सोशल मीडिया पर तस्वीरों का एक समूह शेयर हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि दिल्ली दंगे के दौरान हिंदू महिलाओं पर हमला किया गया. फ़ेसबुक यूजर मंजू सिंह ने तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, “दिल्ली के मौजपुर, शिव विहार इलाकों के हिंदू घरों में घुस-घुसकर, माँ-बहनें को मारा-काटा गया. कैसा भाईचारा.?? थू है ऐसे इस्लामिक कट्टरपंथ पर.” दो तस्वीरों में महिला की पीठ पर ज़ख़्म के निशान दिख रहे हैं, जबकि तीसरी तस्वीर में दिख रहा है कि महिला फ़र्श पर पड़ी हुई है और उसके चारों तरफ़ ख़ून ही ख़ून है.

ये ध्यान देने वाली बात है कि इन तस्वीरों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में सर्कुलेट किया जा रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन दंगों ने कम से कम 53 लोगों की जान ली है.

कई और लोगों ने फ़ेसबुक और ट्विटर पर एक जैसी कहानी के साथ इन तस्वीरों को साझा किया है.

ये व्हाट्सऐप पर भी धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च किया और हमें ये मिला.

पहली और दूसरी तस्वीर

हमने इन दोनों तस्वीरों की असलियत अक्टूबर 2018 में भी सामने लाई थी. उस वक्त इन्हें इस फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर किया जा रहा था कि बिहार में हिंदू महिलाओं पर मुसलमानों ने हमला किया. हक़ीक़त में, हमें ये पता चला कि महिला पर संदीप गिरी नाम के एक पुरूष ने तब हमला किया, जब वो मंदिर से लौट रही थी. महिला द्वारा छेड़खानी का विरोध करने पर संदीप ने महिला पर चाकू से हमला कर दिया था. ये घटना बिहार के गोपालगंज के कटेया में हुई थी. आप इस फ़ैक्ट-चेक के बारे में विस्तार से यहां पर पढ़ सकते हैं.

तीसरी और चौथी तस्वीर

ढूंढ़ने पर पता चला कि ये तस्वीरें पुरानी हैं और इनका शेयर की जा रही कहानी से कोई संबंध नहीं है. ये दोनों तस्वीरें इंटरनेट पर तब से हैं, जब दिल्ली में हिंसा भी नहीं भड़की थी. बाईं तरफ़ वाली तस्वीर 2018 के एक यूट्यूब वीडियो में जबकि दाईं तरफ़ की तस्वीर 2015 के एक ब्लॉग में मिल जाएगी. हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ को इन दोनों तस्वीरों की विस्तृत जानकारी नहीं मिल सकी.

ये बात साफ़ है कि गंभीर रूप से घायल महिलाओं की पुरानी और असंबंधित तस्वीरों को इस झूठी कहानी के साथ शेयर किया गया कि इन तस्वीरों में दिख रही हिंदू महिलाओं पर दिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमला किया था.

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