,300 बार रिट्वीट किया गया है।

तथ्य-जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सोशल मीडिया के दावे के अनुसार ये दोनों व्यक्ति एक नहीं है।

पहली तस्वीर: कानपूर

गूगल पर कीवर्ड्स सर्च करने से, ऑल्ट न्यूज़ को 22 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित हुए हिंदुस्तान टाइम्स के लखनऊ संस्करण का एक PDF मिला। हालांकि, तस्वीर के साथ साझा किये गए विवरण के मुताबिक, यह तस्वीर 21 दिसंबर (शनिवार) को ली गई थी। कैप्शन के अनुसार, “शनिवार को एक वृद्ध प्रदर्शक ने कानपूर में प्रदर्शन के दौरान पथरबाज़ी की।” (अनुवाद) तस्वीर में व्यक्ति की पहचान नहीं होती है।

दूसरी तस्वीर: मुज़्ज़फरनगर

यह तस्वीर 65 वर्षीय मौलाना असद रज़ा हुसैनी की है, जो कि मुज़्ज़फरनगर के शादात हॉस्टल में अन्य छात्रों के साथ रहते थे, उन्हें पीटकर पुलिस हिरासत में लिया गया। फ़र्स्टपोस्ट की 24 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, हुसैनी को कई चोटें आयी थी जिसकी वजह से वो अभी अस्पताल में है। पत्रकार नरेंद्र ने 29 दिसंबर, 2019 को हुसैनी की तस्वीरें साझा की थी।

31 दिसंबर की टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में हॉस्टल कर्मचारी के हवाले से बताया गया है, हुसैनी को मदरसा (अनाथालय) के परिसर से खींच कर बाहर लाया गया और किसी सुनसान जगह पर ले जाया गया। उन्हें कथित तौर पर कई घंटो तक प्रताड़ित किया गया, 21 दिसंबर को उस इलाके के प्रभावशाली लोगों द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद उन्हें छोड़ा गया। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने उनकी उम्र 72 वर्ष बताई थी।

भारत समाचार की एक अन्य रिपोर्ट में भी समान जानकारियां दी गई है। मौलाना असद रज़ा जिन्हें मस्जिद के मौलवी के रूप में पहचाना जाता है, दंगाइयों के खिलाफ जारी सर्च अभियान के दौरान उन्हें हॉस्टल से घसीट कर बाहर निकाला गया और मुज़्ज़फरनगर पुलिस ने उन्हें घंटो तक पीटा था।

निष्कर्ष के तौर पर, मुज़्ज़फरनगर पुलिस द्वारा पीटे गए घायल मौलवी की तस्वीर को, कानपूर में पत्थरबाज़ी करने वाले एक अनजान व्यक्ति के साथ इस गलत दावे से साझा किया गया कि वे दोनों एक ही व्यक्ति हैं।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.