सोशल मीडिया पर, खास तौर से पाकिस्तानी हैंडल के माध्यम से कश्मीर की बर्बरता को दर्शाने के लिए कुछ तस्वीरें साझा की गई है। इस लेख में, हम ऐसी ही तीन तस्वीरों की पड़ताल करेंगे जो कश्मीर की है लेकिन अनुच्छेद 370 को अप्रभावी करने के सरकार के फैसले के बाद कश्मीर की अशांति को नहीं दर्शाती है।

पहली तस्वीर

यह तस्वीर 2017 में खींची गई थी और AP Images ने इसे अपलोड किया था। तस्वीर के विवरण में लिखा है –“17 जून, 2017भारत के कश्मीरी श्रीनगर के दक्षिण-पश्चिम में श्रीनगर से लगभग 38 किलोमीटर (24 मील) दक्षिण-पश्चिम स्थित सुरसियार गांव में महिलाएं और लड़कियां भारतीय पुलिसकर्मी तसवीर अहमद के शव को अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने पर रो रही थी।” (अनुवाद)

दूसरी तस्वीर

यह तस्वीर 2010 की है, जिसे रॉयटर्स ने यह कहते हुए अपलोड किया है, “4 अगस्त, 2010 को श्रीनगर के एक घर की खिड़की से कश्मीरी युवक मोहम्मद इकबाल के अंतिम संस्कार को रोते हुए महिलाए और बच्चे देख रहे थे।” (अनुवाद)

तीसरी तस्वीर

एक छोटे बच्चे की कांटेदार तार के पीछे की तस्वीर भी 2010 की है। इस तस्वीर को गेट्टी इमेज ने अपलोड करते हुए लिखा था कि, “18 जुलाई, 2010 को एक कश्मीरी बच्चा श्रीनगर में कर्फ्यू के दौरान कांटेदार तारों के पीछे खड़ा है।” (अनुवाद)

सोशल मीडिया में पुरानी तस्वीरों को साझा करके कश्मीर की हाल की स्थिति को दर्शाने का प्रयास किया गया है। ऑल्ट न्यूज़ ने इस तरह के अन्य तस्वीरों की पड़ताल पहले के लेख में भी की है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.