“गजराज के इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!” फेसबुक पर इस शीर्षक के साथ एक तस्वीर वायरल हो रही है। कहा जा रहा है कि तस्वीर झारखण्ड की है जहाँ खाई में गिर रही बस को रोककर एक हाथी ने 47 जाने बचाई।
गजराज के इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!
Posted by भगवान तू कहाँ है on Thursday, 1 March 2018
ऊपर इस तस्वीर को ‘भगवान तू कहाँ है‘ नामक फेसबुक पेज से पोस्ट किया गया है जिसे 8000 से अधिक बार शेयर किया गया है। दरअसल यह तस्वीर अभी से नहीं बल्कि पिछले कई महीनों से वायरल है इस तस्वीर को झारखण्ड का ही बताया जाता है लेकिन अलग-अलग तरीके से इसे पेश किया जाता है, “झारखण्ड में खाई में गिर रही बस को रोक कर एक हाथी ने बचाई 47 जाने। मगर जब इंसानो की बारी आती है तो हाथियों के तस्कर इन्हें मार् देते है या कोई जख्मी जीवों को देखने के बाद भी इंसान उसको बचाने की कोशिश नहीं करता ?”
‘जन जन तक‘ जिसका सत्यापित फेसबुक पेज उत्तराखंड, देहरादून की एक मासिक पत्रिका होने का दावा करता है। इस पेज ने भी अपने सत्यापित फेसबुक पेज से कुछ वैसा ही बताते हुए 28 मार्च, 2017 को यह तस्वीर शेयर की। जिसे लगभग 1000 लोगों ने शेयर किया है।
झारखण्ड में खाई में गिर रही बस को रोक कर एक हाथी ने बचाई 47 जाने ।
गणपति बाबा के इस अवतार के लिए एक लाइक तो बनता ह बोस।
अगर लीख सकते हो तो कमेन्ट में जरूर लोखे-“गणपति बाबा मोरया”Posted by JAN JAN TAK on Tuesday, 28 March 2017
क्या वाकई यह तस्वीर झारखण्ड की है?
इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि यह तस्वीर भारत के किसी भी हिस्से की नहीं है। यह नवम्बर, 2007 में बांग्लादेश में ली गयी तस्वीर है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका से 120 किलोमीटर दक्षिण बारिशल के सड़क पर फंसे एक बस को इस हाथी से धक्का दिलवाकर सड़क साफ करने की कोशिश की जा रही थी। वह बस उस समय आये चक्रवात (Cyclone) के कारण फंस गयी थी। एक रिपोर्ट के अनुसार उस भयानक तूफान के कारण बांग्लादेश में करीब 1000 से अधिक लोगों की मौत भी हुई थी। इस रिपोर्ट को नेशनल जियोग्राफिक और बांग्लादेश की एक समाचार वेबसाइट thestar.com ने बताया था। जैसा कि नीचे तस्वीर में भी देखा जा सकता है
10 साल से भी अधिक पुरानी दूसरे देश की तस्वीर को भारत के किसी हिस्से का बताकर वायरल करने का क्या तुक है यह तो हम नहीं बता सकते लेकिन यह पैटर्न बहुत पुराना है और इस तरह के पोस्ट काफी दिनों से सोशल मीडिया पर फैलाए जाते रहे हैं।
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