जन्माष्टमी के मौके पर कुछ ट्विटर यूज़र्स ने उत्सव का एक वीडियो ट्वीट किया. वीडियो के साथ दावा किया गया कि ये श्रीनगर के लाल चौक पर हुए जन्माष्टमी उत्सव के दृश्य थे. हिन्दू युवा वाहिनी, गुजरात के इंचार्ज योगी देवनाथ ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि कश्मीर में ये उत्सव 32 सालों में पहली बार मनाया गया है. और इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को शुक्रिया कहा. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
32 साल बाद कश्मीर में निकाली गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शोभायात्रा। ‘श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी’ की धुन से गूंज उठा श्रीनगर का लालचौक… धन्यवाद आदरणीय श्री @narendramodi जी @AmitShah जी
— Yogi Devnath (@YogiDevnath2) August 30, 2021
सूदर्शन न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ़ सुरेश चव्हाणके, ऑप इंडिया, ज़ी न्यूज़, न्यूज़18, नई दुनिया, VTV गुजराती और आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र ने भी ये दावा किया.
न्यूज़18 अहमदाबाद के ब्यूरो चीफ़ जनक दवे और दैनिक भास्कर के पत्रकार हिमांशु मिश्रा ने भी ये दावा किया.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित कुमार डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल ने भी ये वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि ऐसा सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही संभव है. फ़िल्म निर्देशक और लेखक रवि राय ने शौर्य का ट्वीट क्वोट ट्वीट किया.
Glimpses of Shri Krishna Janmashtami Celebration from Lal Chowk, Kashmir.
This is the same location where hoisting India’s national flag was a life-threatening act in 1992. 1/2 pic.twitter.com/5JAWuqLAdr
— Shaurya Doval (@shaurya_doval) August 30, 2021
भाजपा विधायक इंदु तिवारी, भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद और विदेश मंत्रालय की सलाहकार कमिटी के सदस्य वरुण पुरी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पूर्व सोशल मीडिया मैनेजर अभिषेक मिश्रा और प्रो गवर्नमेंट फ़ेसबुक पेज ‘I Support Arnab Goswami’ ने भी इसी दावे के साथ ये वीडियो और उसके स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है.
फ़ैक्ट-चेक
भाजपा से जुड़े कुछ यूज़र्स ने ऐसा ही दावा पिछले साल भी किया था कि श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में दशकों बाद महाशिवरात्रि के उत्सव का आयोजन हुआ था. इसी तरह, 32 सालों में पहली बार श्रीनगर में जन्माष्टमी का जश्न मनाए जाने का दावा भी गलत है.
ऑल्ट न्यूज़ को ये तस्वीरें कम से कम 2004 से इंटरनेट पर शेयर की हुई मिलीं. फ़ोटो एजेंसी गेटी इमेजेज़ (2004 और 2013), रॉयटर्स (2005 और 2006) और अलामी (2007 और 2012) पर ये तस्वीरें पोस्ट की गई थीं. इन सभी साइट्स पर सर्च रिज़ल्ट यहां देखे जा सकते हैं – गेटी इमेजेज़, रॉयटर्स और अलामी पर मौजूद हैं.
2018 में आयोजित हुए उत्सव की कुछ खबरें भी मिलती हैं. ‘ग्रेटर कश्मीर’ से बात करते हुए एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया था कि लाल चौक में 2004 से जन्माष्टमी का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि, 2007 में हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया था, “1989 में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद ये पहला मौका था जब पंडितों का जन्माष्टमी उत्सव लाल चौक से निकला था.”
ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की असलियत जानने के लिए कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिकू से बात की. वो श्रीनगर के ही रहनेवाले हैं. उन्होंने बताया, “मुझे याद है कि 1988 तक हर साल जन्माष्टमी के मौके पर यात्रा निकाली जाती थी. लेकिन उसके अगले साल घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद इसे रोक दिया गया था. इसके बाद 1992 में फिर से ऐसा छोटा जुलूस श्रीनगर के करण नगर से काक सारी तक निकाला जाने लगा था. जहां तक मेरी जानकारी है वहां तक, 2003 के बाद से हर साल त्योहार मनाये जाते रहे हैं. साल 2008 में अमरनाथ ज़मीन विवाद, 2010 में तुफैल मट्टू की हत्या, 2014 में बाढ़ और 2016 में बुरहान वानी की मौत और 2019-20 में आर्टिकल 370 हटाने और कोरोना महामारी के चलते ये आयोजन नहीं हो पाया.”
संजय टिकू ने हमारी बात इस्कॉन ग्रुप के सदस्य संदीप कौल से भी करवाई. इस्कॉन ग्रुप 2007 से जन्माष्टमी के कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है. उन्होंने हमें बताया, “इस साल हमने लाल चौक पर जन्माष्टमी के कार्यक्रम का आयोजन किया था. सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा कि 32 सालों में पहली बार इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, गलत है.”
कुल मिलाकर, सुरेश चव्हाणके सहित कई मीडिया संगठनों ने झूठा दावा किया कि श्रीनगर में 32 सालों में पहली बार जन्माष्टमी के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का धन्यवाद दिया गया कि उनकी वजह से वहां ऐसा आयोजन हो सका. जबकि घाटी में कई वर्षों से ये आयोजन होता आ रहा है.
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