भारत का एक मैप सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें जनसंख्या के आधार पर भारतीय राज्यों की तुलना अलग-अलग देशों के साथ की गई है. भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने भी इस वायरल तस्वीर को ट्वीट किया. मैप के नीचे लिखा है कि इसे एक ‘अमेरिकी सीईओ’ ने अपने हिसाब से डिज़ाइन कर अपने कर्मचारियों को बताया कि “अप्रत्यक्ष रूप से, भारत इतने सारे देशों में उपजी #कोविड19 संक्रमण की समस्या का सामना कर रहा है’. ये किसी समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने का उदाहरण है.” इस तस्वीर को 3,600 से अधिक बार री-ट्वीट किया गया (आर्काइव लिंक). यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि इस मैप में पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया है. ऐसा करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत एक दंडनीय अपराध है.

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने राम माधव के ट्वीट को री-ट्वीट किया.

इस मैप से भावविभोर होकर, बीजेपी मेंबर और आंध्र प्रदेश की पूर्व सांसद गीता कोथापल्ली (आर्काइव लिंक) और ‘द डेली मिलाप’ के एडिटर रिशी सूरी (आर्काइव लिंक) ने राम माधव के ट्वीट को क़ोट-ट्वीट किया. इसी तरह, कई ट्विटर और फ़ेसबुक यूज़र्स ने इस वायरल तस्वीर को इसी दावे के साथ शेयर किया.

फ़ैक्टचेक

ट्विटर पर कीवर्ड सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को, अतीत में कई वेरिफ़ाइड यूज़र्स द्वारा पोस्ट किए गए इसी तरह के मैप्स मिले. इन यूजर्स में – नॉर्वे के कूटनीतिज्ञ एरिक सोल्हम, भारत के खेल पत्रकार मोहनदास मेनन, ज़ीरोमीडिया एंड यूरेशिया ग्रुप के प्रेसिडेंट इयान ब्रेमर और द सेंटर फ़ॉर हिस्टोरिकल एनालिसिस एंड कंफ़्लिक्ट रिसर्च की सीनियर रेजिडेंट फ़ेलो ज़िया मीरा, शामिल थे.

इस मैप को, आठ साल पहले, अर्पण श्रीवास्तव नाम के एक शख़्स ने बनाया था. उन्होंने SM Hoaxslayer को ट्विटर पर रिप्लाई कर इस बारे में आगाह भी किया. अगर कोई व्यक्ति ध्यान से देखे तो पता चलेगा कि इस मैप में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को एक स्टेट के तौर पर दिखाया गया है. जबकि, दोनों राज्य 2014 में एक-दूसरे से अलग हो गए थे.

श्रीवास्तव ने मैप का एक लिंक भी जोड़ा, जो उन्होंने 26 नवंबर, 2012 को क़ोरा पर पोस्ट किया था.

ये मैप तब से सोशल मीडिया पर घूम रहा है. इसे स्लाइडशेयर के को-फ़ाउंडर अमित रंजन ने भी शेयर किया था. 2016 में, अमित रंजन ने वायरल तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “काफ़ी रोचक मैप! -> “भारत के राज्यों को बराबर जनसंख्या वाले देशों से तुलना करके दिखाया गया है.” अमित रंजन के लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के अनुसार, वो वर्तमान में, भारत सरकार की आइटी मिनिस्ट्री के नेशनल ई-गवर्नेंस डिविज़न में काम करते हैं. वो डिजिलॉकर में आर्किटेक्ट हैं.

गूगल पर एक अन्य कीवर्ड सर्च में, हमें ज़ीरो मीडिया और विविड मैप्स पर, भारत के मैप के अलग-अलग प्रकार मिले जिसमें भारतीय राज्यों की जनसंख्या की तुलना दुनिया के देशों के साथ की गई थी. बाईं तरफ़ वाले मैप में पीओके को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया गया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने अमित रंजन के द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर को यानडेक्स (Yandex) पर रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें पता चला कि फ़ेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने पहले भी इस मैप को हिंदी मेसेज के साथ पोस्ट किया था. मेसेज में लिखा था कि इसे किसी अमेरिकी कंपनी में काम करने वाले प्रवासी भारतीय/सीईओ ने डिज़ाइन किया है. हालांकि, इसमें राम माधव के पोस्ट से अलग ये लिखा था कि कैसे प्रधानमंत्री दुनिया के देशों के बराबर जनसंख्या वाले अलग-अलग राज्यों को चला रहे हैं. 2017 में, बीजेपी कार्यकर्ता अनंत गांधी (ट्विटर और फ़ेसबुक के अनुसार) ने फ़ेसबुक पर अभी वायरल हो रही तस्वीर को इसी मेसेज के साथ पोस्ट किया था. (आर्काइव लिंक)

ये मैप TV9 भारतवर्ष के कार्यक्रम का हिस्सा बन गया

इस बीच, ऐसा लगता है कि टीवी9 भारतवर्ष के संपादक इस तस्वीर से खूब प्रभावित हुए, जो कम-से-कम आठ साल पुरानी है. 14 अप्रैल को, इस हिंदी न्यूज़ चैनल ने एक बुलेटिन जारी कर वायरल तस्वीर में दिए गए आंकड़े दिखाए. हालांकि उन्होंने मैप में भारत की सीमाएं दुरुस्त दिखाईं. ये वीडियो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है. रिपोर्ट में केवल अलग-अलग देशों की जनसंख्या की तुलना भारतीय राज्यों के साथ की गई. ऐसा ये दर्शाने के लिए किया गया कि भारत सरकार के सामने बहुत बड़ी समस्या है और वो इसका कितने ‘अच्छे’ तरीक़े से सामना कर रही है. टीवी9 भारतवर्ष का कार्यक्रम भारतीय राज्यों की जनसंख्या की बराबरी वाले देशों की तुलना पर केंद्रित था.

चैनल ने प्रधानमंत्री मोदी का खूब गुणगान किया. लेकिन, चैनल ने संबंधित देशों में बेरोज़गारों को मिली सहायता या प्रति दस लाख जनसंख्या पर टेस्ट, जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं की तुलना करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

क्या कहता है क़ानून?

देश में नक़्शे पर ग़लत बाउंड्री दिखाना क़ानूनन ग़लत है. इसमें सज़ा का भी प्रावधान है. हमने सर्वे ऑफ़ इंडिया पर चेक किया तो मालूम चला कि सरकारी नियमों के मुताबिक़ अगर कोई ऐसे नक़्शे पब्लिश करता है जो सर्वे ऑफ़ इंडिया की गाइडलाइंस के हिसाब से तय किये गए मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उसे सज़ा मिलेगी. सज़ा में जेल या ज़ुर्माने या दोनों का प्रावधान है. अधिकतम कैद 6 महीने की है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर भी यही जानकारी मिलती है.

अंतत:, ये आठ साल पुराना एक मैप है, जिसमें केवल भारतीय राज्यों की जनसंख्या की तुलना दुनिया के देशों के साथ की गई है. इसको आधार बनाकर, भारत जैसे विशाल देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ों के पुल बांधे जा रहे हैं.

हालांकि, इसमें टेस्ट की संख्या, सहायता के उपाय और बेरोज़गारी भत्ते से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों को ध्यमान में नहीं रखा गया है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.