विश्व हिंदू परिषद की ब्रज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान 31 जुलाई को हरियाणा के मुस्लिम बहुल नूंह ज़िले में दो ग्रुप के बीच हुई झड़प के सबंध में कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं.

सोशल मीडिया यूज़र्स ये तस्वीरें हिंदुओं से ‘जिहादी गद्दारों’ का विरोध करने के लिए कहते हुए शेयर कर रहे हैं. वेरिफ़ाईड हैन्डल ‘@ChandanSharmaG’ ने ट्वीट करते हुए लिखा, “बहुत दुख होता है, अफसोस भी होता है यह सब देखकर कि 120 करोड़ हिंदुओं के देश में हिंदुओं का यह हाल है? चारों तरफ मार खा रहे हो? चारों तरफ आपकी करोड़ों अरबों की संपत्ति जब मर्जी होता है वह फूंक कर शांति से अपने घर में चले जाते हैं और शांतिप्रिय कहलाते हैं! तुम जय श्री राम का नारा लगाकर दंगाई कहलाते हो? अब यही सब देखना बाकी रह गया था?.” उन्होंने गौ-रक्षक मोनू मानेसर को “इस भारत माता की सच्ची वीर संतान” के रूप में सराहा भी. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 7 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और 3 हज़ार से ज़्यादा रीट्वीट मिले हैं. (आर्काइव लिंक)

इनमें से कुछ तस्वीरें वेरिफ़ाईड अकाउंट ‘@BiharwaleSir’ ने भी इसी कैप्शन के साथ ट्वीट की है. (आर्काइव)

कई यूज़र्स ये तस्वीरें ट्वीट करते हुए ऐसे ही दावे करते हैं.

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ये तस्वीरें फ़ेसबुक पर भी वायरल हैं.

पहली तस्वीर की फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने जांच करते हुए पाया कि ये तस्वीर करीब 6 साल पुरानी है. 26 अगस्त 2017 को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने एक आर्टिकल में ये तस्वीर पब्लिश की थी. ये रिपोर्ट पंचकुला में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सज़ा सुनाए जाने के बाद बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बारे में थी. डेरा प्रमुख को दोषी ठहराए जाने के बाद उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने गोलीबारी की थी जिसमें कथित तौर पर कम से कम 31 डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों की मौत हो गई थी और 300 से ज़्यादा घायल हो गए थे. इस तस्वीर का इस्तेमाल फ़र्स्टपोस्ट ने भी अपनी रिपोर्ट में किया गया था.

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द ट्रिब्यून ने भी 30 अगस्त, 2017 को इस हिंसा के बारे में ख़बर देते हुए वायरल तस्वीर में दिख रही घटना की अलग ऐंगल से क्लिक की गई AFP की तस्वीर शेयर की थी.

दूसरी तस्वीर की फ़ैक्ट-चेक

इस तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 20 फ़रवरी 2013 का हिंदुस्तान टाइम्स का आर्टिकल मिला. इसमें ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई 2 दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन हुई हिंसा की जानकारी दी गई थी. इस हड़ताल का मिला-जुला असर रहा, बैंक ठप रहे और सार्वजनिक परिवहन बाधित रहा. हरियाणा में एक यूनियन नेता की हत्या कर दी गई और छिटपुट हिंसा में नोएडा में फ़ैक्ट्री इकाइयों को नुकसान हुआ.

इस तस्वीर का इस्तेमाल 21 फ़रवरी, 2013 की हड़ताल से संबंधित हिंदुस्तान टाइम्स की एक और रिपोर्ट में भी किया गया था. NDTV ने भी 20 फ़रवरी, 2013 की एक रिपोर्ट में हड़ताल के दौरान हिंसा के मामलों का डॉक्यूमेंटेशन करने के लिए यही तस्वीर यूज़ की थी.

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तीसरी तस्वीर की फ़ैक्ट-चेक

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने देखा कि ये तस्वीर PTI की है. और 21 दिसंबर, 2019 को कानपुर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में निकाली गई एक रैली के दौरान पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के दौरान ली गई थी. इस तस्वीर का इस्तेमाल 25 दिसंबर 2019 को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के आर्टिकल में भी किया गया था जिसमें CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान कानपुर में हुए दंगों के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की सूचना दी गई थी.

कथित तौर पर CAA का विरोध करनेवाले प्रदर्शनकारियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी को आग लगा दी थी. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई और एक अन्य व्यक्ति की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी. पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठियों का इस्तेमाल करना पड़ा और आग पर काबू पाने के लिए दमकल की गाड़ियां भेजी गईं. इस तस्वीर का इस्तेमाल द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी 26 दिसंबर 2019 की रिपोर्ट में भी किया था. इसका टाइटल है, “एंटी-CAA प्रोटेस्ट्स: 1,113 गिरफ्तारियां, 5,558 निवारक हिरासत, यूपी में 19 की मौत.”

डेक्कन हेराल्ड ने भी इस तस्वीर का इस्तेमाल 22 दिसंबर 2019 की रिपोर्ट में किया था जिसके टाइटल है, “एंटी CAA विरोध प्रदर्शन: IMA का कहना है कि अस्पतालों को सेफ़ जोंस घोषित करें.”

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चौथी तस्वीर की फ़ैक्ट-चेक

चौथी तस्वीर भी PTI तस्वीर है जो कानपुर में CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी. इस तस्वीर का इस्तेमाल द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 21 दिसंबर, 2019 की रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट का है, “कानपुर का बाबूपुरवा युद्ध क्षेत्र में बदला, 1 की मौत.” CAA के विरोध प्रदर्शन कथित तौर पर हिंसक हो गया जिसके परिणामस्वरूप एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. जबकि 13 अन्य लोग कानपुर के बाबूपुरवा इलाके में गोली लगने से घायल हो गए थे. हालांकि, पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के दौरान एक भी गोली चलने की बात से इनकार किया था.

इस तस्वीर का इस्तेमाल न्यूज़ 18 और न्यूज़क्लिक ने भी CAA विरोध प्रदर्शन के बारे में इसी तरह की रिपोर्ट्स में किया था.

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कुल मिलाकर, ये साफ़ है कि सोशल मीडिया पर हरियाणा के नूंह में हाल ही में हुई हिंसा की बताकर पुरानी तस्वीरें ग़लत दावों के साथ शेयर की गई.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.