10 मई की द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के पास 5 और 6 मई को भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प हुई, जिसके बाद 9 मई को सिक्किम के नाकू ला में दूसरी झड़प हुई. तभी से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक 14 मई को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावने ने आश्वस्त किया, “हम दोनों देशों के बीच बने प्रोटोकॉल के आधार पर डील करेंगे और स्ट्रेटजी गाइडलाइन्स के तहत आगे बढ़ेंगे.”

31 मई को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें कथित रूप से चीनी सैनिकों द्वारा पकड़े गए घायल भारतीय सैनिक दिख रहे थे. उसी दिन एकेडमिक अशोक स्वेन ने वायरल फोटो ट्वीट करते हुए लिखा, “लद्दाख में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ ये किया है! मोदी क्यों चुप हैं? इंडियन मीडिया क्यों सर्जिकल स्ट्राइक की मांग नहीं कर रहा है? मोहन भागवत की RSS ‘सेना’ कहां है?”

अगले दिन फ़ेक न्यूज़ फ़ैक्ट्री पोस्टकार्ड न्यूज़ ने एक तस्वीर ‘राहुल गांधी का फ़ेक यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट’ टाइटल के साथ पोस्ट की. तस्वीर में 3 चीजें थीं – अशोक स्वेन के ट्वीट का स्क्रीनशॉट, 15 मई को पब्लिश ग्लोबल टाइम्स का स्क्रीनशॉट और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी की एक तस्वीर (आर्काइव लिंक). ग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल में लिखा था, “एवलांच में घायल हुए भारतीय जवानों की चीनी सैनिकों ने मदद की.” इसे पढ़कर लगता है कि यह तस्वीर चीनी सैनिकों द्वारा पकड़े गए भारतीय सैनिकों की नहीं है. ग्राफ़िक में ‘राहुल गांधी का फ़ेक यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट’ कैप्शन लिखने का मतलब है कि स्वेन के ट्वीट का फ़ैक्ट-चेक किया गया है.

पोस्टकार्ड न्यूज़ से पहले ट्विटर यूज़र @LazyLion_95 ने ग्लोबल टाइम्स का यही स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए लिखा, “जब @ashoswai जैसे ***** मोदी के लिए इतनी नफ़रत और डर रखते हैं तो वे उनको और भारतीय सेना का अपमान करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं.” इस ट्वीट को 1,500 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

स्वेन के ट्वीट का फ़ैक्ट-चेक करने के लिए पोस्टकार्ड न्यूज़ ने ग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल का भरोसा किया, जो कि चीन की न्यूज़ वेबसाइट है. स्क्रीनशॉट के मुताबिक आर्टिकल 15 मई को पब्लिश किया गया था. हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ऐसा कोई आर्टिकल पब्लिश नहीं किया गया है.

पोस्टकार्ड के स्क्रीनशॉट के अनुसार आर्टिकल Sang Feng Wei ने लिखा था.

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर दूसरा डोमेन सर्च किया. इस बार हमने लेखक का नाम सर्च किया और पिछली बार की तरह ही कोई रिज़ल्ट सामने नहीं आया.

दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए अगर कोई ऐसा आर्टिकल सामने आता है, कि कैसे चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को एवलांच में बचाया- इसे मेनस्ट्रीम मीडिया ज़रूर कवर करता.

यानी पोस्टकार्ड का फ़ैक्ट-चेक ग्लोबल टाइम्स की कभी न छपी स्टोरी पर बेस्ड था जिसने दावा किया कि चीनी सैनिकों ने एवलांच में घायल हुए भारतीय सैनिकों की मदद की.

वायरल तस्वीर के बारे में हमें क्या पता चला?

तस्वीर को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि दो भारतीय सैनिकों के पैर एक रस्सी से बंधे हुए हैं. इसलिए यह पूरी तरह गलत लगता है कि चीनी सैनिक भारत के सैनिकों को एवलांच से बचा रहे हैं. उल्टा यह लगता है कि चीनियों ने भारतीय जवानों को पकड़कर क़ैद किया है. इसके अलावा चीनी सैनिकों का मुंह पर पहना मास्क बताता है कि वायरल तस्वीर हाल ही की हो सकती है.

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया और 15 मई के रिज़ल्ट्स पर ग़ौर किया. हमने पाया कि उस दिन इस तस्वीर से सम्बंधित कोई लिंक नहीं है.

वायरल तस्वीर 31 मई को ट्विटर पर @OedoSoldier ने शेयर की जो चाइनीज़ मिलिट्री से सम्बंधित ट्वीट करता है. उसने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए चाइनीज़ में कैप्शन लिखा था 中印国境 – जिसका मतलब है ‘चीन-भारत बॉर्डर.’

ऑल्ट न्यूज़ आधिकारिक रूप से इस तस्वीर की पुष्टि नहीं करता है. हालांकि, फ़ैक्ट-चेक के बाद कॉन्टेक्स्ट दिया जा रहा है.

वायरल तस्वीर से पहले की घटनाएं

30 मई को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दिखता है कि भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे पर पथराव कर रहे हैं. वीडियो को भारतीय सैनिकों की तरफ से रिकॉर्ड किया गया है. वीडियो में उन्हें एक चाइनीज़ गाड़ी पर हमला करते देखा जा सकता है. एक घायल सैनिक (सम्भवतः चीनी) सड़क पर पड़ा है और उसके सिर से ख़ून बह रहा है. उसका बचाव भारतीय सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली शील्ड्स से किया जा रहा है. द ट्रिब्यून के मुताबिक, “पहले व्हाट्सएप, फिर भारतीय ट्विटर हैंडल्स से ट्वीट किए गए ये वीडियो न केवल चीन, बल्कि उसके दोस्त पाकिस्तान को भी सबक सिखाने वाले हैं.” इस वायरल वीडियो को ट्वीट करने वाला एक हैंडल @drapr007 है, जहां से इसे 4,000 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया है. (आर्काइव लिंक)

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उसी दिन द हिंदू ने रिपोर्ट किया कि एक सेना प्रवक्ता ने कहा, “जो वीडियो वायरल हो रहा है इसकी सच्चाई प्रमाणित नहीं है. इसे गलत इरादे से उत्तरी बॉर्डर की मौजूदा स्थिति से जोड़ा जा रहा है. अभी वहां कोई हिंसा नहीं हो रही है.”

उसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इंडिया टुडे को बताया कि चीन के साथ डिप्लोमेटिक और मिलिट्री लेवल पर बातचीत जारी है.

31 मई को इंडियन सोशल मीडिया पर शेयर हुए वीडियो के जवाब में कुछ चाइनीज़ सोशल मीडिया यूज़र्स ने एक वायरल तस्वीर शेयर की है. @OedoSoldier, @dafengcao जैसे अकॉन्ट्स ने यह तस्वीर शेयर की है.

ग़ौर करने वाली बात है कि इस तरह की ज़्यादातर पोस्ट्स चाइनीज़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Weibo पर बनाई गई हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने Weibo पर कीवर्ड सर्च किया और पाया कि वायरल तस्वीर को पोस्ट करने वाला पहला अकाउंट एक वेरिफ़ाइड प्रोफ़ाइल है. (आर्काइव लिंक)

ऑल्ट न्यूज़ ने एक डिफ़ेंस करेस्पांडेंट (पहचान गुप्त रखी गई है) से बात की. उसने कहा, “पिछले कुछ हफ़्तों में दोनों सेनाएं कई बार आमने-सामने आई हैं. मेरे सूत्रों के मुताबिक वायरल तस्वीर में जो घटना दिख रही है इसमें भारतीय सैनिकों के छोटे से ग्रुप को कम से कम 150 चीनी सैनिकों ने घेर लिया था. मेरी जानकारी के मुताबिक इस घटना में चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास 10-12 भारतीय सैनिकों को पकड़ लिया था. झड़प में किसी की जान नहीं गई थी.”

31 मई को इंडिया टुडे के पूर्व चीन संवाददाता और अभी द हिंदू के साथ जुड़े पत्रकार अनंत कृष्णन ने ट्वीट किया, “जिस तरह से बॉर्डर की तस्वीर Weibo पर शेयर की जा रही है, उसे देखकर लगता है कि यह PLA (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) और मिलिट्री न्यूज़ साइट्स की तरह से लीक किया गया है, जिसके हैंडल्स पर 20 मिलियन फ़ॉलोवर्स हैं. यह लीक हुई तस्वीर पहला वीडियो शेयर होने के बाद सामने आई है.”

द हिंदू के डिफेंस करेस्पांडेंट दिनकर पेरी ने 30 मई को वायरल हुए वीडियो पर सेना का आधिकारिक जवाब ट्वीट किया है. भारतीय सेना ने चीन के साथ हालिया झड़प का वीडियो होने के दावे को ख़ारिज़ किया है.

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About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.