केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत देने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में 7 अक्टूबर को, हजारों लोगों ने रैली निकाली। सोशल मीडिया पर इस घटना का, इस दावे के साथ राजनीतिकरण किया गया कि केरल पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर निर्लज्जतापूर्वक भारी बल प्रयोग किया था।
Shame on you who went to USA for cancer treatment @vijayanpinarayi how did you treat women and senior citizens protesting reg #SabrimalaVerdict? Are you a human being????? @narendramodi Throw him out.. Keralite women and men join hands and do the impossible! pic.twitter.com/4RegyId9Ye
— meena das narayan (@MeenaDasNarayan) October 9, 2018
पत्रकार मीना दास नारायण ने उपर्युक्त ट्वीट में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को निशाना बनाकर उनसे पूछा कि सर्वोच्च न्यायालय के सबरीमाला फैसले का विरोध करने वाली महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों से उन्होंने कैसा व्यवहार किया है। नारायण ने, ट्विटर हैंडल @वोकाल्पैन (@vocalpain) के एक ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट संलग्न किया था। यह अकाउंट अब डिलीट कर लिया गया है।
ट्विटर पर कई यूजर्स द्वारा तस्वीरों का एक सेट भी शेयर किया गया है, जो दावा करते हैं कि केरल पुलिस ने “सुप्रीम कोर्ट के #सबरीमाला फैसले के विरोध में स्वामीय अय्यपा का शांतिपूर्वक जप कर रहे हिंदुओं पर हमला किया” और महिलाओं व बच्चों को भी नहीं छोड़ा।
Police brutally attacked Hindus peacefully chanting Swamiye Ayyapa in protest of the SC #SabrimalaVerdict
They showed no mercy and were violently beat up women,children too.#SaveSabarimala #Sabarimala #Sabarimala#ReadytoWait #HinduJustice pic.twitter.com/iuSl4IO2Az— जया 🚩🚩 (@jayapatel0793) October 7, 2018
इन दिनों, एक पुलिस कॉन्स्टेबल द्वारा बुजुर्ग पर लाठी चलाते हुए एक और तस्वीर सोशल मीडिया में फैली है, जिसमें दावा किया गया है कि सबरीमाला फैसले के विरोध में प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने इस व्यक्ति पर हमला किया था।
80 year old devotee protesting against #SabarimalaVerdict beaten by #Marxist #Kerala #Police. @HKupdate @Kuvalayamala @mohandastg @ensine @birajanath @Prof_Hariom @keralaCastro @nach1keta @excomradekerala @jothishnair1010 #Sabarimala @Palakkadan6 @chathootti @PartyVillage017 pic.twitter.com/qWMk00SLeh
— Ramaswamy Iyer (@iyer_rn) October 8, 2018
पुरानी, असंबंधित तस्वीरें
सोशल मीडिया में शेयर की गई ये तस्वीरें हाल के सबरीमाला विरोधों से संबंधित नहीं हैं। इन तस्वीरों को जुलाई 2018 में, क्लिक किया गया था जब केरल पुलिस ‘केएसयू सचिवालय मार्च’ के प्रदर्शनकारियों पर सख्ती से पेश आई थी। इस रैली का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी का छात्र विभाग, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने किया था। इन तस्वीरों को 4 जुलाई को एनएसयूआई के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट किया गया था।
KSU Secretariat march was brutally attacked by Kerala police using iron nail attached lathies.
20+ leaders including state president, K M Abhijith seriously injured. pic.twitter.com/H371hUx4dT— NSUI (@nsui) July 4, 2018
Hey Lady, Be ashamed of yourself for spreading lies. There is nothing as such happened in Kerala. The pic you shared is from a protest happened in July 2018. I have tweeted about it and attaching the screenshot of the same with date.
Tweet link👇🏻https://t.co/4JEhzeVYyq pic.twitter.com/VJaZdowvbQ
— RiJOY👨🏻💻 (@iamrijoy) October 9, 2018
ऑल्ट न्यूज़ ने एक बुजुर्ग पर पुलिस द्वारा लाठी से हमले वाली इस तस्वीर के लिए गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का उपयोग किया। यह तस्वीर हमें मलयालम की एक वेबसाइट में मिली, जहां यह 3 साल से अधिक पहले मार्च, 2015 में पोस्ट हुई थी। यह इस तथ्य को स्थापित करता है कि यह तस्वीर विशेषकर केरल के हालिया सबरीमाला विरोधों की नहीं है।
राजनीतिक रूप से खुद को आगे करने के लिए सोशल मीडिया में असंबद्ध तस्वीरों का उपयोग भ्रामक सूचनाओं के पैरोकारों की अनुमानित और नियमित रणनीति रही है। सबरीमाला मंदिर प्रवेश मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शन की असंबद्ध तस्वीरों कर उपयोग, केरल सरकार की ‘हिंदू विरोधी’ छवि को चित्रित करने के लिए किया गया था।
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