14 दिसंबर को, बिज़नेस स्टैंडर्ड ने खबर दी कि राष्ट्रीय जनता दल (JRD) ने हाल ही में पारित हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में 21 दिसंबर को बिहार बंद का एलान किया था। पटना के फुलवारी शरीफ में इस बंद ने हिंसक रुप ले लिया जब CAA का विरोध कर रहे भीड़ में हिंदू समुदाय के लोगों का अन्य समूह से झड़प हो गया था।
हिंदुस्तान टाइम्स की 22 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, उपद्रवियों ने कथित रूप से पथराव किया था जिसके बाद हिंसा शुरू हुई। पथराव व गोलीबारी के कारण कम से कम 25 लोग घायल हो गए थे।
इसके बाद, इस हिंसा से संबंधित दावे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए।
पहला दावा: पटना के मंदिर में तोड़फोड़
22 दिसंबर को, भाजपा समर्थक शुभ्रस्था ने विरोध प्रदर्शनों को दर्शाने वाला 14-सेकंड का एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा, “पटना में “शांतिपूर्ण” विरोध प्रदर्शन। मंदिर में तोड़फोड़। क्या तख्ती देख सेकुलरों ने फैज़ का जाप बंद किया और एक नज़र डाली? क्या किसी ने स्वरा भास्कर, बरखा दत्त को वाशिंगटन पोस्ट के लिए लेख लिखते देखा है? (यदि आपने देखा है तो आपको और असली फुटेज मिलेंगे!) फरहान अख्तर कोई टिप्पणी? आप सबों को शर्म आनी चाहिए!” (अनुवाद)
‘Peaceful’ protests in Patna. Temple vandalised.
Seen placard seculars stop chanting Faiz and take a look? Has anyone seen @ReallySwara ? @BDUTT writing a Washington Post article? (Will get you more original footage if you do!) @FarOutAkhtar any comments? Shame on you all! pic.twitter.com/fEPmOTRqQi
— Shubhrastha (@Shubhrastha) December 22, 2019
अंशुल सक्सेना ने लिखा, “पटना में CAB-विरोध प्रदर्शनकारियों द्वारा एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई।” उनके इस ट्वीट को 7,000 से ज्यादा बार रिट्वीट किया गया था। सोशल मीडिया – ट्विटर और फेसबुक – के कई उपयोगकर्ताओं ने दावा किया कि शांतिपूर्ण विरोध के नाम पर मुस्लिम मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं। इस घटना से संबंधित कई वीडियो फेसबुक पर वायरल है।
ऐसे ही एक दावे से पता चलता है कि जिस मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी, वह शिव मंदिर था। @Pushp_Kul ने ट्वीट किया, “कल दंगाइयों ने बिहार के फुलवारी शरीफ में शिव मंदिर को क्षत-विक्षत कर दिया। मोदी का विरोध करते-करते मुसलमानों ने हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव, राम और कृष्ण के मंदिर को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। आखिर ये चाहते क्या है ।”
दूसरा दावा: फुलवारी शरीफ में एक हिंदू की गोली मारकर हत्या
कई ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने आगे दावा किया कि हिंसा में एक हिंदू की गोली मारकर हत्या कर दी गई। @SATSIDD हैंडल से एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट किया, “पटना में, फुलवारी शरीफ में प्रदर्शनकारियों द्वारा एक हिंदू को गोली मारी गई और मंदिरों में तोड़फोड़ हुई। उसे इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उसने मंदिर तोड़ने का विरोध किया।” (अनुवाद) इस ट्वीट को 1,600 से अधिक बार रिट्वीट किया गया।
In Patna,Phulwari Sharif one Hindu shot dead and temples vandalised by them.He was shot bcoz he protested for breaking the temple. pic.twitter.com/SY2CY8QoJU
— SATYAM SIDDHARTHA (@SATSIDD) December 22, 2019
कई अन्य उपयोगकर्ताओं ने इस समान दावे के साथ ट्वीट किए हैं।
तथ्य-जांच: मंदिर और कब्रिस्तान में तोड़फोड़, कम से कम नौ मुस्लिमों को गोली मारी गई
वास्तविक स्थिति को समझना होगा।
ऑल्ट न्यूज़ ने फुलवारी शरीफ़ पुलिस थाने के थाना प्रभारी आर रहमान से बात की। उन्होंने कहा, “एक तरफ मंदिर था और दूसरी तरफ एक कब्रिस्तान। संघर्ष में, मंदिर और कब्रिस्तान दोनों में तोड़फोड़ हुई। दोनों समूहों के पथराव के बीच में मंदिर गिर गया।” (अनुवाद)
ऑल्ट न्यूज़ ने बिहार के एक डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म HS Bihar के लिए ग्राउंड रिपोर्ट करने वाले अक्षय आनंद से संपर्क किया। उन्होंने एक वीडियो साझा किया, जिसमें स्पष्ट रूप से एक भीड़ को फुलवारी शरीफ क्षेत्र में एक मंदिर पर हमला करते हुए दर्शाया गया है। उस वीडियो के सम्बंधित हिस्से को नीचे देखा जा सकता है, जिसे दर्शकों को स्पष्ट रूप से हमला दिखलाने के लिए धीमी गति में रखा गया है।
आनंद ने कहा, “मंदिर के अंदर स्थित हनुमान की मूर्ति तोड़ी गई, जिससे मूर्ति का दाहिना हाथ टूट गया और चेहरा विकृत हो गया। मामला निपटाने के बाद, हिंदू भावनाओं का ख्याल करके हनुमान की मूर्ति को एक कपड़े से ढक दिया गया।”उन्होंने आगे बताया, “मंदिर की संरचना को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन दरवाज़े के दाहिने हिस्से को क्षति पहुंची।” पत्रकार के अनुसार, संघर्ष में शामिल अधिकांश लोग फुलवारी शरीफ के निवासी थे।
इसलिए, यह दावा तो सच है कि एक मंदिर में तोड़फोड़ हुई, लेकिन, यह शिव मंदिर नहीं, बल्कि हिंदु देवता हनुमान का मंदिर है।
क्या किसी हिंदू की गोली मारकर हत्या हुई?
थाना प्रभारी रहमान ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि संघर्ष के दौरान पुलिस ने आग शस्त्र का उपयोग नहीं किया और दावा किया कि CAA-विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंदू समुदाय के सदस्यों द्वारा गोलियां चलाई गईं। रहमान के मुताबिक, किसी की मौत नहीं हुई है।
आनंद ने कहा, “21 दिसंबर को, दोपहर लगभग 1 बजे पथराव शुरू हुआ। हालांकि पुलिस संघर्ष क्षेत्र में मौजूद थी, लेकिन वे बहुत अधिक संख्या में थे।” उन्होंने आगे बताया, “गोलीबारी दोपहर 1.15 बजे के आसपास हुई और दोपहर 1.30 बजे रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और सशस्त्र जिला पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। सैन्य-बलों ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू-गैस के कम से कम 40 गोले दागे और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। शाम 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में थी।”
आनंद ने यह भी कहा, “मेरी पूछताछ के अनुसार, किसी हिंदू की गोली मारकर हत्या नहीं की गई। वास्तव में, गोलीबारी हिंदू समुदाय द्वारा की गई थी, जिसमें कम से कम नौ मुस्लिम लोग घायल हुए। उनमें से एक के गर्दन में गोली लगी थी और वह अभी गंभीर हालत में है।”
ऑल्ट न्यूज़ ने पटना के एक अन्य पत्रकार, सुजीत गुप्ता से संपर्क किया, जिन्होंने दंगा के बाद की स्थिति रिपोर्ट की थी। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि CAA-विरोध प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य मंदिर को नष्ट करना था, लेकिन आंदोलन के आक्रोश में, स्थिति गंभीर होती चली गईं।” गुप्ता के अनुसार, इलाके के हिंदुओं द्वारा प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन करने से रोकने के बाद हिंसा भड़की थी। उन्होंने बताया, “CAA-विरोध प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी उनके मंदिर में तोड़फोड़ शुरू करने के बाद हुई। प्रदर्शनकारियों का विरोध करने वाली भीड़ ने गोलीबारी की।”
गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने भी गोलियां चलाईं, लेकिन केवल हवा में, भीड़ को हटाने लिए। उन्होंने पुष्टि की कि इस झड़प के परिणामस्वरूप किसी की मृत्यु नहीं हुई, बल्कि कुछ CAA-विरोध प्रदर्शनकारी घायल हुए। एक हिंदू की गोली मारकर हत्या करने की गलत सूचना पर चिंता व्यक्त करते हुए गुप्ता ने कहा, “ऐसी अफवाहों से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। मैंने सोशल मीडिया में युवकों के कई पोस्ट देखे हैं जो दूसरे समुदाय से बदला लेने की बात कर रहे हैं।”
इस प्रकार, यह दावा गलत है कि किसी हिंदू की गोली मारकर हत्या की गई। पुलिस और स्थानीय पत्रकारों, दोनों ने कहा कि संघर्ष में कोई हताहत नहीं हुई।
आग शास्त्रों का उपयोग किसने किया?
आनंद द्वारा ऑल्ट न्यूज़ से साझा किए गए 44-सेकंड के वीडियो में गोलीबारी से एक पीड़ित को देखा जा सकता है। हालांकि वह यह नहीं बता सके कि क्लिप किसने बनाई, मगर उन्होंने बताया कि इसे एक कल्याणकारी सामाजिक संगठन इमारत शरिया से लिया गया था, जो मौलाना सज्जाद मेमोरियल अस्पताल, जिसे आमतौर पर एमएसएम अस्पताल के रूप में जानते हैं, का संचालन करते है।
इस वीडियो में, हम कम से कम तीन घायल लोगों को देख सकते हैं और पृष्ठभूमि में किसी को बार-बार यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि पुलिस ने गोली चलाई।
ऑल्ट न्यूज़ ने इमारत शरिया में कार्यालय सचिव मोहम्मद आदिल फरीदी से बात की, जिन्होंने वीडियो के स्थान की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “नौ लोग गोलियों से घायल हुए। हमने उन्हें एंबुलेंस से एम्स और पीएमसीएच भेजा। उनमें से दो गंभीर रूप से घायल थे – एक के गर्दन में और दूसरे को उसके सीने में गोली लगी थी। लेकिन इस घटना में किसी के मौत की सूचना नहीं आयी थी।” फरीदी के अनुसार, CAA-विरोध प्रदर्शनकारियों पर एक इमारत की छत से उपद्रवियों द्वारा गोलियां चलाई गईं। आनंद द्वारा दी गई जानकारी के समान ही, फरीदी ने कहा, “पुलिस ने भीड़ पर गोलियां नहीं चलाईं। उन्होंने केवल भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोली चलाईं थी। ”
ऑल्ट न्यूज़ गोलीबारी में शामिल पक्षों की पुष्टि नहीं कर सकता। लेकिन, पुलिस, पत्रकारों और इमारत शरिया के अनुसार, यह स्पष्ट है कि CAA-विरोध प्रदर्शनकारी घायल हुए थे।
निष्कर्ष
फुलवारी शरीफ में CAA-विरोध प्रदर्शनकारियों और हिंदू समुदाय के सदस्यों के बीच हुई झड़पें हिंसक हो गईं, जिसमें एक मंदिर में तोड़फोड़ की गई। इस संघर्ष में कोई हताहत नहीं हुई, लेकिन जो घायल हुए, वे नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। इसलिए, किसी हिंदू की गोली मारकर हत्या करने का दावा झूठा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की 23 दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिंसा के लिए कम-से-कम 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 7.65 मिमी के तीन खाली कारतूस बरामद किए गए।
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