सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर वायरल है. तस्वीर में एक जैसी धारीदार वर्दी और फॉर्मल कपड़े पहने कुछ लोगों को देखा जा सकता है. तस्वीर में अंतिम लाइन में बाएं से पांचवें व्यक्ति के बारे में दावा किया गया है कि वो महात्मा गांधी हैं. इसे शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि ये उस वक्त की तस्वीर है जब गांधी को स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश सेना में भर्ती किया गया था और उन्हें उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए कई पदक भी दिए गए थे.

इस तस्वीर को फ़ेसबुक और ट्विटर पर कर लोगों ने शेयर है.

फ़ैक्ट-चेक

रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें लाइवमिंट का एक आर्टिकल मिला जिसमें ये तस्वीर है. आर्टिकल में लिखा है कि 1893-1915 के बीच जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उन्होंने जोहान्सबर्ग और प्रिटोरिया में दो फ़ुटबॉल क्लब बनाए. हेनरी थोरो और लियो टॉल्स्टॉय से प्रेरित राजनीतिक दर्शन के आधार पर दोनों टीमों को “द पैसिव रेसिस्टर्स” नाम दिया गया था. ये तस्वीर उस टीम की थी जिसे लगभग 1913 में दक्षिण अफ्रीका में खिंचा गया था.

तस्वीर का क्रेडिट स्टॉक फ़ोटो एजेंसी दिनोदिया को दिया गया है. हमने एजेंसी का वेबसाइट चेक किया जहां ये तस्वीर मिली. ये एक दिवंगत फिल्म निर्माता और फ़ोटोग्राफर विट्ठलभाई झावेरी ने लिया था, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के बारे में डॉक्यूमेंट किया था.

इसके अलावा, ये दावा सही नहीं है कि महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सेना में काम किया था. 2008 में ये दावा रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित एक पत्रिका, ‘सैनिक समाचार’ में पब्लिश हुआ था. उस वक्त इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा, “गांधी को कभी भी ब्रिटिश सेना में शामिल नहीं किया गया था. उन्होंने ब्रिटिश सैनिकों को चिकित्सा सहायता करने के लिए केवल एक स्वैच्छिक एम्बुलेंस कोर की स्थापना की थी जिसमें सिर्फ गैर-लड़ाकू शामिल थे. ये कहना ग़लत है कि उन्होंने ब्रिटिश सेना की सेवा की.” इसी तरह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर बिपिन चंद्र ने भी कहा था कि गांधी कभी भी ब्रिटिश सेना का हिस्सा नहीं थे और उन्होंने सिर्फ एक स्वैच्छिक एम्बुलेंस कोर का गठन किया था. उनके बयानों को 2008 में हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने रिपोर्ट में शामिल किया था.

कुल मिलाकर, महात्मा गांधी वायरल तस्वीर में मौजूद हैं, लेकिन ये तस्वीर दक्षिण अफ्रीका में 1913 में ली गई थी जब उन्होंने फ़ुटबॉल क्लब का गठन किया था.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Writes. Fact Checks. Sleeps.