14 अप्रैल से शुरू हुए लॉकडाउन के दूसरे चरण में दिहाड़ी मज़दूरों की हालत बद से बद्दतर होती जा रही है. सरकार का दावा है कि वो हर रोज़ गरीब मज़दूरों तक खाना पहुंचाने का काम करती है. लेकिन अग़र मीडिया रिपोर्ट देखे तो अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें हर रोज़ 2 वक़्त का खाना नसीब नहीं हो रहा हैं. इसी दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है.

वीडियो 1 : (रात को शूट किया गया)

इस वीडियो में एक व्यक्ति दावा करता है कि ‘गांधी आश्रम’ की झुग्गियों में लगातार पिछले कई दिनों से खाना पहुंचाया जा रहा है लेकिन ये लोग हमसे खाना लेकर या तो रख देते है या फ़िर दुकानों में बेच देते है. इसके बजाय ये लोग मुर्गी और बिरयानी पकाकर खा रहे हैं. वीडियो में एक व्यक्ति लोगों से अपील करता है कि अगर आप दान दे रहे हों तो ध्यान से देख कर दीजिए क्योंकि कुछ लोगों को हमारे खाने की ज़रूरत नहीं है. ‘नज़फ़गढ़ कंफ़ेशंस’ नाम के एक फ़ेसबुक पेज ने ये वीडियो पोस्ट किया है. आर्टिकल लिखे जाने तक इस पोस्ट को 5,400 बार देखा जा चुका है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

खाना बाँटने से पहले ये देख लो!
हम तो सोचते है भूखे होंगे ये तो अच्छा चिकन खा रहे है! सब एक जैसे नहीं है लेकिन अब ज्यादा लोग सामान इकठ्ठा कर रहे!
वीडियो बने वाले भाई को दिल से धन्यवाद!

Posted by Najafgarh Confessions on Friday, 10 April 2020

ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल ऐप पर मिलीं कुछ रीक्वेस्ट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि ये वीडियो मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए शेयर हो रहा है.

वीडियो 2 : (दिन को रिकार्ड दिया गया वीडियो)

इस दूसरे वीडियो में एक व्यक्ति ‘कुष्ठ आश्रम’ के कमरे में पड़े रोटियों के ढेर को दिखाते हुए वहां पर खाने की बर्बादी करने का आरोप लगा रहे हैं. दावा है कि ‘शांतिदूत’ किसी गरीब तक खाना न पहुंचने देने के लिए खाने की बर्बादी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर ‘शांतिप्रिय’ या ‘शांतिदूत’ शब्द अक्सर मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए इस्तेमाल किया जाता है. कुमार अजीत नाम के एक फ़ेसबुक यूज़र ने ये वीडियो 12 अप्रैल को पोस्ट किया था. उनकी पोस्ट को आर्टिकल लिखे जाने तक 66 हज़ार बार देखा जा चुका है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

। #सावधान ।।
#खाना_ज़िहाद शुरू हो चुका है, खाना लूटो और उसे खराब कर दो, किसी हिन्दू गरीब को खाना ना पहुँचने दो, ताकि सरकार बदनाम हो और गरीब हिन्दू भूखा मरे ।

Posted by Kumar Ajit on Saturday, 11 April 2020

इस वीडियो को कुछ फ़ेसबुक यूज़र्स ने “मुसलमानों” और “जिहादियों” शब्दों का इस्तेमाल करते हुए शेयर किया है.

फ़ेसबुक यूज़र मुकेश गर्ग ने ये दोनों वीडियो 10 अप्रैल को एक साथ पोस्ट किये थे. अपनी पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि गरीब लोग खाने की बर्बादी करते हैं. वीडियो शेयर करते हुए गर्ग ने लिखा, “देश की सभी संस्थाओं को यह दोनो वीडियो जरूर देखनी चाहिये।यह झुगी झोपड़ी वाले अन्न देवता का कैसे अनादर कर रहे है।” ये आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 63 हज़ार बार शेयर किया जा चुका है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक (पहला कदम)

इन दोनों वीडियोज़ के फ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें 10 अप्रैल को अपलोड की गई ‘जन टीवी’ चैनल की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. वीडियो कैप्शन के मुताबिक, “Meerut News | कुष्ठ आश्रम और गांधी आश्रम में खाने की बर्बादी, भूखा बताकर समाजसेवी ले जा रहे खाना.” ‘जन टीवी’ ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया कि मेरठ के इन आश्रम और उसके आस-पास के लोग सरकार या NGO की ओर से मिले खाने को दुकानों में बेच देते हैं.

हालांकि, इस वीडियो रिपोर्ट में हमें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो कि वायरल वीडियो के दावों को सही ठहरा सके. इसके चलते हमने फ़ैक्ट-चेक का प्रयास जारी रखा.

फ़ैक्ट-चेक (दूसरा कदम)

वायरल दावे के साथ-साथ अब हमें पहले के फ़ैक्ट-चेक में खाने को बेचने का एक और दावा देखने को मिला. अपने इस आर्टिकल में हम इन दोनों दावों की जांच करेंगे. पहला ये कि क्या इन दोनों वीडियो का मुस्लिम समुदाय से कोई लेना-देना है या नहीं? और दूसरा, कि क्या वाकई में गरीब लोग खाने को दुकानों में बेच रहे हैं?

इन सब से पहले हम ये देखेंगे कि इन दोनों वीडियो का एक दूसरे से कोई संबंध है या नहीं?

दोनों वीडियो को गौर से देखने पर हमने पाया कि इन दोनों में दिख रहे व्यक्ति एक ही हैं. ये बात आप साफ़ तौर पर नीचे शेयर गई तस्वीर में देख सकते हैं.

वीडियो में दिखने वाला ये व्यक्ति आखिर में है कौन?

ये सुराग मिलने के बाद, कि दोनों वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति एक ही है, हमने मेरठ के कई पत्रकारों से इस वीडियो के बारे में पूछताछ की. बातचीत से हमें पता चला कि वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति हिन्दू युवा वाहिनी (HYV) का सदस्य नवनीत बालाजी है. HYV, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित एक यूथ ऑर्गनाइज़ेशन है.

ऑल्ट न्यूज़ से हुई बातचीत में बालाजी ने बताया, “हां इन दोनों वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति मैं ही हूं. जब हम वहां पर खाना पहुंचाने के लिये पहुंचे तब हमारे सामने ये मामला आया.”

वीडियो 1:

नवनीत बालाजी, जिन्होंने ये वीडियो रिकार्ड किया है, बताते हैं कि ये गांधी आश्रम के बाहर बसी हुई झुग्गी-झोपड़ियां हैं. इसके अलावा हमने मेरठ के कई पत्रकारों से भी इन बस्तियों के बारे में पूछा. उन्होंने भी बताया कि गांधी आश्रम के 100 मीटर के दायरे में झुग्गी-झोपड़ियां बसी हुई हैं.

वीडियो के बारे में जानने के लिए जब हमने पुलिस इन्स्पेक्टर आशुतोष कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वीडियो में दिखने वाली औरत का नाम कस्तूरी है. ये महिला अपने परिवार के साथ गांधी आश्रम के बाहर ही झोपड़ी बनाकर रहती है. कुमार ने बताया, “कस्तूरी के घर में 9 लोग हैं और ये सरकारी संगठन या सामाजिक संगठनों द्वारा जो भी खाना दिया जाता है, उसे रख लेते हैं. इन लोगों ने बताया कि ये खाने को सुखा लेते हैं और बाद में जब इनके पास खाना नहीं होता तो इस सुखाए हुए खाने को पानी या दाल के साथ उबालकर खाते हैं.”

इस बारे में हमने एक स्थानीय पत्रकार से जानने की कोशिश की, जिन्होंने हमें बताया कि कस्तूरी नाम की ये महिला अपने परिवार के 9 लोगों के साथ रहती है. रिपोर्टर से हुई बातचित में महिला ने वही बात बताई कि इन खाने को सुखा लेते हैं ताकि जब खाना न मिले तब उसे दाल के साथ उबालकर खा सकें. कस्तूरी की ये बातें वीडियो में 1 मिनट 4 सेकंड पर सुनी जा सकती हैं.

वायरल वीडियो में बालाजी ने दावा किया है कि ये लोग खाने की जमाखोरी करते हैं. हालांकि वीडियो में जो चीज़ें दिख रही हैं वो दावे से काफ़ी अलग़ हैं. बालाजी के मुताबिक ये लोग बिरयानी खा रहे हैं और इनके पास पर्याप्त राशन भी है. जिसे बालाजी पर्याप्त राशन और खाना बताते है उन्हें आप नीचे की तस्वीर में साफ़ देख सकते है.

इसके अलावा, वीडियो में दिख रहे फूड पैकेट्स की संख्या 9 हैं जो कि 9 लोगों के परिवार के लिए ठीक ही हैं.

वीडियो में ऐसा कहीं भी नहीं दिख रहा है कि खाने की बड़ी मात्रा में जमाखोरी हुई है. 9 लोगों के परिवार के लिए इतना खाना या राशन का घर में होना कहीं से भी बहुत बड़ी बात नहीं है. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये परिवार NGO या सरकार के ज़रिए मिल रहे खाने को बेच देते हैं.

वीडियो 2:

दूसरे वीडियो की शुरुआत में बालाजी आश्रम का नाम ‘कुष्ठ आश्रम’ बताते है. इसके आधार पर हमने कुष्ठ आश्रम से कॉन्टैक्ट किया. कॉल करने पर हमारी बात आश्रम के सेक्रेटरी सचिन से हुई. उन्होंने बताया, “हमारे आश्रम में कुष्ठ रोगी रहते हैं. नवमी के दिन जो कन्या पूजन होता है उसी के चलते आश्रम में अधिक मात्रा में खाना आ गया था. आश्रम के लोगों ने जितना हो सका, उतना खाने की कोशिश की. लेकिन तब भी बहुत सारा खाना बच गया था. हम इस खाने को गौ-शाला में दान करने ही वाले थे कि उसी दिन ये लोग हमारे आश्रम में आ गए. इन लोगों ने पूड़ियां और रोटी फैलाकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया. हमने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन लोगों ने बोला कि वो सिर्फ़ ऐसे ही रिकॉर्ड कर रहे है.”

गौ-शाला में पूड़ियां दान की गईं या नहीं, ये पूछने पर सचिन ने हमें बताया कि आश्रम के एक कर्मचारी के हाथों हमने पूड़ियां गौ-शाला में भिजवा दी थीं. इसके बाद हमने उनसे पूछा कि आश्रम को कन्या पूजन के दिन खाना कहां से दान के तौर पर मिला था, तब उन्होंने बताया, “आस-पास के घरों से खाना भिजवाया गया था. लेकिन ‘अमर उजाला’ के ऑफ़िस से भी इस बार खाना आया था.” आश्रम के सेक्रेटरी ने हमें ये भी बताया कि आश्रम में या इसके आस-पास की झुग्गी-बस्तियों में कोई भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता है.

इसके आधार पर हमने ‘अमर उजाला’ के रीजनल एडिटर राजेन्द्र त्रिपाठी से बात की. त्रिपाठी ने बताया, “हमारे ऑफ़िस की ओर से कोई खाना नहीं पहुंचाया गया था. लेकिन आश्रम ने कुछ दिनों पहले कॉल कर हमें बताया कि वहां पर लोग कई दिनों से भूखे हैं और उनके पास खाना नहीं है. इसके बाद हमने कुछ लोगों से वहां पर खाना भेजने के लिए बात की. वही लोग आश्रम में खाना पहुंचाने गए थे. लेकिन उन्होंने वहां पर कुछ और ही नज़ारा देखा. और शायद हो सकता है कि इन्हीं लोगों ने ये वीडियो रिकॉर्ड किया हो.” ये पूछे जाने पर कि इन वीडियो के पीछे किसी भी तरह का हिन्दू-मुस्लिम मामला है या नहीं, त्रिपाठी ने हमें बताया, “इस घटना में कोई हिन्दू-मुस्लिम एंगल नहीं है. मुझे नहीं लगता कि आश्रम में या इसके आस-पास कोइ भी मुस्लिम परिवार रहता है.”

इसके बारे हमने नवनीत बालाजी से भी बात की. उन्होंने बताया, “जब हम आश्रम में खाना पहुंचाने के लिए पहुंचे तो देखा कि आश्रम के सभी कमरों में बड़े-बड़े ताले लगे हुए थे. हम बिना किसी शंका के उन्हें खाना देने ही वाले थे कि तब मेरे साथ आए एक लड़के की नज़र एक कमरे पर पड़ी. इस कमरे के दरवाजे में थोड़ी सी जगह बनी हुई थी जिसमें से कमरे के अंदर का नज़ारा दिखाई दे रहा था. झांक कर देखने पर पाया कि कमरे में बहुत सारी पूड़ियां ज़मीन पर ऐसे ही पड़ी हुई थीं. इसके बाद हमने ये वीडियो रिकॉर्ड किया और सारे कमरे खुलवा कर देखे.” उन्होंने आगे बताया, “आश्रम के लोग खाने की बर्बादी कर रहे हैं. हम रिस्क लेकर उनकी मदद करने जाते हैं लेकिन ये लोग इस तरह अन्न का अपमान कर रहे हैं.” नवनीत से भी हमने दोनों वीडियो के पीछे किसी हिन्दू-मुस्लिम मामले के बारे में पूछा. उन्होंने साफ़ तौर पर मना करते हुए कहा कि इस मामले में कोई हिन्दू-मुस्लिम एंगल नहीं है.

निष्कर्ष

हमने इन दोनों वीडियो के हिन्दू-मुस्लिम एंगल के बारे में इन्स्पेक्टर आशुतोष कुमार, वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख्स नवनीत बालाजी, कुष्ठ आश्रम के सेक्रेटरी सचिन, स्थानीय पत्रकार और यहां तक कि ‘अमर उजाला’ के रीजनल एडिटर राजेन्द्र त्रिपाठी से बात की लेकिन इनमें से एक भी व्यक्ति ने इन दोनों घटनाओं के पीछे मुस्लिम एंगल की बात नहीं कही.

इसके अलावा, ‘जन टीवी’, नवनीत और कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स के दावे का भी कोई सबूत नहीं मिला जिसके मुताबिक़ सरकार या NGO से मिले खाने को ये लोग दुकानों में बेच देते हैं.

नवनीत से बात करते हुए उन्होंने बताया, “वीडियो के वायरल होने की वजह से मुझे ये पता चला कि इन गरीब परिवारों को NGO से खाना मिलने में काफ़ी दिक्कत हो रही है तो मैं पिछले 2-3 दिनों से इन लोगों तक खाना पहुंचा रहा हूं.”

इस तरह खाने की जमाखोरी, बेचने और मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधने के सभी दावे हमारी इस रिपोर्ट में बेबुनियाद पाए गए.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.