ट्विटर यूज़र @SangeetSagar13 ने एक तस्वीर शेयर की और लिखा, “अफ़गानिस्तान एयर फ़ोर्स की लेडी पायलट साफ़िया फिरोज़ी को आज पत्थर से पीटकर मार दिया गया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
खुद को राष्ट्रवादी लेखक बताने वाले आयुर्वेद चमत्कार ने भी ये तस्वीर शेयर करते हुए यही दावा किया. (आर्काइव लिंक)
फ़ेसबुक पर इस दावे के साथ ट्विटर यूज़र @SangeetSagar13 के ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल है. इसके अलावा ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर पर भी इस तस्वीर की पड़ताल की रिक्वेस्ट मिली.
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने से 2018 की एक न्यूज़ रिपोर्ट मिलती है जिसमें काबुल में हुई फ़रख़ुंदा लिंचिंग के तीन साल होने की बात बताई गयी है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक मासूम बच्ची की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के 3 साल होने पर लोग फ़रख़ुंदा स्मारक के सामने इकठ्ठा हुए. प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर्स थीं. इनमें फ़रख़ुंदा, रुखशाना, शुक्रिया तबस्सुम, मिर्ज़ाओलंग जैसी उत्पीड़न, अत्याचार और हत्या की शिकार कई अन्य महिलाओं के खिलाफ अपराध की निंदा की गई.” इस रिपोर्ट में शामिल तस्वीर में दिख रही एक पोस्टर वायरल तस्वीर से मेल खाती है.
इसके बाद कीवर्ड्स सर्च से न्यू यॉर्क टाइम्स की 26 दिसम्बर 2015 की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. इसमें बताया गया है, “27 साल की मुस्लिम महिला फरखुंदा मलिकज़ादा पर ग़लत तरीके से क़ुरान जलाने का आरोप लगाकर मार दिया गया. इस घटना को हज़ारों लोगों ने देखा और रिकॉर्ड किया.” इस वीडियो में 4 मिनट पर वो दृश्य है जिसकी तस्वीर फ़िलहाल पायलट सफ़िया फिरोज़ी की बताकर शेयर की जा रही है.
मई 2015 की BBC की रिपोर्ट में बताया गया है कि फ़रख़ुंदा मलिकज़ादा की मौत 19 मार्च को हुई थी. जांच में मालूम चला था कि उनपर क़ुरान जलाने का ग़लत आरोप लगाया गया था. इस मामले में 49 लोगों को गिरफ़्तार किया गया जिसमें 19 पुलिस ऑफ़िसर थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, “तीन पुरुषों को 20 साल की क़ैद और आठ को 16 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई और एक नाबालिग को 10 साल की क़ैद की सज़ा दी गई. फ़रख़ुंदा को सुरक्षा देने में नाकाम रहने के लिए 11 पुलिसकर्मियों को भी एक-एक साल की सज़ा हुई.”
इसके बाद साफ़िया फिरोज़ी के बारे में सर्च करने पर मालूम चला कि उनका नाम अफ़गानिस्तान की दूसरी महिला पायलट के तौर पर आता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 के दशक में साफ़िया फिरोज़ी और उनका परिवार काबुल से भाग गया था. और 2001 में तालिबान के पतन के बाद वो लोग काबुल वापस आ गए थे. हमें ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें साफ़िया की मौत का ज़िक्र हो.
पहली महिला पायलट का नाम नीलोफ़र रहमानी है जिन्होंने हाल ही में एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा कि महिलाओं के अधिकारों पर तालिबान के दुष्प्रचार पर विश्वास नहीं किया जाये.
यानी, एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि अफ़गानिस्तान की लेडी पायलट सफ़िया फिरोज़ी को तालिबानियों ने पत्थर से पीट-पीट कर मार दिया.
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